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Marco Rubio ने ट्रंप प्रशासन पर साधा निशाना, कहा– पाकिस्तान को दी गई रियायतों से भारत को हुआ नुकसान

Marco Rubio ने ट्रंप प्रशासन पर साधा निशाना, कहा– पाकिस्तान को दी गई रियायतों से भारत को हुआ नुकसान

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने कहा कि अमेरिका भारत से दोस्ती की कीमत पर पाकिस्तान से संबंध नहीं बढ़ाएगा। उन्होंने भारत की व्यावहारिक विदेश नीति और रणनीतिक संतुलन की सराहना करते हुए भारत-अमेरिका संबंधों को ऐतिहासिक बताया।

US News: अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने पाकिस्तान और भारत के संबंधों को लेकर अपनी स्पष्ट राय रखी है। उन्होंने कहा कि अमेरिका भारत से दोस्ती की कीमत पर पाकिस्तान के साथ अपने रिश्तों को बढ़ाना नहीं चाहता। कुआलालंपुर में आसियान बैठक के दौरान पत्रकारों से बातचीत में रूबियो ने यह भी कहा कि भारत और अमेरिका के संबंध ऐतिहासिक और परिपक्व हैं। उन्होंने भारत की विदेश नीति की व्यावहारिक समझ की सराहना करते हुए कहा कि भारत हर पहलू को संतुलित रूप से देखता है।

भारत-पाकिस्तान पर अमेरिका की नीति

रुबियो ने स्पष्ट किया कि अमेरिका कई देशों के साथ अपने संबंधों को बढ़ाने का अवसर देख रहा है, लेकिन इसमें भारत-पाकिस्तान के बीच संतुलन बनाए रखना अहम है। उन्होंने कहा कि भारत व्यवहारिक और परिपक्व दृष्टिकोण अपनाता है और वह यह समझता है कि अलग-अलग देशों के साथ संबंधों में संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। रूबियो ने यह भी जोड़ा कि भारत की विदेश नीति में किसी एक देश को नुकसान पहुंचाए बिना अन्य देशों के साथ संबंध बनाए रखना एक परिपक्व कदम है।

रूस से तेल खरीद पर रूबियो का रुख

रूसी तेल की खरीद को लेकर रूबियो ने कहा कि भारत ने पहले ही कच्चे तेल की खरीद में विविधता लाने की इच्छा जताई है। उन्होंने इसे एक सकारात्मक कदम बताया और कहा कि भारत चाहे तो अमेरिका से भी तेल खरीद सकता है। रूबियो ने यह स्पष्ट किया कि तेल और ट्रेड डील से जुड़े मुद्दों में अमेरिका सीधे नहीं जुड़ा है, लेकिन वह भारत की रणनीतिक और व्यावहारिक नीतियों का समर्थन करता है। उन्होंने कहा कि भारत जितना अमेरिका से खरीदेगा, उतना ही अन्य देशों से कम खरीदेगा और इसके नतीजे आने वाले समय में देखे जाएंगे।

व्यावहारिक विदेश नीति का महत्व

रुबियो ने भारत की विदेश नीति की परिपक्वता की तरफ ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि भारत को यह समझना है कि कई देशों के साथ संबंध बनाए रखना आवश्यक है, और यह परिपक्व विदेश नीति का हिस्सा है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिका हमेशा भारत को अपना मित्र मानता है और दोनों देशों के बीच व्यापार, रक्षा और रणनीतिक संबंधों को और मजबूत बनाने के लिए प्रयास जारी रहेगा।

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