गोवर्धन पूजा 2025 कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को छप्पन भोग अर्पित किया जाता है, जिसे 7 दिन × 8 पहर = 56 प्रकार के पकवानों से जोड़कर बनाया गया। भक्त गोवर्धन पर्वत की पूजा, भगवान और गायों की पूजा करते हैं, जिससे दुख दूर होते हैं और भगवान की कृपा मिलती है।
Govardhan Puja 2025: गोवर्धन पूजा 21 अक्टूबर से शुरू होकर 22 अक्टूबर को मनाई जाएगी। यह दिवाली उत्सव का प्रमुख दिन है और इसे अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है। इस दिन भक्त गोवर्धन पर्वत के आकार में पकवान सजाकर, भगवान श्रीकृष्ण को छप्पन भोग अर्पित करते हैं। छप्पन भोग की परंपरा इस वजह से चली कि भगवान ने देवराज इंद्र की प्रलयकारी वर्षा में 7 दिन तक ब्रजवासियों और गायों की रक्षा के लिए कुछ नहीं खाया था। पूजा के दौरान सुबह 06:20 से 08:38 और दोपहर 03:13 से 05:49 तक शुभ मुहूर्त रहेगा।
भगवान को छप्पन भोग क्यों अर्पित किया जाता है
गोवर्धन पूजा में भगवान कृष्ण को छप्पन भोग यानी 56 प्रकार के व्यंजन अर्पित किए जाते हैं। इसके पीछे एक धार्मिक और ऐतिहासिक कारण है। कहा जाता है कि जब देवराज इंद्र ने प्रलयकारी वर्षा करके ब्रजवासियों को परेशान किया, तब भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाया।
गोवर्धन पूजा 2025 कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को छप्पन भोग अर्पित किया जाता है, जिसे 7 दिन × 8 पहर = 56 प्रकार के पकवानों से जोड़कर बनाया गया। भक्त गोवर्धन पर्वत की पूजा, भगवान और गायों की पूजा करते हैं, जिससे दुख दूर होते हैं और भगवान की कृपा मिलती है।
इस Govardhan Puja 2025, भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित किए जाते हैं 56 भोग। पढ़ें छप्पन भोग का रहस्य, पूजा का महत्व और शुभ मुहूर्त। ब्रज की परंपरा और अन्नकूट का अद्भुत महत्व।इस Govardhan Puja 2025, भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित किए जाते हैं 56 भोग। पढ़ें छप्पन भोग का रहस्य, पूजा का महत्व और शुभ मुहूर्त। ब्रज की परंपरा और अन्नकूट का अद्भुत महत्व।5: गोवर्धन पूजा 21 अक्टूबर से शुरू होकर 22 अक्टूबर को मनाई जाएगी। यह दिवाली उत्सव का प्रमुख दिन है और इसे अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है। इस दिन भक्त गोवर्धन पर्वत के आकार में पकवान सजाकर, भगवान श्रीकृष्ण को छप्पन भोग अर्पित करते हैं। छप्पन भोग की परंपरा इस वजह से चली कि भगवान ने देवराज इंद्र की प्रलयकारी वर्षा में 7 दिन तक ब्रजवासियों और गायों की रक्षा के लिए कुछ नहीं खाया था। पूजा के दौरान सुबह 06:20 से 08:38 और दोपहर 03:13 से 05:49 तक शुभ मुहूर्त रहेगा।
भगवान ने ब्रजवासियों और गायों की रक्षा के लिए सात दिन तक बिना भोजन किए सात दिन बिताए। एक दिन में आठ पहर होते हैं। सात दिन × आठ पहर = 56 पहर। इसलिए ब्रजवासियों और गोपियों ने भगवान कृष्ण को आभार और प्रेम प्रकट करने के लिए 56 प्रकार के व्यंजन तैयार किए। तभी से यह परंपरा छप्पन भोग के रूप में चली आ रही है।
छप्पन भोग केवल स्वाद का प्रतीक नहीं है, बल्कि इसके पीछे धार्मिक विधान और संदेश भी छिपा है।
छप्पन भोग में कौन-कौन से व्यंजन शामिल हैं
छप्पन भोग में अनाज, दाल, मिठाई, नमकीन, खट्टे व्यंजन, फल, मेवे, दूध, दही और घी शामिल होते हैं। इन व्यंजनों के पीछे गहरी धार्मिक मान्यता है।
- अनाज और दालें धरती के आहार का प्रतीक हैं।
- मिठाइयां आनंद और खुशियों का प्रतीक मानी जाती हैं।
- नमकीन और खट्टे व्यंजन जीवन की विविधता और विपरीत अनुभवों को स्वीकार करने का संदेश देते हैं।
- फल और मेवे प्रकृति की भेंट माने जाते हैं।
- दूध, दही और घी ब्रजवासियों की परंपरा और ब्रज की आत्मा को दर्शाते हैं।
इन सबको भगवान कृष्ण को अर्पित किया जाता है। यह उनकी बाल लीलाओं और ब्रजवासियों के प्रेम की याद दिलाता है।
गोवर्धन पूजा 2025 कब है
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल गोवर्धन पूजा 21 अक्टूबर 2025 को शाम 05 बजकर 54 मिनट पर प्रारंभ होगी। इसका समापन 22 अक्टूबर 2025 को रात 08 बजकर 16 मिनट पर होगा। इस प्रकार, इस साल गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त
इस दिन पूजा करने के लिए दो शुभ मुहूर्त रखे गए हैं। पहला मुहूर्त सुबह 06 बजकर 20 मिनट से 08 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। दूसरा मुहूर्त दोपहर 03 बजकर 13 मिनट से शाम 05 बजकर 49 मिनट तक रहेगा। भक्त इन मुहूर्तों के अनुसार पूजा करके अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की कामना करते हैं।
गोवर्धन पूजा का महत्व
गोवर्धन पूजा न केवल भगवान कृष्ण की लीलाओं और ब्रजवासियों के साथ उनके प्रेम की याद दिलाती है, बल्कि यह प्रकृति, अन्न और जीवों के प्रति आभार प्रकट करने का संदेश भी देती है। इस दिन गायों की पूजा और उन्हें चारा खिलाना भी परंपरा का हिस्सा है।
भक्त मानते हैं कि इस दिन भगवान को अर्पित किए गए छप्पन भोग और अन्नकूट के माध्यम से सभी दुख और संकट दूर होते हैं। इसके साथ ही भक्तों पर भगवान कृष्ण की कृपा और आशीर्वाद बरसते हैं।