बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण के मतदान के बाद राजनीतिक तापमान अपने चरम पर है। इसी बीच, जन सुराज के प्रमुख और चुनाव रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने बड़ा बयान दिया है।
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में हुई बंपर वोटिंग पर जन सुराज के प्रमुख प्रशांत किशोर (PK) ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने दावा किया कि इस बार जनता ने बदलाव के पक्ष में मतदान किया है और 14 नवंबर को इतिहास लिखा जाएगा। प्रशांत किशोर के अनुसार, बिहार की जनता अब पारंपरिक राजनीति से ऊब चुकी है और एक नए राजनीतिक विकल्प को लेकर उत्साहित है।
उन्होंने यह भी बताया कि इस चुनाव में प्रवासी मजदूरों की अभूतपूर्व भागीदारी देखने को मिली है, जो इस बार का “एक्स फैक्टर” साबित हो सकता है। पीके ने कहा कि लंबे समय बाद इतनी बड़ी संख्या में प्रवासी मतदाता अपने गांव लौटे हैं और उन्होंने जन सुराज के पक्ष में मतदान करके राजनीतिक बदलाव की नींव रखी है।
जनता बदलाव चाहती है – प्रशांत किशोर
पहले चरण की भारी मतदान प्रतिशतता पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, इस बार का मतदान साफ संकेत देता है कि बिहार की जनता अब पारंपरिक राजनीति से ऊब चुकी है और बदलाव के लिए तैयार है। जनता ने इस बार नकारात्मक राजनीति नहीं, बल्कि नए विकल्प के पक्ष में मतदान किया है।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि बिहार की जनता अब जात-पात, धर्म और क्षेत्रीय समीकरणों से ऊपर उठकर विकास और सुशासन की राजनीति की ओर बढ़ रही है।किशोर के अनुसार, जन सुराज का उद्देश्य केवल चुनाव जीतना नहीं, बल्कि “नई राजनीतिक संस्कृति” की नींव रखना है — जहां राजनीति जनता के मुद्दों से जुड़े और न कि सत्ता के समीकरणों से।

प्रवासी मजदूर बने चुनाव के “X फैक्टर”
प्रशांत किशोर ने कहा कि इस बार के चुनाव में प्रवासी मजदूरों (Migrant Workers) की भूमिका निर्णायक साबित हो सकती है। उन्होंने बताया कि बड़ी संख्या में प्रवासी अपने गांव लौटकर मतदान में हिस्सा लेने पहुंचे, जो पहले शायद ही कभी देखने को मिला हो। लंबे समय बाद बिहार के प्रवासी मजदूर अपने गांव लौटे हैं और उन्होंने जन सुराज के लिए मतदान कर एक ऐतिहासिक संदेश दिया है। ये मजदूर इस चुनाव के असली X फैक्टर होंगे,” — प्रशांत किशोर ने कहा।
विश्लेषकों का भी मानना है कि बिहार से बाहर काम करने वाले श्रमिक वर्ग का वोट इस बार कई सीटों पर नतीजे बदल सकता है। महामारी के बाद यह वर्ग राजनीतिक रूप से अधिक जागरूक हुआ है और रोजगार, शिक्षा, और स्थानीय विकास जैसे मुद्दों को लेकर मुखर है।
युवाओं का उत्साह और बढ़ता मतदान प्रतिशत
प्रशांत किशोर ने इस बात पर भी जोर दिया कि इस चुनाव में युवा मतदाताओं की भागीदारी ऐतिहासिक रही है। उनके अनुसार, 18 से 30 वर्ष की उम्र के मतदाताओं का मतदान प्रतिशत अब तक के किसी भी विधानसभा चुनाव से अधिक रहा है। उन्होंने कहा, इतनी बड़ी संख्या में वोटिंग तब होती है जब जनता सरकार को बदलने के लिए तैयार होती है, न कि उसे बनाए रखने के लिए।
जन सुराज प्रमुख का यह भी मानना है कि युवाओं का यह जोश और सहभागिता आने वाले वर्षों में बिहार की राजनीति का चेहरा बदल सकती है। PK के इस बयान के बाद बिहार की राजनीतिक सरगर्मियां और तेज हो गई हैं। सत्ताधारी गठबंधन और विपक्षी दलों ने उनके दावे को चुनौती दी है, जबकि जन सुराज के कार्यकर्ता इसे “बदलाव की लहर” के रूप में देख रहे हैं।
पहले चरण की मतदान प्रक्रिया शांतिपूर्ण रही और लगभग 62% मतदान दर्ज किया गया। अब सभी की नजरें 14 नवंबर की मतगणना पर हैं। यह दिन न केवल बिहार बल्कि देश की राजनीति के लिए भी अहम साबित हो सकता है।













