शुक्रवार को बाजार में ब्रोकरेज और मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर इंस्टिट्यूशंस (MII) कंपनियों के शेयरों पर दबाव देखने को मिला, जब सेबी ने प्रमुख अमेरिकी प्रोप्राइटरी ट्रेडिंग फर्म जेन स्ट्रीट पर कार्रवाई की। इस घटनाक्रम के बाद निवेशकों में यह चिंता बढ़ गई कि वायदा और विकल्प (F&O) सेगमेंट में प्रमुख भूमिका निभाने वाली जेन स्ट्रीट पर प्रतिबंध लगने से ट्रेडिंग वॉल्यूम और नीचे आ सकता है।
भारतीय शेयर बाजार में शुक्रवार को जबरदस्त हलचल देखने को मिली, जब बाजार नियामक सेबी ने अमेरिकी प्रोप्राइटरी ट्रेडिंग फर्म जेन स्ट्रीट के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की। इस कदम का सीधा असर मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर इंस्टिट्यूशंस यानी MII और ब्रोकरेज कंपनियों के शेयरों पर पड़ा। बीएसई, सीडीएसएल, नुवामा वेल्थ, ऐंजल वन और मोतीलाल ओसवाल जैसी कंपनियों के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई।
बीएसई और सीडीएसएल के शेयरों में बड़ी गिरावट
मार्केट ओपन होते ही MII श्रेणी की दो प्रमुख कंपनियों पर दबाव बना। बीएसई का शेयर 6.5 प्रतिशत की गिरावट के साथ 2,639 रुपये पर आ गया। वहीं, सीडीएसएल का शेयर भी करीब 2.5 प्रतिशत टूटकर 1,763 रुपये पर बंद हुआ। इस गिरावट का मुख्य कारण यह चिंता रही कि जेन स्ट्रीट पर प्रतिबंध लगने के बाद वायदा और विकल्प (F&O) सेगमेंट में ट्रेडिंग वॉल्यूम और घट सकता है।
ब्रोकरेज कंपनियों के शेयरों पर भी असर
सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियां ही नहीं, बल्कि ब्रोकरेज फर्मों के शेयर भी इस कार्रवाई से प्रभावित हुए। जेन स्ट्रीट की स्थानीय ट्रेडिंग पार्टनर नुवामा वेल्थ का शेयर करीब 11 प्रतिशत तक गिरा। इसके अलावा ऐंजल वन, मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज और 5पैसा डॉट कॉम जैसी कंपनियों के शेयरों में भी 1 से 6 प्रतिशत तक की गिरावट देखी गई।
जेन स्ट्रीट का बड़ा वॉल्यूम शेयर
ट्रेडिंग समुदाय में हलचल और चिंता की सबसे बड़ी वजह जेन स्ट्रीट की F&O मार्केट में हिस्सेदारी है। जीरोधा के संस्थापक नितिन कामत ने अपने सोशल मीडिया पर बताया कि ऑप्शन ट्रेडिंग के कुल वॉल्यूम का लगभग 50 प्रतिशत जेन स्ट्रीट जैसे प्रॉप ट्रेडिंग फर्मों से आता है।
कामत का कहना है कि अगर जेन स्ट्रीट की ट्रेडिंग बंद होती है, तो खुदरा निवेशक जो 35 प्रतिशत तक वॉल्यूम में योगदान करते हैं, वे भी प्रभावित हो सकते हैं। इसीलिए यह स्थिति एक्सचेंजों और ब्रोकरेज कंपनियों दोनों के लिए चिंता की बात है।
F&O वॉल्यूम में पहले ही आई गिरावट
डेटा बताता है कि वायदा और विकल्प सेगमेंट में वॉल्यूम पहले ही अपने उच्चतम स्तर से नीचे गिर चुका है। सितंबर में यह जहां रोजाना औसतन 537 लाख करोड़ रुपये था, वहीं अब यह घटकर 346 लाख करोड़ रुपये रह गया है। यानी करीब 35 प्रतिशत की गिरावट पहले ही आ चुकी है।
सेबी की सख्ती और हेरफेर रोकने के कदमों के चलते F&O सेगमेंट पहले से दबाव में है, और अब जेन स्ट्रीट जैसे बड़े खिलाड़ी पर कार्रवाई से यह गिरावट और गहरी हो सकती है।
सेबी का बड़ा फैसला और निर्देश
सेबी ने जेन स्ट्रीट को भारतीय बाजारों से प्रतिबंधित कर दिया है। इसके साथ ही उस पर 4,843.5 करोड़ रुपये के कथित अवैध लाभ को जब्त करने का आदेश भी दिया गया है। स्टॉक एक्सचेंजों को निर्देशित किया गया है कि वे जेन स्ट्रीट समूह की गतिविधियों पर निगरानी रखें, ताकि वह किसी प्रकार की हेराफेरी में दोबारा लिप्त न हो सके।
सेबी ने यह भी स्पष्ट किया है कि जेन स्ट्रीट को अपनी सभी ओपन पोजीशनों से बाहर निकलने के लिए तीन महीने का समय दिया जाएगा।
फरवरी से ही सेबी की निगरानी में थी कंपनी
दिलचस्प बात यह है कि सेबी ने इस साल फरवरी में ही एनएसई को निर्देश दिया था कि वह जेन स्ट्रीट को चेतावनी नोटिस भेजे। इस नोटिस में फर्म को कुछ विशेष ट्रेडिंग पैटर्न से दूर रहने और बड़ी पोजीशन न लेने की सलाह दी गई थी। इसके बाद जेन स्ट्रीट ने कुछ समय के लिए ट्रेडिंग भी रोक दी थी।
हालांकि सूत्रों का कहना है कि उस दौरान वॉल्यूम में कोई खास गिरावट नहीं देखी गई थी। इससे यह भी संकेत मिला कि बाजार एक ही खिलाड़ी पर पूरी तरह निर्भर नहीं है।
बाजार में अभी और उतार-चढ़ाव संभव
सेबी की इस कार्रवाई ने बाजार में अस्थिरता को और बढ़ा दिया है। यह स्पष्ट है कि अगर F&O वॉल्यूम में और गिरावट आती है तो इसका असर ब्रोकरेज कंपनियों की कमाई, एक्सचेंजों की आय और निवेशकों की गतिविधियों पर भी पड़ेगा।
बाजार से जुड़े लोग अब इस बात पर नजर रख रहे हैं कि अगले कुछ हफ्तों में वॉल्यूम और निवेशकों की सक्रियता में किस तरह का बदलाव आता है। खासकर ऐसे समय में जब खुदरा निवेशक पहले ही कम सक्रियता दिखा रहे हैं, और नियामकीय सख्ती का दौर लगातार जारी है।