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National Typewriter Day: जब हर शब्द की आवाज़ होती थी ‘क्लिक-क्लैक’

National Typewriter Day: जब हर शब्द की आवाज़ होती थी ‘क्लिक-क्लैक’

आज जब हर हाथ में स्मार्टफोन और हर टेबल पर लैपटॉप है, तब क्या आपने कभी सोचा है कि वो दौर कैसा रहा होगा जब हर विचार कागज़ पर 'क्लिक-क्लैक' की आवाज़ के साथ टाइपराइटर से उतरता था? हर शब्द, हर वाक्य जैसे एक कला बनकर कागज़ पर दर्ज होता था।

23 जून को हर साल मनाया जाने वाला नेशनल टाइपराइटर डे (National Typewriter Day) हमें इसी ऐतिहासिक यात्रा की याद दिलाता है। यह दिन उन मशीनों को समर्पित है जिन्होंने न केवल लेखन की दुनिया में क्रांति लाई, बल्कि संचार, साहित्य और दफ्तरों में भी बड़ा बदलाव किया।

टाइपराइटर डे क्यों मनाया जाता है?

23 जून, 1868 को क्रिस्टोफर लैथम शोल्स (Christopher Latham Sholes) को टाइपराइटर के लिए पेटेंट मिला था। यही वजह है कि इस दिन को टाइपराइटर के इतिहास में मील का पत्थर माना जाता है। टाइपराइटर के आने से पहले लेखन हाथ से होता था, जो धीमा और श्रमसाध्य था। लेकिन टाइपराइटर ने लेखन को न केवल आसान बनाया बल्कि पेशेवर बनाया।

इस खास दिन पर हम उन सभी लेखकों, पत्रकारों, ऑफिस कर्मियों और कलमकारों को याद करते हैं जिन्होंने टाइपराइटर के जरिए अपने विचारों को दुनिया तक पहुँचाया।

कैसे मनाएं नेशनल टाइपराइटर डे?

1. टाइपराइटर टी पार्टी

अपने दोस्तों को बुलाएं और एक खास टाइपराइटर थीम्ड चाय पार्टी आयोजित करें। सभी को एक टाइपराइटर दें (या साझा करें) और कहें कि वे अपनी पसंदीदा कविता या रेसिपी टाइप करें। साथ ही विंटेज ड्रेस कोड तय करें, ताकि माहौल पूरी तरह पुराने जमाने जैसा लगे।

2. टाइपराइटर स्कैवेंज हंट

घर या किसी बड़े खुले क्षेत्र में एक खोज खेल (scavenger hunt) रखें। सभी सुराग ऐसे रखें, जिन्हें टाइपराइटर पर टाइप करने से ही सही रूप में समझा जा सके। आखिरी सुराग तक पहुँचने वाला व्यक्ति जीते – एक पुराना टाइपराइटर या टाइपराइटर से जुड़ा कोई तोहफा।

3. अपने प्रिय को एक टाइप की गई चिट्ठी भेजें

आज जब सब कुछ डिजिटल हो गया है, एक टाइप की हुई चिट्ठी किसी को भेजना एक अनमोल तोहफा बन सकता है। उसमें मोमबत्ती की सील लगाएं और पुराने जमाने की स्याही से नाम लिखें – भावनाओं की खूबसूरत अभिव्यक्ति।

4. टाइपराइटर आर्ट बनाएं

टाइपराइटर से सिर्फ शब्द ही नहीं, कला भी बनाई जा सकती है। आप अक्षरों से चित्र बना सकते हैं, या टाइप किए हुए शब्दों से कोलाज बना सकते हैं। रचनात्मकता की कोई सीमा नहीं होती।

5. स्टोरी स्लैम का आयोजन करें

सभी प्रतिभागी अपनी कहानियाँ टाइपराइटर पर एक निश्चित समय में टाइप करें और फिर उन्हें सबके सामने पढ़ें। सबसे दिलचस्प कहानी को टाइपराइटर थीम ट्रॉफी मिले।

6. रिपेयर वर्कशॉप करें

अगर आप या आपके जानने वाले टाइपराइटर प्रेमी हैं, तो एक छोटा-सा वर्कशॉप करें जहाँ लोग सीख सकें कि टाइपराइटर की सफाई और मरम्मत कैसे की जाती है।

टाइपराइटर का ऐतिहासिक सफर

टाइपराइटर का इतिहास 16वीं सदी तक जाता है जब फ्रांसेस्को रामपाज़ेट्टो ने 1575 में एक डिवाइस बनाई थी जिसे 'La Scrittura Tattile' कहा गया। लेकिन असली क्रांति तब आई जब 1867 में शोल्स और ग्लिडन ने पहली व्यावसायिक रूप से सफल टाइपराइटर बनाया।

इस टाइपराइटर ने QWERTY की-बोर्ड की शुरुआत की, जिसे आज भी हम कंप्यूटर और मोबाइल में इस्तेमाल करते हैं। यहां तक कि 'Backspace' जैसी टर्म भी उसी जमाने से चली आ रही है।

टाइपराइटर का महत्व आज के दौर में

आज भले ही टाइपराइटर दुर्लभ हो गए हैं, लेकिन इनके चाहने वालों की कोई कमी नहीं। हॉलीवुड एक्टर टॉम हैंक्स खुद एक टाइपराइटर कलेक्टर हैं। वे इन्हें एक 'जादुई मशीन' मानते हैं जो लेखक को अपने शब्दों से गहराई से जोड़ती है।

टाइपराइटर के जरिए लिखना एक ध्यान जैसी प्रक्रिया होती है। उसमें ना तो ऑटोकरेक्ट होता है और ना ही बैकस्पेस की सहायता, जिससे हर शब्द को सोच-समझ कर लिखा जाता है। यह ध्यान केंद्रित लेखन की कला को सिखाता है।

डिजिटल युग में टाइपराइटर की सीख

टाइपराइटर से हम यह सीखते हैं कि लेखन एक प्रक्रिया है, जिसमें समय, धैर्य और समर्पण लगता है। आज जब हम तेज़ी से टाइप कर delete कर देते हैं, टाइपराइटर हमें याद दिलाते हैं कि हर शब्द की अहमियत होती है।

टाइपराइटर सिर्फ एक मशीन नहीं, बल्कि लेखन की एक कला और अनुशासन की प्रतीक है। नेशनल टाइपराइटर डे हमें शब्दों के प्रति संवेदनशीलता और सृजनशीलता की याद दिलाता है – एक ऐसा एहसास जो आज भी उतना ही मूल्यवान है।

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