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हड्डियों और जोड़ों की बीमारियों में फिजियोथेरेपी कितनी असरदार है? एक्सपर्ट से जानें

हड्डियों और जोड़ों की बीमारियों में फिजियोथेरेपी कितनी असरदार है? एक्सपर्ट से जानें

हड्डियों और जोड़ों की बीमारियों में फिजियोथेरेपी दर्द कम करने, मांसपेशियों को मजबूत बनाने और गतिशीलता बढ़ाने में कारगर है। ऑस्टियोपोरोसिस, आर्थराइटिस और फ्रैक्चर के मरीजों के लिए यह रिकवरी को तेज करती है। सही एक्सरसाइज और जीवनशैली अपनाने से हड्डियों की समस्याओं का जोखिम कम होता है।

Physiotherapy: बदलती लाइफस्टाइल और पोषण की कमी के कारण हड्डियों और जोड़ों की बीमारियां अब युवाओं और बच्चों में भी बढ़ रही हैं। MMG जिला अस्पताल, गाजियाबाद के फिजियोथेरेपी हेड सैयद जौहर अली नक़वी के अनुसार, फिजियोथेरेपी दर्द कम करने, मांसपेशियों को मजबूत बनाने और जोड़ों की गतिशीलता बढ़ाने में प्रभावी है। ऑस्टियोपोरोसिस, आर्थराइटिस और फ्रैक्चर के मरीजों के लिए नियमित फिजियोथेरेपी दवाओं पर निर्भरता घटाकर रिकवरी की गति बढ़ाती है। साथ ही, हल्की एक्सरसाइज, संतुलित डाइट और सही बैठने की आदतें हड्डियों की सेहत में सुधार लाती हैं।

हड्डियों की बीमारियों का बढ़ता खतरा

हड्डियों की बीमारियों में शरीर की हड्डियां, जोड़ और मांसपेशियां प्रभावित होती हैं। इससे दर्द, अकड़न, सूजन और चलने-फिरने में कठिनाई होती है। उम्र बढ़ने के साथ यह समस्याएं अधिक देखने को मिलती हैं, लेकिन अब युवाओं में भी बदलती जीवनशैली और पोषण की कमी के कारण ये बढ़ रही हैं। महिलाओं में हॉर्मोनल बदलाव की वजह से ऑस्टियोपोरोसिस और हड्डियों की कमजोरी का खतरा अधिक रहता है। बुज़ुर्गों में हड्डियों की डेंसिटी में कमी और गिरने की घटनाओं से फ्रैक्चर का जोखिम बढ़ जाता है। बच्चों में कैल्शियम और विटामिन डी की कमी से हड्डियों का विकास प्रभावित होता है।

हड्डियों की आम बीमारियां

हड्डियों और जोड़ों की बीमारियां अलग-अलग प्रकार की होती हैं। इनमें ऑस्टियोपोरोसिस, ऑस्टियोआर्थराइटिस, रूमेटाइड आर्थराइटिस, फ्रैक्चर, बोन इंफेक्शन और स्पाइन की समस्याएं जैसे स्लिप डिस्क शामिल हैं। इनके पीछे कई कारण होते हैं जैसे उम्र बढ़ना, पोषण की कमी, कैल्शियम और विटामिन डी की कमी, लंबे समय तक बैठे रहना, चोट, जेनेटिक फैक्टर और कुछ मेडिकल कंडीशन्स। युवाओं में मोबाइल और लैपटॉप पर लंबे समय तक झुककर बैठना रीढ़ और जोड़ों की तकलीफ बढ़ा रहा है।

फिजियोथेरेपी का महत्व

MMG जिला अस्पताल, गाजियाबाद के फिजियोथेरेपी विभाग के हेड सैयद जौहर अली नक़वी के अनुसार फिजियोथेरेपी हड्डियों और जोड़ों की बीमारियों के इलाज में बहुत उपयोगी है। यह शरीर की मूवमेंट सुधारने, दर्द कम करने और मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करती है। हड्डियों की बीमारियों में मरीज अक्सर चलने-फिरने में कठिनाई, जकड़न या दर्द का अनुभव करते हैं। दवाइयों के साथ नियमित फिजियोथेरेपी राहत देती है। ऑस्टियोपोरोसिस में हल्के व्यायाम और बैलेंस ट्रेनिंग हड्डियों पर दबाव कम करती है और गिरने की संभावना घटाती है।

रोजमर्रा की आदतें और सावधानियां

  • रोजाना हल्की फिजिकल एक्टिविटी या वॉक को रूटीन में शामिल करना चाहिए।
  • कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर पौष्टिक आहार लेना फायदेमंद होता है।
  • गलत पोजीशन में बैठने या झुककर काम करने से बचना चाहिए।
  • हड्डियों में दर्द, सूजन या अकड़न दिखे तो देर न करें और डॉक्टर से जांच कराएं।
  • धूम्रपान और शराब जैसी आदतों से दूरी बनाए रखना चाहिए, क्योंकि ये हड्डियों को कमजोर करती हैं।
  • घर में गिरने से बचाव के लिए फर्श सूखा रखें और पर्याप्त रोशनी सुनिश्चित करें।

फ्रैक्चर और आर्थराइटिस में फिजियोथेरेपी

फ्रैक्चर के बाद फिजियोथेरेपी मांसपेशियों को सक्रिय करने और जोड़ों की गतिशीलता लौटाने में मदद करती है। आर्थराइटिस के मरीजों में यह सूजन और जकड़न कम कर जोड़ों को लचीला बनाती है। नियमित फिजियोथेरेपी से पेन किलर दवाओं पर निर्भरता घटती है और रिकवरी की गति बढ़ती है। सही एक्सरसाइज तकनीक और गाइडेंस से मरीज अपनी रोजमर्रा की गतिविधियों में जल्दी लौट पाते हैं।

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