संघ की स्थापना को 100 साल पूरे होने के अवसर पर विजयादशमी पर सरसंघचालक मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने न केवल संघ की स्थापना के उद्देश्यों पर जोर दिया, बल्कि 100 साल की यात्रा के निष्कर्षों पर भी बात की।
नई दिल्ली: पिछले कुछ समय से BJP और RSS के रिश्ते बेहद प्रगाढ़ दिखाई दे रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार संघ की तारीफ कर रहे हैं, वहीं संघ की तरफ से भी मौजूदा नेतृत्व की सराहना की जा रही है। संघ की स्थापना के 100 साल पूरे होने के अवसर पर विजयादशमी पर सरसंघचालक मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों को संबोधित किया और संगठन की स्थापना, उद्देश्य और 100 साल की यात्रा पर विस्तार से बात की।
भागवत ने अपने संबोधन में पहले दिए बयानों को दोहराते हुए स्वयंसेवकों की कुछ दुविधाओं को दूर करने की कोशिश की और हिंदू राष्ट्रीयता का जोरदार उद्घोष किया।
विविधता और मुस्लिम समुदाय में पहुंच
RSS पिछले कुछ वर्षों से मुस्लिम समुदाय और अन्य अल्पसंख्यक समूहों के साथ संबंध सुधारने और पहुंच बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। मोहन भागवत ने कई मौकों पर कहा है कि मुस्लिम समुदाय के बिना हिंदू राष्ट्र की कल्पना अधूरी है। उन्होंने अपने वक्तव्यों में हिंदू शब्द के बजाय अक्सर सनातन पर जोर दिया, जिससे स्वयंसेवकों में सवाल उठे कि क्या संघ की सोच में बदलाव आया है।
विजयादशमी पर दिए गए संबोधन में भागवत ने स्पष्ट किया कि भारत में सभी प्रकार की विविधता का स्वागत है, और बाहर से आई विचारधारा को पराया नहीं माना जाता। उन्होंने कहा, सबकी अपनी विशिष्टताएं हैं, अपनी श्रद्धा है, महापुरुष हैं, पूजा के स्थान हैं। मन, वचन, कर्म से आपस में इनकी अवमानना नहीं होनी चाहिए।
भागवत ने यह भी कहा कि यदि किसी को ‘हिंदू’ शब्द से आपत्ति है तो वह हिंदवी, भारतीय या आर्य शब्द का उपयोग कर सकता है। लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि हमारी राष्ट्रीयता को प्रकट करने वाला मुख्य शब्द हिंदू ही है।
BJP और RSS के रिश्तों में मजबूती
पहले RSS मीडिया से दूरी बनाकर रखने पर जोर देता था, लेकिन अब संघ मीडिया और वैश्विक मंचों के जरिए अपनी बात साझा करने में सक्रिय है। नागपुर में हुए विजयादशमी कार्यक्रम में विदेशी पत्रकारों को अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया और संबोधन को कई विदेशी भाषाओं में सुनने की व्यवस्था की गई।कुछ महीने पहले विज्ञान भवन में संघ प्रमुख की संवाद सीरीज भी आयोजित की गई थी, जिसमें विदेशी पत्रकारों के सवालों को प्राथमिकता दी गई। यह कदम संघ की वैश्विक दृष्टि और खुली संवाद नीति का संकेत है।
संघ और BJP के संबंधों में पहले उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं, जो राजनीतिक परिस्थितियों पर निर्भर करते रहे। लेकिन हाल के समय में दोनों संगठन एक स्वर में बात कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी लगातार संघ की तारीफ कर रहे हैं। संघ की तरफ से भी मौजूदा नेतृत्व और सरकार की नीतियों की सराहना हो रही है। आत्मनिर्भरता और स्वदेशी को लेकर संघ और BJP के विचार एक जैसे हैं।