JNU में छात्रों और दिल्ली पुलिस के बीच झड़प हुई, जिसमें 28 छात्र हिरासत में लिए गए। JNUSU अध्यक्ष नीतीश कुमार सहित कई छात्र शामिल हैं। झड़प में 6 पुलिसकर्मी घायल हुए, छात्रों ने एफआईआर की मांग की।
नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के छात्रों और दिल्ली पुलिस के बीच आज झड़प हुई। इस घटना में JNU स्टूडेंट यूनियन (JNUSU) के अध्यक्ष नीतीश कुमार, उपाध्यक्ष मनीषा और जनरल सेक्रेट्री मुन्तेहा फातिमा सहित कुल 28 छात्रों को हिरासत में लिया गया। घटना के दौरान छह पुलिसकर्मी भी घायल हुए।
दिल्ली पुलिस ने बताया कि शाम के समय लगभग 70-80 छात्र नेल्सन मंडेला मार्ग की ओर जाने की कोशिश कर रहे थे। पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए बैरिकेड्स लगाए, लेकिन छात्र इसे तोड़ते हुए आगे बढ़े। इसी दौरान दोनों पक्षों के बीच झड़प हुई और पुलिस ने 28 छात्रों को कापसहेड़ा थाना लेकर गई।
छात्रों के हिंसक प्रदर्शन पर पुलिस का बयान
पुलिस के अनुसार, छात्रों ने बार-बार अनुरोध के बावजूद बलपूर्वक बैरिकेड तोड़े और पुलिसकर्मियों के साथ हाथापाई की। पुलिस ने कहा कि छात्रों ने अभद्र भाषा का प्रयोग भी किया और नेल्सन मंडेला मार्ग पर आकर यातायात बाधित किया। इस हिंसक घटना में छह पुलिसकर्मी घायल हुए, जिनका इलाज किया जा रहा है।
पुलिस का कहना है कि छात्रों के इस हिंसक व्यवहार ने सड़क पर सुरक्षा और सामान्य यातायात के लिए गंभीर खतरा पैदा किया। पुलिस ने छात्रों को हिरासत में लेकर मामले की जांच शुरू कर दी है।
JNUSU अध्यक्ष ने ABVP पर लगाए गंभीर आरोप
JNUSU अध्यक्ष नीतीश कुमार ने कहा कि पूरा विवाद ABVP (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) की वजह से हुआ। नीतीश कुमार ने बताया कि सुबह आयोजित JNUSU चुनावों की जनरल बॉडी मीटिंग (GBM) के दौरान ABVP के कुछ सदस्यों ने काउंसलर रजत को पीटा।
नीतीश कुमार ने आगे कहा, "हम शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना चाहते थे, लेकिन ABVP के सदस्यों ने हमें दो घंटे तक बंधक बनाया और जातिवादी गालियां दीं। इसके बाद हमने पुलिस से संपर्क किया, लेकिन एसएचओ बलबीर सिंह कोई उचित कार्रवाई नहीं कर सके।"
मार्च के दौरान पुलिस और छात्रों में झड़प
नीतीश कुमार ने कहा कि छात्रों ने एफआईआर दर्ज कराने की मांग को लेकर वसंत कुंज थाना की ओर मार्च किया। पुलिस ने बैरिकेड्स लगाकर उन्हें रोक दिया। इस दौरान झड़प हुई, छात्रों के कपड़े फाड़े गए, मोबाइल और अन्य सामान छीन लिए गए। नीतीश कुमार ने इसे गैरकानूनी नजरबंदी बताया और कहा कि उनका शांतिपूर्ण विरोध दबाया गया।
उपाध्यक्ष मनीषा और जनरल सेक्रेट्री मुन्तेहा फातिमा ने भी बताया कि उनका उद्देश्य केवल न्याय और सुरक्षा सुनिश्चित करना था। उनका कहना है कि पुलिस हस्तक्षेप से हिंसा