सुप्रीम कोर्ट आज राष्ट्रपति और राज्यपाल के विधेयकों पर निर्णय की समयसीमा तय करने को लेकर सुनवाई करेगा, जिससे संवैधानिक स्पष्टता आएगी।
Vikas Divyakirti: देश के चर्चित मोटिवेशनल स्पीकर और दृष्टि IAS कोचिंग संस्थान के संस्थापक डॉ. विकास दिव्यकीर्ति एक बार फिर कानूनी घेरे में हैं। उनके एक वीडियो बयान – 'IAS बनाम जज: कौन ज्यादा ताकतवर?' – को लेकर उठे विवाद ने अब कानूनी मोड़ ले लिया है। अजमेर की निचली अदालत में उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज है, जिसकी सुनवाई आज होनी है। साथ ही, इस आदेश को चुनौती देते हुए दाखिल की गई हाईकोर्ट याचिका पर सुनवाई अब मंगलवार यानी आज के लिए टाल दी गई है।
क्या है मामला?
पूरा मामला विकास दिव्यकीर्ति के एक यूट्यूब वीडियो 'IAS वर्सेज जज – कौन ज्यादा ताकतवर' से जुड़ा हुआ है। इस वीडियो में उन्होंने IAS अधिकारियों को न्यायपालिका के अधिकारियों से अधिक शक्तिशाली बताया था। हालांकि वीडियो का उद्देश्य तुलनात्मक विश्लेषण के तौर पर बताया गया, लेकिन वकील कमलेश मंडोलिया ने इसे न्यायपालिका की गरिमा के खिलाफ मानते हुए अजमेर की अदालत में मानहानि का मुकदमा दर्ज करा दिया।
अजमेर कोर्ट का आदेश: 22 जुलाई को पेशी अनिवार्य
शिकायत की सुनवाई के बाद अजमेर न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या-2 की अदालत ने विकास दिव्यकीर्ति को 22 जुलाई को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए। अदालत ने करीब 40 पन्नों का आदेश पारित करते हुए मानहानि की याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार किया और संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किए।
हाईकोर्ट में राहत की कोशिश, सुनवाई टली
विकास दिव्यकीर्ति ने इस आदेश को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी है। उनकी ओर से पेश हुए वकील पुनीत सिंघवी ने दलील दी कि डॉ. दिव्यकीर्ति का उद्देश्य किसी की मानहानि करना नहीं था, बल्कि वह केवल एक शैक्षणिक दृष्टिकोण से तुलना कर रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ की गई आपराधिक कार्रवाई अनावश्यक और अनुचित है। हालांकि सोमवार को हाईकोर्ट में समयाभाव के चलते मामले की सुनवाई नहीं हो सकी, जिसे अब मंगलवार के लिए स्थगित कर दिया गया है।
सोशल मीडिया पर फिर घिरे दिव्यकीर्ति
यह कोई पहली बार नहीं है जब विकास दिव्यकीर्ति अपने बयानों को लेकर विवादों में आए हैं। इससे पहले भी उनके धार्मिक, सामाजिक और संवैधानिक विषयों पर दिए गए बयानों को लेकर कई बार विरोध हो चुका है। हालांकि उनके समर्थक यह मानते हैं कि वह एक खुले विचारों वाले शिक्षक हैं जो विद्यार्थियों को तथ्यों के आधार पर सोचने की प्रेरणा देते हैं। वहीं, आलोचकों का मानना है कि वे अकसर संवेदनशील विषयों पर बोलते हुए संविधान और न्यायपालिका की मर्यादा का ध्यान नहीं रखते।
कोर्ट में पेशी के लिए अजमेर पहुंचे दिव्यकीर्ति?
सूत्रों की मानें तो डॉ. विकास दिव्यकीर्ति अजमेर पहुंच चुके हैं, जहां वे तय समय पर न्यायालय में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे। उनके साथ उनकी लीगल टीम और कुछ समर्थक भी मौजूद रहेंगे। कोर्ट में उनकी पेशी के दौरान मीडिया और छात्रों की बड़ी भीड़ जुटने की संभावना है।
शिक्षा जगत में मिली-जुली प्रतिक्रिया
शिक्षाविदों और छात्रों के बीच इस पूरे मामले को लेकर विभाजित राय देखने को मिल रही है। कुछ लोग इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मसला बता रहे हैं तो कुछ इसे न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला कार्य मान रहे हैं। दृष्टि IAS के हजारों छात्र सोशल मीडिया पर उनके समर्थन में उतर आए हैं, वहीं कई वकीलों और न्यायिक अधिकारियों ने इस तरह की सार्वजनिक तुलना को गंभीर और अनुचित बताया है।
आगे क्या होगा?
अब सबकी नजरें मंगलवार को हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं। यदि हाईकोर्ट से उन्हें राहत नहीं मिलती, तो दिव्यकीर्ति को अजमेर कोर्ट में लंबी कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ सकता है। इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि शिक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमा कहां तक है, और क्या सार्वजनिक मंचों से किसी भी संवैधानिक संस्था की तुलना करना उचित है या नहीं।