भारत का पुराना कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज (CSE) बंद हो रहा है। SEBI से मंजूरी मिलने के बाद यह होल्डिंग कंपनी बनेगा। ब्रोकिंग सेवाएं CSE Capital Markets Pvt Ltd के माध्यम से जारी रहेंगी। कर्मचारियों के लिए VRS लागू किया गया।
Stock Market: भारत के सबसे पुराने स्टॉक एक्सचेंजों में से एक, कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज (Calcutta Stock Exchange – CSE) इस साल अपनी अंतिम काली पूजा और दिवाली मना सकता है। लगभग एक दशक लंबी कानूनी लड़ाई और नियमों का पालन न करने के कारण एक्सचेंज ने कारोबार बंद करने का निर्णय लिया है। SEBI से मंजूरी मिलने के बाद यह अब होल्डिंग कंपनी के रूप में काम करेगा और इसकी सब्सिडियरी कंपनी, CSE Capital Markets Pvt Ltd (CCMPL), एनएसई और बीएसई के सदस्य के रूप में ब्रोकिंग जारी रखेगी।
SEBI द्वारा कारोबार निलंबन
अप्रैल 2013 में SEBI ने नियमों का पालन न करने के कारण CSE में कारोबार निलंबित कर दिया। इसके बाद एक्सचेंज ने अदालतों में SEBI के आदेशों के खिलाफ प्रयास किए, लेकिन ट्रेडिंग फिर से शुरू नहीं हो सकी। अब CSE ने स्वैच्छिक रूप से अपना स्टॉक एक्सचेंज लाइसेंस वापस करने का निर्णय लिया और इस प्रक्रिया को अंतिम चरण में पहुँचाया है।
शेयरधारकों की मंजूरी
25 अप्रैल 2025 को असाधारण आमसभा के जरिए शेयरधारकों से कारोबार बंद करने की मंजूरी प्राप्त की गई। इसके बाद SEBI के पास कारोबार से हटने का आवेदन भेजा गया। SEBI ने CSE के वैल्यूएशन के लिए मूल्यांकक एजेंसी नियुक्त की है, जो अंतिम अनुमोदन से पहले प्रक्रिया पूरी कर रही है।
1908 में स्थापित CSE ने कभी बीएसई को टक्कर दी और कोलकाता की वित्तीय विरासत का प्रतीक बना। 1990 के दशक में लायंस रेंज में ट्रेडिंग का माहौल बहुत सक्रिय था। अनुभवी शेयर ब्रोकर सिद्धार्थ थिरानी ने कहा कि “हम हर दिन ट्रेडिंग से पहले देवी लक्ष्मी की प्रार्थना करते थे। यह दिवाली उस विरासत को विदाई देने जैसी है।”
120 करोड़ रुपये के केतन पारेख घोटाले ने एक्सचेंज को कमजोर कर दिया। कई ब्रोकर अपने सेटलमेंट दायित्व पूरे नहीं कर पाए, जिससे निवेशकों और नियामकों का भरोसा टूट गया। परिणामस्वरूप ट्रेडिंग गतिविधियों में लंबे समय तक गिरावट आई और CSE धीरे-धीरे स्वतंत्र मार्केट की पहचान खोने लगा।
वीआरएस योजना
CSE ने सभी कर्मचारियों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (VRS) लागू की है। इसमें 20.95 करोड़ रुपये का एकमुश्त भुगतान शामिल है, जिससे लगभग 10 करोड़ रुपये की वार्षिक बचत होगी। कर्मचारियों ने योजना को अपनाया, जबकि कुछ को अनुपालन कार्य के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर रखा गया।
CSE का योगदान
CSE के चेयरमैन दीपांकर बोस ने वित्त वर्ष 2024-25 की रिपोर्ट में बताया कि एक्सचेंज ने भारत के पूंजी बाजारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसमें 1,749 सूचीबद्ध कंपनियां और 650 पंजीकृत व्यापारिक सदस्य शामिल थे। इसने भारतीय पूंजी बाजारों में स्थायित्व और विश्वास बनाए रखने में मदद की।
कानूनी लड़ाई का अंत
दिसंबर 2024 में निदेशक मंडल ने उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में लंबित मामलों को वापस लेने और स्वैच्छिक निकासी का निर्णय लिया। प्रस्ताव 18 फरवरी 2025 को SEBI के पास प्रस्तुत किया गया और 25 अप्रैल 2025 को शेयरधारकों की मंजूरी प्राप्त हुई। अब CSE स्वतंत्र स्टॉक एक्सचेंज के रूप में अपना इतिहास पूरा कर रहा है। SEBI ने CSE की तीन एकड़ की संपत्ति को 253 करोड़ रुपये में सृजन ग्रुप को बेचने की मंजूरी दी।