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महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग उज्जैन: दक्षिणमुखी मंदिर और भस्म आरती की पौराणिक कथा

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग उज्जैन: दक्षिणमुखी मंदिर और भस्म आरती की पौराणिक कथा

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग उज्जैन में स्थित दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है, जो भगवान शिव को समर्पित है। इसकी भस्म आरती और पौराणिक कथाएं इसे अन्य ज्योतिर्लिंगों से अलग बनाती हैं। नागचंद्रेश्वर और ओंकारेश्वर मंदिर जैसी संरचनाएं इसे धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाती हैं। श्रद्धालु दूर-दूर से दर्शन करने आते हैं।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग: उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग हिंदू धर्म के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक और दक्षिणमुखी अनोखा मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसकी भस्म आरती देशभर से भक्तों को आकर्षित करती है। प्राचीन समय में राजा चंद्रसेन और उनकी प्रजा की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव महाकाल के रूप में प्रकट हुए। मंदिर की तीन मंजिलों में नागचंद्रेश्वर, ओंकारेश्वर और महाकाल ज्योतिर्लिंग शामिल हैं, जो आध्यात्मिक अनुभव और सांस्कृतिक महत्व प्रदान करते हैं।

उज्जैन का ऐतिहासिक महाकालेश्वर मंदिर

हिंदू धर्म में 12 ज्योतिर्लिंगों का विशेष महत्व माना गया है और इनमें से महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग उज्जैन में स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग मृत्यु और काल के स्वामी भगवान शिव को समर्पित है और इसकी महिमा का उल्लेख कई पुराणों में मिलता है। खासतौर पर यहाँ होने वाली भस्म आरती बेहद प्रसिद्ध है, जिसकी पूजा का अनुभव लेने के लिए देशभर से भक्त उज्जैन पहुँचते हैं। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग केवल धार्मिक श्रद्धा का केंद्र ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

महाकालेश्वर से जुड़ी पौराणिक कथा

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी प्रमुख कथा शिव पुराण में वर्णित है। कहा जाता है कि प्राचीन समय में उज्जैन, जिसे अवंतिका कहा जाता था, के राजा चंद्रसेन भगवान शिव के परम भक्त थे। उसी समय दूषण नामक एक राक्षस ने नगर में आतंक फैलाया। परेशान राजा चंद्रसेन ने भगवान शिव से सहायता मांगी। उनकी भक्ति और प्रजा की आस्था से प्रसन्न होकर भगवान शिव धरती फाड़कर महाकाल के रूप में प्रकट हुए और राक्षस दूषण का वध किया। इसके बाद राजा और प्रजा ने निवेदन किया कि भगवान शिव उनकी नगरी में स्थायी रूप से निवास करें। भगवान शिव ने उनकी प्रार्थना स्वीकार की और महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में उज्जैन में विराजमान हो गए।

मंदिर की अनोखी संरचना और दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग

सभी 12 ज्योतिर्लिंगों में महाकालेश्वर का विशेष स्थान है क्योंकि यह एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। मंदिर की संरचना तीन हिस्सों में बंटी हुई है। सबसे ऊपरी हिस्से में नाग चंद्रेश्वर मंदिर स्थित है, बीच वाले हिस्से में ओंकारेश्वर मंदिर और सबसे नीचे महाकाल ज्योतिर्लिंग के दर्शन होते हैं। यह संरचना भक्तों के लिए एक अनूठा आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करती है।

विशेष अवसर और धार्मिक महत्व

मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर केवल नागपंचमी के दिन ही खुलता है। महाशिवरात्रि के अवसर पर मंदिर परिसर में विशाल मेला लगता है, जिसमें श्रद्धालु रात्रि भर विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं। भस्म आरती का साक्षी बनने के लिए देशभर से भक्त आते हैं, जिससे महाकालेश्वर मंदिर का महत्व और भी बढ़ जाता है।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग न केवल धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक है बल्कि यह उज्जैन की सांस्कृतिक और पौराणिक धरोहर का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है। दक्षिणमुखी अनोखी संरचना और भस्म आरती जैसी परंपराएं इसे अन्य ज्योतिर्लिंगों से अलग बनाती हैं। उज्जैन आने वाले श्रद्धालु इस मंदिर में दर्शन कर आध्यात्मिक शांति और धार्मिक अनुभव का आनंद ले सकते हैं।

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