भारत में इस जुलाई महीने में सामान्य से अधिक बारिश होने के संकेत हैं। भारतीय मौसम विभाग ने सोमवार को जानकारी दी कि जुलाई में वर्षा लंबी अवधि के औसत (LPA) से करीब 106% तक ज्यादा रह सकती है। यह खेती-किसानी और जल भंडारण के लिहाज से अच्छी खबर है।
मौसम: देशभर में मॉनसून को लेकर भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने बड़ी राहत भरी खबर दी है। जुलाई महीने में भारत में सामान्य से ज्यादा, यानी लंबी अवधि के औसत (LPA) का 106% तक बारिश होने की संभावना जताई गई है। इसका मतलब है कि इस बार जुलाई में जमकर बादल बरसने वाले हैं, जो किसानों और पानी के संकट से जूझ रहे लोगों के लिए बहुत सकारात्मक संकेत है। खास बात यह है कि मॉनसून इस साल 29 जून तक पूरे देश को कवर कर चुका है, जो सामान्य तारीख से नौ दिन पहले हुआ है। इससे पहले 2020 में भी मॉनसून ने 26 जून तक पूरे देश को अपनी चपेट में ले लिया था।
आईएमडी ने बताया कि इस जुलाई में लगभग 28 सेंटीमीटर बारिश हो सकती है, जो मॉनसून सीजन (जून से सितंबर) का सबसे अहम महीना साबित होगा। गौरतलब है कि भारत में 87 सेंटीमीटर के औसत मॉनसून सीजन में अगर बारिश 96% से 104% के बीच रहती है, तो उसे सामान्य माना जाता है, जबकि 106% का अनुमान इसे सामान्य से बेहतर दर्शाता है।
मध्य भारत और पहाड़ी राज्यों में झमाझम बारिश, पूर्वोत्तर में मायूसी
आईएमडी के अनुसार, जुलाई में मध्य भारत, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और दिल्ली समेत कई इलाकों में अच्छी बारिश देखने को मिलेगी। इन क्षेत्रों में बनने वाले कम दबाव के कारण बादल ज्यादा सक्रिय रहेंगे, जिससे लगातार बारिश की संभावना है। इससे खेती-किसानी और जलस्तर में सुधार को लेकर भी अच्छी उम्मीदें बंधी हैं।
वहीं दूसरी ओर, पूर्वोत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों, पूर्वी भारत के कुछ इलाकों, दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत के कुछ हिस्सों और उत्तर-पश्चिम भारत के चुनिंदा क्षेत्रों में सामान्य से कम बारिश होने का अनुमान है। इसका मतलब है कि इन राज्यों को अभी भी सूखे जैसे हालात की चिंता करनी पड़ेगी।
समय से पहले पहुंचा मॉनसून, लेकिन रफ्तार में उतार-चढ़ाव
इस बार मॉनसून ने सामान्य तारीख से काफी पहले, 24 मई को ही केरल में दस्तक दी थी। 2009 के बाद यह पहली बार था, जब मॉनसून इतनी जल्दी भारतीय मुख्य भूमि में पहुंचा। हालांकि, 29 मई से लेकर 16 जून के बीच इसकी गति धीमी रही और कई हिस्सों में बारिश देर से पहुंची। लेकिन फिर रफ्तार पकड़कर 29 जून तक पूरे देश को ढक लिया, जो ऐतिहासिक रूप से भी बेहद सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।
मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक, मॉनसून की यह जल्दी शुरुआत और जुलाई में प्रचुर वर्षा का अनुमान किसानों के लिए एक बड़ा वरदान साबित हो सकता है। खरीफ की फसलों की बुवाई में मदद के साथ-साथ यह जलाशयों और भूजल स्तर को भी भरने में अहम भूमिका निभाएगा, जिससे पीने का पानी और बिजली उत्पादन के लिए हालात सुधरेंगे।
कृषि और अर्थव्यवस्था को मिलेगा बल
भारत में लगभग 42% आबादी की आजीविका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है, और कृषि का योगदान देश की जीडीपी में लगभग 18% माना जाता है। ऐसे में सामान्य से अधिक बारिश का मतलब होगा कि किसानों को सिंचाई पर कम खर्च करना पड़ेगा और पैदावार बेहतर होने की उम्मीद भी बढ़ेगी।इसके अलावा, अच्छी बारिश से देश के प्रमुख जलाशय भी भरेंगे, जिनका इस्तेमाल न सिर्फ खेती बल्कि शहरी इलाकों में पीने के पानी और उद्योगों के लिए भी होता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर आईएमडी का अनुमान सटीक रहा, तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को जबरदस्त गति मिल सकती है।
कहीं खुशी, कहीं गम का माहौल
हालांकि, पूर्वोत्तर और कुछ दक्षिणी राज्यों में बारिश कम होने की आशंका चिंता का विषय बनी हुई है। इन क्षेत्रों में पहले से ही जलसंकट और सूखे जैसे हालात बने रहते हैं, और वहां अगर जुलाई में भी पानी कम बरसा, तो स्थिति और बिगड़ सकती है। आईएमडी ने सभी राज्यों को सलाह दी है कि वे स्थानीय आपदा प्रबंधन टीमों और कृषि विभागों के साथ मिलकर तैयारी रखें, ताकि ज्यादा या कम बारिश के असर को संभाला जा सके।