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PWD इंजीनियर कालूराम मीणा को CBI ने ₹30,000 रिश्वत लेते पकड़ा, छापेमारी से मिले अहम सुराग

PWD इंजीनियर कालूराम मीणा को CBI ने ₹30,000 रिश्वत लेते पकड़ा, छापेमारी से मिले अहम सुराग

दिल्ली में PWD इंजीनियर कालूराम मीणा को CBI ने ₹30,000 रिश्वत लेते पकड़ा। जयपुर और दिल्ली में छापों में ₹1.60 करोड़ नकद, संपत्ति के दस्तावेज और बैंक खातों की जानकारी मिली। जांच जारी है।

CBI Red: सीबीआई (CBI) ने एक बार फिर भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए दिल्ली में कार्यरत पीडब्ल्यूडी (PWD) के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर कालूराम मीणा को रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया है। मीणा पर आरोप है कि उसने एक ठेकेदार से बिल पास करने के नाम पर 3 प्रतिशत कमीशन की मांग की थी। सीबीआई की टीम ने पहले से जाल बिछाकर उसे पकड़ा और इसके बाद दिल्ली व जयपुर में उसके ठिकानों पर छापेमारी की गई, जिसमें 1.60 करोड़ रुपये नकद, कई बैंक खाते और संपत्ति से जुड़े कागजात बरामद किए गए हैं।

घूसखोरी की शिकायत से शुरू हुई कार्रवाई

इस पूरी कार्रवाई की शुरुआत हुई एक ठेकेदार की शिकायत से, जिसने आरोप लगाया कि पीडब्ल्यूडी इंजीनियर कालूराम मीणा उनसे बिल पास करवाने के लिए कमीशन मांग रहा है। ठेकेदार ने बताया कि मीणा ने ₹30,000 की रिश्वत मांगी और इसे भुगतान के बिना बिल पास करने से मना कर दिया। सीबीआई को जब इसकी सूचना मिली तो उन्होंने शिकायत की जांच कर मामला सत्यापित किया और फिर पूर्व योजना के तहत जाल बिछाया। जैसे ही पीड़ित ठेकेदार इंजीनियर को ₹30,000 की राशि देने पहुंचा, सीबीआई की टीम ने मौके पर ही उसे रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।

दिल्ली व जयपुर में छापेमारी से मिले अहम सुराग

कालूराम मीणा की गिरफ्तारी के तुरंत बाद सीबीआई ने उसकी दिल्ली और जयपुर स्थित आवासों व दफ्तरों में ताबड़तोड़ छापेमारी शुरू की। इस दौरान टीम को 1.60 करोड़ रुपये नकद, कई बैंक खातों की जानकारी, और बेशकीमती प्रॉपर्टी के दस्तावेज भी हाथ लगे। सीबीआई अधिकारियों ने बताया कि छापों के दौरान मीणा के पास से जयपुर में प्राइम लोकेशन पर कई संपत्तियों के कागजात भी मिले हैं, जिनकी बाज़ार कीमत करोड़ों में आंकी जा रही है। इसके अलावा, कुछ फर्जी कंपनियों और संदिग्ध लेन-देन के दस्तावेज भी मिले हैं, जिनकी जांच अभी जारी है।

कोर्ट कॉम्प्लेक्स में तैनाती के दौरान भ्रष्टाचार

गिरफ्तार इंजीनियर कालूराम मीणा इस समय PWD, ज्यूडिशियरी सिविल डिविजन-2 में कार्यरत था और राउज एवेन्यू डिस्ट्रिक्ट कोर्ट कॉम्प्लेक्स के निर्माण कार्य की निगरानी कर रहा था। यह एक संवेदनशील प्रोजेक्ट है जहां न्यायालय भवन का निर्माण हो रहा था। ऐसे महत्वपूर्ण सरकारी प्रोजेक्ट पर तैनात इंजीनियर द्वारा रिश्वत लेना न केवल व्यवस्था की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि ये दर्शाता है कि किस तरह भ्रष्ट अधिकारी जनहित के कार्यों को भी अपनी कमाई का जरिया बना लेते हैं।

सीबीआई की जांच से खुल सकते हैं और नाम

CBI अधिकारियों के अनुसार, मीणा के पास से मिले दस्तावेज और बैंक विवरणों से संकेत मिलते हैं कि वह लंबे समय से इस भ्रष्टाचार के खेल में शामिल था और इसमें संभवतः कुछ अन्य अधिकारी या ठेकेदार भी साझीदार हो सकते हैं। अधिकारियों का मानना है कि आने वाले दिनों में पूछताछ और दस्तावेज़ों की जांच के बाद कुछ और नामों का भी खुलासा हो सकता है। यह भी देखा जा रहा है कि मीणा द्वारा अपनी अवैध कमाई को कहां-कहां निवेश किया गया है।

क्या कहती है सीबीआई?

सीबीआई प्रवक्ता ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया, 'हमने ठोस सबूतों के आधार पर यह कार्रवाई की है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि आरोपी इंजीनियर लंबे समय से ठेकेदारों से बिल पास करवाने के नाम पर रिश्वत वसूल रहा था। उसके पास मिली संपत्तियां उसकी आय से कई गुना अधिक हैं। आगे की जांच में कई और खुलासे संभव हैं।'

जनता में आक्रोश, अधिकारियों पर सवाल
 
इस खुलासे के बाद लोक निर्माण विभाग की साख पर सवाल खड़े हो गए हैं। आम जनता और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकारी विभागों में बैठे भ्रष्ट अधिकारी ही देश की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा हैं। सोशल मीडिया पर भी इस मामले को लेकर लोगों का गुस्सा फूटा है और CBI से उम्मीद की जा रही है कि वह सभी दोषियों को पकड़कर कार्रवाई करेगी।

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