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हिमाचल प्रदेश में मानसून का कहर जारी, 53 लैंडस्लाइड, 53 बाढ़, 360 से अधिक सड़कें बंद

हिमाचल प्रदेश में मानसून का कहर जारी, 53 लैंडस्लाइड, 53 बाढ़, 360 से अधिक सड़कें बंद

हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के कारण 53 लैंडस्लाइड और 53 बाढ़ की घटनाएं हुईं। 360 से अधिक सड़कें बंद हैं। बारिश से 112 लोग मरे, 37 लापता। मौसम विभाग ने ऑरेंज अलर्ट जारी किया है।

Himachal: हिमाचल प्रदेश में मानसून की बारिश ने भारी तबाही मचा रखी है। बारिश और भूस्खलन के कारण राज्य में 112 लोगों की मौत हो चुकी है और 37 लोग अभी भी लापता हैं। मौसम विभाग ने राज्य के कई हिस्सों में भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। इस बार भी बारिश की वजह से 360 से अधिक सड़कें बंद हो गई हैं। यह हालात आम जनजीवन के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन गए हैं।

मौसम विभाग ने जारी किया ऑरेंज अलर्ट

शिमला स्थित मौसम विभाग के अनुसार, हिमाचल प्रदेश के कई इलाकों में रविवार से गुरुवार तक भारी से बहुत भारी बारिश होने की संभावना है। इसलिए पूरे राज्य में ऑरेंज अलर्ट जारी कर दिया गया है। यह अलर्ट खासकर कांगड़ा, मंडी, कुल्लू और आसपास के इलाकों के लिए है, जहां बारिश की तीव्रता अधिक बनी हुई है।

हाल ही में हुए रिकॉर्ड के अनुसार कांगड़ा में 68.4 मिमी बारिश दर्ज हुई है। इसके अलावा मुरारी देवी में 52.6 मिमी, पालमपुर में 52 मिमी, सराहन में 25 मिमी, जुब्बड़हट्टी में 17 मिमी और धर्मशाला में 16.8 मिमी बारिश हुई है। पंडोह और बाजुरा में भी 11.5 मिमी बारिश दर्ज की गई है। इसी तरह से कई अन्य स्थानों में भी अच्छी-खासी बारिश हो रही है।

सड़कें बंद, यातायात प्रभावित

बारिश और भूस्खलन की वजह से राज्य के अनेक प्रमुख मार्ग बंद हो गए हैं। इनमें एनएच-305 का हिस्सा औट-सैंज रोड भी शामिल है। कुल मिलाकर 360 से अधिक सड़कें बंद हो चुकी हैं। इनमें 214 सड़कें मंडी जिले में और 92 सड़कें कुल्लू जिले में अवरुद्ध हैं। इन मार्गों के बंद होने से आवाजाही और आपूर्ति प्रभावित हो रही है। स्थानीय प्रशासन की ओर से यातायात बहाल करने के लिए लगातार प्रयास जारी हैं।

मानसून में अब तक हुई मौतों और नुकसान का आंकड़ा

हिमाचल प्रदेश में इस मानसून सीजन में अब तक 112 लोगों की बारिश और भूस्खलन से मौत हो चुकी है। इसके अलावा, 37 लोग अभी भी लापता हैं। साथ ही, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) के अनुसार मानसून से जुड़ी घटनाओं में कुल 219 मौतें हुई हैं। इनमें से 107 मौतें सड़क दुर्घटनाओं में हुई हैं, जबकि 112 मौतें वर्षाजनित आपदाओं से हुई हैं।

इस भारी बारिश ने बिजली और जलापूर्ति जैसी बुनियादी सुविधाओं को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। 145 बिजली ट्रांसफॉर्मर खराब हुए हैं और 520 जलापूर्ति योजनाएं बाधित हुई हैं। इससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जनता को परेशानी हो रही है।

आर्थिक नुकसान भी भारी

हिमाचल प्रदेश सरकार ने बताया है कि इस बार के मानसून में राज्य को करीब 1988 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इस नुकसान का मुख्य कारण बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने जैसी प्राकृतिक आपदाएं हैं। राज्य में मानसून के दौरान अब तक कुल 58 बाढ़, 53 बड़े भूस्खलन और 30 बादल फटने की घटनाएं दर्ज की गई हैं।

मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, हिमाचल प्रदेश में इस मानसून सीजन में 507.3 मिमी बारिश हुई है, जबकि सामान्य तौर पर 445.5 मिमी बारिश अपेक्षित होती है। इसका मतलब यह है कि बारिश सामान्य से कहीं अधिक हुई है, जिससे प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ गया है।

स्थानीय प्रशासन की तैयारी और मदद के प्रयास

हिमाचल प्रदेश की सरकार और प्रशासन ने इस आपदा के मद्देनजर लगातार बचाव और राहत कार्य चलाए हैं। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (एसईओसी) ने प्रभावित इलाकों में राहत सामग्री पहुंचाने और फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए विशेष टीमें बनाई हैं। साथ ही, स्थानीय प्रशासन सड़कें खोलने और यातायात बहाल करने में जुटा हुआ है।

सरकार ने लोगों को फिसलन वाले इलाकों और खतरे वाले स्थानों पर जाने से बचने की सलाह दी है। प्रशासन लगातार मौसम अपडेट प्रदान कर रहा है ताकि लोग सुरक्षित रह सकें।

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