भारतीय तेज़ गेंदबाज़ जसप्रीत बुमराह का इंग्लैंड दौरे पर सिर्फ तीन टेस्ट मैचों में खेलना पहले से तय था, और यह फैसला वर्कलोड मैनेजमेंट को ध्यान में रखकर लिया गया था।
स्पोर्ट्स न्यूज़: भारतीय तेज़ गेंदबाज़ जसप्रीत बुमराह के टेस्ट करियर पर अब खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) एक नए नियम पर विचार कर रहा है, जो खिलाड़ियों के वर्कलोड मैनेजमेंट और सीरीज चुनने की स्वतंत्रता को सीमित कर सकता है। अगर यह नियम लागू होता है, तो इसका सबसे बड़ा असर बुमराह जैसे खिलाड़ियों पर पड़ सकता है, जो अपने शरीर की स्थिति के अनुसार मैच खेलने का चुनाव करते हैं।
इंग्लैंड दौरे पर वर्कलोड मैनेजमेंट बना विवाद का कारण
हाल ही में भारत के इंग्लैंड दौरे के दौरान बुमराह ने केवल तीन टेस्ट मैच खेले। सीरीज के दौरान यह पहले ही साफ कर दिया गया था कि बुमराह को सिर्फ तीन मुकाबलों में उतारा जाएगा। इसका कारण उनके शरीर का वर्कलोड मैनेजमेंट था। हालांकि, जब वे द ओवल में खेले गए अंतिम टेस्ट में नहीं उतरे, तो यह निर्णय आलोचना का विषय बन गया।
टीम इंडिया के नए हेड कोच गौतम गंभीर को इस फैसले के लिए आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। वहीं, चीफ सेलेक्टर अजीत अगरकर के साथ मिलकर अब वे ऐसे खिलाड़ियों की संख्या सीमित करने के पक्ष में हैं जो अपनी सहूलियत से मैचों का चयन करते हैं।
BCCI ला सकती है नया सख्त नियम
पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, BCCI अब एक ऐसा नियम लाने की तैयारी में है जिससे खिलाड़ी मनमर्जी से सीरीज या मैचों का चुनाव नहीं कर पाएंगे। बोर्ड के अंदर यह चर्चा जोरों पर है कि फिटनेस का हवाला देकर कोई भी खिलाड़ी अब अपनी सुविधा के अनुसार नहीं खेलेगा। इस नए नियम का उद्देश्य खिलाड़ियों की प्राथमिकताओं को राष्ट्रीय टीम के हित में सुनिश्चित करना है।
कोच गंभीर, चयन समिति प्रमुख अगरकर और बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी इस दिशा में एकजुट हैं कि "वर्कलोड" के नाम पर मैचों से दूरी बनाना बंद होना चाहिए। अगर यह नियम लागू होता है, तो इसका सीधा असर जसप्रीत बुमराह पर पड़ सकता है, जिनका फिटनेस इतिहास काफी चुनौतीपूर्ण रहा है।
क्या टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले सकते हैं बुमराह?
बुमराह का करियर शानदार रहा है, लेकिन साथ ही लगातार चोटों ने उनकी उपलब्धता को प्रभावित किया है। पीठ, ग्रोइन और मांसपेशियों से जुड़ी समस्याओं के कारण वे लंबे समय तक बाहर भी रहे हैं। यही वजह रही कि टीम मैनेजमेंट ने उनके वर्कलोड को सीमित रखने का फैसला किया। लेकिन अगर BCCI खिलाड़ियों को अब यह विकल्प नहीं देती कि वे किन सीरीज या फॉर्मेट में खेलेंगे, तो बुमराह को टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने पर विचार करना पड़ सकता है। टेस्ट मैचों की लंबी अवधि, अधिक ओवर और शरीर पर भारी दबाव को देखते हुए उनके लिए हर सीरीज में लगातार खेलना संभव नहीं होगा।
हालांकि, अभी बुमराह ने इस विषय पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है, लेकिन बोर्ड के नए प्रस्तावों के लागू होने की स्थिति में उनके जैसे खिलाड़ियों के लिए भविष्य की राह चुनौतीपूर्ण हो सकती है।