गुरु नानक जयंती 2025 इस वर्ष 5 नवंबर को मनाई जाएगी। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर देशभर के गुरुद्वारों में भव्य सजावट, अखंड पाठ, नगर कीर्तन और लंगर सेवा आयोजित होगी। यह दिन सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं और मानवता, सेवा तथा समानता के संदेश को याद करने के लिए समर्पित होता है।
Guru Nanak Jayanti: गुरु नानक जयंती इस वर्ष 5 नवंबर 2025 को देशभर में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई जाएगी। यह पर्व कार्तिक पूर्णिमा के दिन सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु, गुरु नानक देव जी की जयंती के रूप में मनाया जाता है। गुरुद्वारों में अखंड पाठ, नगर कीर्तन और लंगर की सेवा के साथ भक्ति का माहौल बनता है। भक्तजन प्रभात फेरी में शामिल होकर गुरु नानक जी की शिक्षाओं जैसे सत्य, समानता और सेवा का संदेश फैलाते हैं। यह पर्व केवल धार्मिक उत्सव नहीं बल्कि मानवता और सद्भाव का प्रतीक माना जाता है।
कब मनाई जाएगी गुरु नानक जयंती?
पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि पर गुरु नानक जयंती मनाई जाती है। पूर्णिमा की यह तिथि आमतौर पर अक्टूबर और नवंबर के बीच आती है। इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा तिथि आज रात 10 बजकर 36 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 5 नवंबर को सुबह 6 बजकर 48 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में इस बार गुरु नानक जयंती 5 नवंबर 2025 को भक्तिपूर्ण माहौल में मनाई जाएगी।
इस दिन देश भर के गुरुद्वारों में खास सजावट की जाती है। भक्ति संगीत, कीर्तन और गुरु ग्रंथ साहिब के पाठ से पूरा वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर जाता है। श्रद्धालु बड़ी संख्या में गुरुद्वारों में पहुंचकर अरदास करते हैं और सामूहिक सेवा में भाग लेते हैं।

इतिहास और धार्मिक महत्व
गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 में तलवंडी (अब पाकिस्तान में ननकाना साहिब) में हुआ था। उन्होंने जीवन भर जाति, धर्म और भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई और सबके प्रति प्रेम, सेवा और समानता का संदेश दिया। गुरु नानक देव जी के विचारों ने समाज में नई चेतना जगाई और उनकी शिक्षाओं पर चलते हुए सिख धर्म का उदय हुआ।
गुरु नानक जयंती से दो दिन पहले गुरुद्वारों में अखंड पाठ की शुरुआत होती है, जो लगातार 48 घंटे तक चलता है। इस दौरान गुरुद्वारों में गुरु ग्रंथ साहिब के शबदों की गूंज रहती है। पर्व से एक दिन पहले नगर कीर्तन निकाला जाता है, जिसमें गुरु ग्रंथ साहिब को फूलों से सजी पालकी में रखा जाता है और संगत कीर्तन करते हुए नगर भ्रमण करती है।
लंगर और सेवा की परंपरा
गुरु नानक देव जी ने सेवा और लंगर की परंपरा शुरू की थी, ताकि समाज में समानता और भाईचारा बढ़े। इसी प्रेरणा के चलते गुरु नानक जयंती के दिन हर गुरुद्वारे में लंगर की व्यवस्था होती है। यहां आने वाले सभी लोगों को मुफ्त भोजन दिया जाता है, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या वर्ग से हो। यह परंपरा समाज में बराबरी और सहयोग की भावना को मजबूत बनाती है।
सुबह प्रभात फेरी निकलती है, जिसमें श्रद्धालु भजन-कीर्तन करते हुए गलियों और मोहल्लों में धार्मिक संदेश फैलाते हैं। कई घरों में भी दीयों और रोशनी से सजावट की जाती है। भक्तजन अपने परिवार के साथ इस पवित्र पर्व को मनाते हैं और गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं को याद करते हैं।
गुरु नानक देव जी की मुख्य शिक्षाएं
गुरु नानक देव जी ने जीवनभर मानवता का संदेश दिया। उनके मुख्य सिद्धांत आज भी जीवन की दिशा दिखाते हैं।
- ईश्वर एक है और हर जगह मौजूद है
- मेहनत से कमाओ और ईमानदारी से जियो
- जरूरतमंदों की मदद करो और सेवा करो
- किसी का बुरा मत सोचो, सच को अपनाओ
- जाति और भेदभाव को कभी स्वीकार मत करो
उनकी शिक्षाओं ने समाज को नैतिकता और समानता का मार्ग दिखाया। यही वजह है कि आज भी गुरु नानक जयंती सिर्फ एक धार्मिक समारोह नहीं, बल्कि मानवता और सद्भाव की सीख देने वाला पवित्र दिन माना जाता है।













