उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दे दिया है। उनके इस्तीफे के बाद उपराष्ट्रपति पद खाली हो गया है। जानिए अब चुनाव प्रक्रिया क्या होगी और अगला चेहरा कौन हो सकता है।
Jagdeep Dhankhar Resigns: भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सोमवार देर शाम अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए यह फैसला लिया, लेकिन यह कदम संसद के मानसून सत्र के शुरू होते ही उठाया गया, जिससे सियासी हलचल तेज हो गई है। इस घटनाक्रम के बाद अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा और इस संवैधानिक पद के लिए चुनाव की प्रक्रिया क्या होगी।
राष्ट्रपति अनुपस्थित होने पर उपराष्ट्रपति संभालते हैं जिम्मेदारी
भारतीय संविधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति का पद केवल एक सांकेतिक जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि उसकी भूमिका कई स्तरों पर बेहद महत्वपूर्ण होती है। उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति के तौर पर कार्य करते हैं और उच्च सदन की कार्यवाही को नियंत्रित करते हैं। इतना ही नहीं, अगर किसी कारणवश राष्ट्रपति का पद खाली हो जाए या वे अपनी जिम्मेदारियों के निर्वहन में असमर्थ हों, तो कार्यवाहक राष्ट्रपति के तौर पर उपराष्ट्रपति ही देश की बागडोर संभालते हैं।
उपराष्ट्रपति पद के लिए कौन करता है मतदान?
उपराष्ट्रपति के चुनाव में केवल संसद के सदस्य ही मतदान करते हैं। इसमें लोकसभा के 543 और राज्यसभा के 245 सदस्य शामिल होते हैं, जिनमें राज्यसभा के 12 मनोनीत सदस्य भी वोटिंग का हिस्सा होते हैं। यानी कुल 788 सांसद उपराष्ट्रपति चुनने की प्रक्रिया में भाग लेते हैं। यह प्रक्रिया राष्ट्रपति चुनाव से भिन्न होती है, क्योंकि राष्ट्रपति के चुनाव में राज्य विधानसभाओं के सदस्य भी हिस्सा लेते हैं।
कैसे होता है मतदान? जानिए पूरा सिस्टम
उपराष्ट्रपति का चुनाव प्रोपोर्शनल रिप्रेजेंटेशन सिस्टम के तहत किया जाता है और इसमें सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम का उपयोग होता है। हर सांसद को एक वोट दिया जाता है, लेकिन उसे उम्मीदवारों को प्राथमिकता के आधार पर रैंक देना होता है। यदि तीन उम्मीदवार मैदान में हैं – A, B और C – तो वोटर बैलेट पेपर पर A के आगे 1, B के आगे 2 और C के आगे 3 अंकित कर सकता है।
जीत का गणित: कैसे तय होता है विजेता
मतदान के बाद, उम्मीदवारों को प्रथम प्राथमिकता के आधार पर मिले वोटों की गिनती की जाती है। जीत के लिए आवश्यक कोटा इस फार्मूले से तय होता है — कुल वैध वोटों को दो से विभाजित कर उसमें एक जोड़ा जाता है। उदाहरण के लिए यदि 787 सांसदों ने वोट डाले हैं, तो (787/2) + 1 = 394 वोटों की आवश्यकता होगी। यदि किसी उम्मीदवार को पहले ही राउंड में यह कोटा मिल जाता है, तो वह विजेता घोषित हो जाता है। अन्यथा, सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवार को हटा दिया जाता है और उसके वोटों की दूसरी प्राथमिकता को अन्य उम्मीदवारों में ट्रांसफर किया जाता है। यह प्रक्रिया तब तक दोहराई जाती है, जब तक कोई उम्मीदवार जरूरी संख्या पार नहीं कर लेता।
कौन होंगे संभावित दावेदार?
धनखड़ के इस्तीफे के बाद राजनीतिक दलों की सक्रियता बढ़ गई है। हालांकि अभी तक किसी पार्टी ने आधिकारिक उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है, लेकिन संभावना है कि सत्ताधारी दल ऐसा चेहरा सामने लाएगा जो राजनीतिक, सामाजिक और जातीय समीकरणों के लिहाज से मजबूत हो। विपक्ष भी एक साझा और सर्वस्वीकार्य उम्मीदवार की तलाश में है, ताकि एक मजबूत मुकाबला पेश किया जा सके।
उपराष्ट्रपति बनने के लिए क्या होनी चाहिए योग्यता?
उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार को भारतीय नागरिक होना आवश्यक है। उसकी आयु कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए और उसे राज्यसभा सदस्य बनने की पात्रता होनी चाहिए। इसके साथ ही नामांकन के समय उम्मीदवार को 15,000 रुपये की जमानत राशि भी जमा करनी होती है। यदि उसे कुल वैध वोटों का कम से कम 1/6 हिस्सा नहीं मिलता, तो यह राशि जब्त हो जाती है।
चुनाव आयोग तय करेगा अगला शेड्यूल
अब जब उपराष्ट्रपति का पद रिक्त हो चुका है, भारत निर्वाचन आयोग जल्द ही चुनाव की तारीखों की घोषणा करेगा। इसमें नामांकन, स्क्रूटिनी, नाम वापसी की अंतिम तिथि, मतदान और मतगणना की तिथियां शामिल होंगी। आमतौर पर यह प्रक्रिया 30 से 35 दिनों के भीतर पूरी कर ली जाती है।