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ग्रीस के समुद्री पार्कों पर तुर्की को एतराज, एर्दोगन सरकार ने दी जवाबी कार्रवाई की चेतावनी

ग्रीस के समुद्री पार्कों पर तुर्की को एतराज, एर्दोगन सरकार ने दी जवाबी कार्रवाई की चेतावनी

ग्रीस ने भूमध्य सागर में दो नए समुद्री पार्क बनाने की घोषणा की है। तुर्की ने इसे एकतरफा कदम बताते हुए जवाबी परियोजनाओं की चेतावनी दी है। इससे दोनों देशों के बीच समुद्री विवाद और गहरा गया है।

World Update: ग्रीस द्वारा भूमध्य सागर में दो नए नेशनल मरीन पार्क बनाने की घोषणा से तुर्की नाराज़ हो गया है। दोनों देशों के बीच एजियन सागर में समुद्री अधिकारों और सीमाओं को लेकर पहले से ही विवाद है। अब ग्रीस द्वारा नए संरक्षित क्षेत्र घोषित करने के फैसले को तुर्की एकतरफा मान रहा है और उसने जवाबी पर्यावरणीय प्रोजेक्ट शुरू करने की घोषणा की है। इस कदम से दोनों देशों के रिश्तों में एक बार फिर से तनाव बढ़ने की संभावना है।

ग्रीस की घोषणा से तुर्की असहज

ग्रीस और तुर्की के बीच ऐतिहासिक रूप से समुद्री सीमाओं को लेकर विवाद रहा है। अब ग्रीस ने भूमध्य सागर में दो बड़े मरीन पार्कों की स्थापना का फैसला किया है। इनमें से एक पार्क आयोनियन सागर में और दूसरा दक्षिणी साइक्लेड्स द्वीप समूह में बनाया जाएगा।

ग्रीक प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोताकिस ने कहा है कि ये पार्क पूरे भूमध्य सागर में सबसे बड़े संरक्षित समुद्री क्षेत्र होंगे। इनका उद्देश्य पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा करना, समुद्री जैव विविधता को बनाए रखना और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में नई मिसाल कायम करना है।

ग्रीस का मकसद: 2030 तक जल क्षेत्र की सुरक्षा

ग्रीक प्रधानमंत्री ने साफ किया है कि इस योजना का उद्देश्य केवल पर्यावरण की रक्षा है। उन्होंने कहा कि यह पहल ग्रीस को 2030 तक अपने 30 प्रतिशत जल क्षेत्र को संरक्षित करने के लक्ष्य को समय से पहले हासिल करने में मदद करेगी।

इन पार्कों में समुद्री कछुए, संकटग्रस्त वनस्पतियां और अन्य दुर्लभ प्रजातियों के संरक्षण के लिए खास उपाय किए जाएंगे। साथ ही, इन क्षेत्रों में मछली पकड़ने की हानिकारक तकनीकों पर पूरी तरह से रोक लगाई जाएगी।

मित्सोताकिस के मुताबिक, ये पार्क न सिर्फ समुद्री जीवन के लिए सुरक्षित घर बनेंगे, बल्कि इससे पारिस्थितिक संतुलन बहाल करने की दिशा में भी ठोस कदम बढ़ाया जाएगा।

तुर्की का जवाब: जवाबी परियोजनाएं लाएंगे

ग्रीस की इस घोषणा पर तुर्की ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। तुर्की के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि एजियन और भूमध्य सागर जैसे सीमित समुद्रों में एकतरफा कदम उठाने से बचना चाहिए। उन्होंने संकेत दिया कि तुर्की आने वाले समय में अपने समुद्री क्षेत्रों में पर्यावरणीय संरक्षण की दिशा में परियोजनाएं शुरू करेगा।

तुर्की ने यह भी कहा कि पर्यावरण संरक्षण एक साझा जिम्मेदारी है, और किसी भी देश को इसे राजनीतिक एजेंडे के तहत नहीं चलाना चाहिए। हालांकि, तुर्की का यह विरोध केवल पर्यावरणीय नहीं बल्कि रणनीतिक भी माना जा रहा है क्योंकि मामला समुद्री सीमाओं और अधिकारों से जुड़ा है।

एजियन सागर बना रहा है विवाद की जड़

एजियन सागर, जो कि भूमध्य सागर का हिस्सा है, ग्रीस और तुर्की के बीच विवाद का सबसे बड़ा कारण है। इसमें सैकड़ों द्वीप हैं जिनमें से अधिकांश ग्रीस के नियंत्रण में हैं। तुर्की का मानना है कि ग्रीस ने कई ऐसे द्वीपों पर भी अधिकार कर रखा है जो तुर्की की समुद्री सीमा के बेहद करीब हैं।

समुद्री सीमाओं को लेकर संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून (UNCLOS) की व्याख्या पर भी दोनों देशों में असहमति है। तुर्की इस संधि का हिस्सा नहीं है, जबकि ग्रीस इसका समर्थन करता है। यही असहमति समय-समय पर सैन्य तनाव और कूटनीतिक संघर्ष का कारण बनती है।

साइप्रस मुद्दा: पुराना घाव अभी भी हरा

ग्रीस और तुर्की के बीच विवाद की एक और वजह साइप्रस है। 1974 में ग्रीस समर्थित तख्तापलट के बाद तुर्की ने साइप्रस के उत्तरी हिस्से पर कब्जा कर लिया था। आज तक उस क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिली है। केवल तुर्की उसे "नॉर्दर्न साइप्रस" के रूप में मान्यता देता है।

प्राकृतिक संसाधनों को लेकर भी टकराव

पूर्वी भूमध्य सागर में तेल और प्राकृतिक गैस भंडार की खोज के बाद स्थिति और जटिल हो गई है। ग्रीस और तुर्की दोनों ही इन संसाधनों पर अपने-अपने अधिकार का दावा करते हैं। दोनों देश यहां exploration और mining rights को लेकर कई बार आमने-सामने आ चुके हैं।

तुर्की ने कई बार ग्रीस के जलक्षेत्र में रिसर्च जहाज भेजे हैं, जिसे ग्रीस अवैध मानता है। वहीं, तुर्की का कहना है कि वह अपने क्षेत्र में रिसर्च कर रहा है। इस स्थिति से न केवल दोनों देशों में तनाव बढ़ता है, बल्कि पूरे यूरोप के लिए सुरक्षा का खतरा बन सकता है। 

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