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नौरादेही टाइगर रिजर्व बनेगा चीतों का नया ठिकाना, 2026 तक पहुंचेंगे अफ्रीकी मेहमान

नौरादेही टाइगर रिजर्व बनेगा चीतों का नया ठिकाना, 2026 तक पहुंचेंगे अफ्रीकी मेहमान

मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व अब चीतों की दहाड़ से भी गूंजने वाला है। सागर, दमोह और नरसिंहपुर जिलों में फैला वीरांगना रानी दुर्गावती नौरादेही टाइगर रिजर्व अब देश में चीते का तीसरा घर बनने जा रहा है।

भोपाल: मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व नौरादेही अब केवल बाघों का नहीं बल्कि चीतों का भी घर बनने जा रहा है। सागर, दमोह और नरसिंहपुर जिलों में फैले वीरांगना रानी दुर्गावती नौरादेही टाइगर रिजर्व को देश में अफ्रीकी चीतों के तीसरे स्थायी आवास के रूप में विकसित किया जाएगा। यह कदम भारत में चीतों के संरक्षण और पुनर्वास के दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

एनटीसीए की मंजूरी के बाद तैयारी शुरू

नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) ने नौरादेही में चीतों को बसाने की योजना को हरी झंडी दे दी है। मंजूरी मिलते ही टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने तैयारी तेज कर दी है। डिप्टी डायरेक्टर डॉ. ए.ए. अंसारी ने बताया, नौरादेही को 2010 में ही चीतों के तीसरे घर के रूप में चुना गया था। हमने एनटीसीए को प्रस्ताव भेजा और जैसे ही निर्देश मिलेंगे, फील्ड में काम शुरू कर देंगे।

मई 2025 में विशेषज्ञों की टीम ने तीन दिन तक नौरादेही का दौरा कर इलाके का बारीकी से सर्वे किया था। टीम ने कई अहम सुझाव दिए, जैसे कि चीतों के लिए घास के मैदान बढ़ाना, बाड़े बनाना और जल स्रोतों की व्यवस्था करना। इन सुझावों पर अब काम शुरू हो चुका है और उम्मीद है कि 2026 तक अफ्रीकी चीतों को नौरादेही लाया जाएगा।

नौरादेही का इलाका चीतों के लिए मुफीद

नौरादेही का क्षेत्रफल लगभग 2,339 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें 1,414 वर्ग किलोमीटर कोर एरिया और 925 वर्ग किलोमीटर बफर एरिया शामिल है। रिजर्व की भौगोलिक स्थिति, वन संरचना और पर्याप्त शिकार की उपलब्धता चीतों के लिए इसे आदर्श बनाती है। रिजर्व में बामनेर और व्यारमा जैसी नदियां बहती हैं और सैकड़ों प्राकृतिक तालाब पूरे साल पानी का स्रोत बने रहते हैं। हिरण और अन्य शाकाहारी जानवरों की पर्याप्त संख्या चीतों के लिए सतत भोजन स्रोत सुनिश्चित करेगी।

2019 में नौरादेही में बाघ किशन और राधा को छोड़ा गया था। इसके बाद बाघों की संख्या लगातार बढ़ी और अब यह आंकड़ा 23 तक पहुँच चुका है। बाघों की आबादी स्थिर होने के बाद वन विभाग ने इसे चीतों के पुनर्वास के लिए उपयुक्त माना है।

वन विभाग के अधिकारियों का मानना है कि चीतों के आने से नौरादेही देश और विदेश में लोकप्रिय होगा। इससे इको-टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर भी मिलेंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि अफ्रीकी चीतों के प्राकृतिक आवास में आने से टाइगर रिजर्व की जैव विविधता में भी इजाफा होगा। इसके अलावा, वन्य जीवन प्रेमियों और फोटोग्राफरों के लिए यह जगह नई आकर्षक पर्यटन गंतव्य बन जाएगी।

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