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Ganesh Chaturthi 2025: गणेश जी को दूर्वा क्यों चढ़ाई जाती है? जानिए इसका रहस्य

Ganesh Chaturthi 2025: गणेश जी को दूर्वा क्यों चढ़ाई जाती है? जानिए इसका रहस्य

गणेश चतुर्थी 2025 पर गणपति बप्पा की पूजा में दूर्वा घास का विशेष महत्व है। पौराणिक कथा अनुसार, दूर्वा खाने से गणेश जी का पेट शांत हुआ था। दूर्वा अर्पित करने से गणपति प्रसन्न होते हैं, विघ्न दूर होते हैं, सुख-समृद्धि आती है और बुद्धि व ज्ञान में वृद्धि होती है। इसे 11 जोड़े यानी 22 गांठों में अर्पित करना शुभ माना जाता है।

गणेश चतुर्थी 2025 के अवसर पर भक्त गणपति बप्पा की स्थापना कर 10 दिनों तक पूजा-अर्चना करेंगे। इस पूजा में दूर्वा घास का विशेष महत्व है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार गणेश जी ने अनलासुर नामक राक्षस को निगलने से पेट में जलन का अनुभव किया और ऋषि कश्यप ने उन्हें दूर्वा खाने की सलाह दी, जिससे उनका पेट शांत हुआ। इसलिए दूर्वा गणेश जी की प्रिय मानी जाती है। इसे अर्पित करने से विघ्नहर्ता गणपति प्रसन्न होते हैं, जीवन में सुख-समृद्धि आती है और बाधाएं दूर होती हैं।

दूर्वा अर्पित करने की पौराणिक कथा

गणेश जी को दूर्वा क्यों चढ़ाई जाती है, इसके पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि एक बार गणेश जी ने अनलासुर नामक राक्षस को निगल लिया था, जिससे उनके पेट में जलन हो गई। कई उपाय करने के बाद भी जलन शांत नहीं हुई। तब ऋषि कश्यप ने गणेश जी को दूर्वा खिलाई। दूर्वा खाने से उनका पेट शांत हुआ और वे प्रसन्न हुए। इस घटना के कारण से आज भी गणेश जी को दूर्वा अर्पित करने की परंपरा चल रही है।

दूर्वा अर्पित करने के धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ

गणेश जी को दूर्वा अर्पित करने से कई आध्यात्मिक और धार्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। इसे पूजा में शामिल करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और जीवन की बाधाएं दूर होती हैं। ऐसा माना जाता है कि दूर्वा अर्पित करने से मानसिक शांति, आर्थिक समृद्धि और स्वास्थ्य लाभ मिलता है। दूर्वा को 21 गांठों में बनाकर अर्पित करना शुभ माना गया है। यह न केवल पूजा का हिस्सा है बल्कि सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक भी है।

दूर्वा अर्पित करने का विधिपूर्वक तरीका

गणेश जी को दूर्वा अर्पित करते समय 11 जोड़े दूर्वा का गुच्छा बनाना चाहिए, यानी कुल 22 दूर्वा के पौधे। इन्हें साफ पानी से धोकर गणेश जी के चरणों में अर्पित किया जाता है। अर्पित करते समय मंत्र ‘श्री गणेशाय नमः दूर्वांकुरान् समर्पयामि’ का उच्चारण किया जाता है। दूर्वा को गणेश जी के कान के पास या माथे पर रखने को विशेष शुभ माना जाता है। इससे पूजा पूर्ण और प्रभावशाली मानी जाती है।

दूर्वा के प्रमुख लाभ

  • धार्मिक महत्व: दूर्वा को पवित्र माना गया है और यह गणेश जी की पूजा में अनिवार्य है।
  • सुख-समृद्धि: इसे अर्पित करने से घर में धन और सुख की वृद्धि होती है।
  • बुद्धि और ज्ञान: गणेश जी को बुद्धि और ज्ञान का देवता माना जाता है, दूर्वा अर्पित करने से इन गुणों में वृद्धि होती है।
  • विघ्न नाशक: गणेश जी विघ्नहर्ता कहलाते हैं। दूर्वा अर्पित करने से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।

क्यों गणेश जी के लिए दूर्वा प्रिय है

गणेश जी को दूर्वा अर्पित करना केवल पूजा का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह उनके प्रति भक्त की श्रद्धा और भक्ति को दर्शाता है। दूर्वा शीतलता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। इसे अर्पित करने से घर और परिवार में सकारात्मक वातावरण बनता है। इसके अतिरिक्त, यह स्वास्थ्य और मानसिक शांति में भी मदद करता है।

इस वर्ष गणेश चतुर्थी 27 अगस्त से शुरू हो रही है। इस अवसर पर दूर्वा अर्पित करने का महत्व और बढ़ जाता है। भक्त इसे गणपति के चरणों में अर्पित कर उनकी कृपा प्राप्त करते हैं। दूर्वा की यह परंपरा पुराने समय से चली आ रही है और हर पूजा में इसे शामिल करना शुभ माना जाता है।

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