सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में हिरासत के दौरान पुलिस कांस्टेबल पर हुई क्रूरता को गंभीर बताते हुए CBI जांच और 50 लाख मुआवजे का आदेश दिया।
Jammu Kashmi: जम्मू-कश्मीर में पुलिस की हिरासत में एक कांस्टेबल के साथ हुई निर्मम यातना पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए न केवल केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को जांच सौंप दी है, बल्कि केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन को पीड़ित कांस्टेबल को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी आदेश दिया है। यह मामला देश में पुलिस बर्बरता को लेकर न्यायपालिका की गंभीरता और संवेदनशीलता का प्रतीक बन गया है।
हिरासत में क्रूरता की हदें पार
याचिकाकर्ता के अनुसार, 20 फरवरी से 26 फरवरी 2023 के बीच कांस्टेबल को पूछताछ के नाम पर यातना दी गई। आरोपों के मुताबिक, उसके ऊपर मिर्च पाउडर डाला गया, जननांगों पर बिजली के झटके दिए गए और मानसिक रूप से तोड़ा गया। यह बर्ताव न केवल मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन था, बल्कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 – जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार – का भी स्पष्ट हनन था।
सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिप्पणी
सुनवाई के दौरान पीठ ने स्पष्ट किया कि यह घटना 'राज्य प्रायोजित क्रूरता' का प्रतीक है। अदालत ने कहा, 'ऐसे बर्ताव की अनुमति किसी भी लोकतांत्रिक और संवैधानिक व्यवस्था में नहीं दी जा सकती। यह घटना न्याय और कानून व्यवस्था की बुनियाद को चुनौती देती है।'
CBI को दी गई जिम्मेदारी और दिशा-निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को आदेश दिया कि वह सात दिनों के भीतर एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू करे। इसके साथ ही स्पष्ट किया गया कि CBI निदेशक एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन करेंगे, जिसकी कमान SP रैंक या उससे ऊपर के अधिकारी के पास होगी। सभी आवश्यक दस्तावेज जैसे – CCTV फुटेज, मेडिकल रिपोर्ट, फॉरेंसिक साक्ष्य और केस डायरी – जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा CBI को सौंपे जाने का निर्देश भी अदालत ने दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह जांच 90 दिनों के भीतर पूरी की जानी चाहिए।
झूठी एफआईआर को रद्द किया गया
पीड़ित कांस्टेबल पर हिरासत से छूटने के बाद आत्महत्या के प्रयास का एक मामला दर्ज किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इसे सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह एफआईआर केवल उसे और अधिक प्रताड़ित करने और मामले को दबाने के इरादे से दर्ज की गई थी। अदालत ने साफ तौर पर कहा कि यह 'एक दुर्भावनापूर्ण और कपटी कदम' था।
50 लाख रुपये मुआवजा तुरंत देने का आदेश
अदालत ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को आदेश दिया है कि पीड़ित कांस्टेबल को 50 लाख रुपये की अंतरिम राहत तत्काल दी जाए। इसके साथ ही कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह राशि दोषी अधिकारियों से वसूली जाएगी। मुआवजा राशि पीड़ित की शारीरिक और मानसिक क्षति के आधार पर तय की गई है।
10 नवंबर तक CBI को देना होगा स्टेटस रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने CBI को 10 नवंबर 2025 तक इस मामले की विस्तृत स्थिति रिपोर्ट जमा करने का आदेश दिया है। रिपोर्ट में जांच की प्रगति, दोषियों की पहचान, गिरफ्तारी की स्थिति और अन्य कानूनी कदमों का विवरण होगा।
मानवाधिकार और पुलिस सुधारों की ज़रूरत पर सवाल
यह मामला सिर्फ एक कांस्टेबल के साथ हुई क्रूरता का नहीं, बल्कि पूरे पुलिस सिस्टम की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह है। हिरासत में इस तरह की बर्बरता की घटनाएं न केवल मानवाधिकारों का हनन हैं, बल्कि लोकतंत्र के मूल्यों को भी ठेस पहुंचाती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटना पुलिस सुधारों की आवश्यकता को और प्रबल बनाती है। पुलिस तंत्र को जवाबदेह, संवेदनशील और नागरिक-अधिकारों के प्रति जागरूक बनाने की दिशा में अब कठोर कदम उठाने का समय है।