नेपाल में राजनीतिक संकट के बीच पहली महिला चीफ जस्टिस सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार का प्रमुख चुना गया। 2017 में महाभियोग से हटाई गईं कार्की अब आठ साल बाद सत्ता में वापसी कर देश को नई दिशा देंगी।
Nepal Update: नेपाल की राजनीति इन दिनों बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है। एक ऐसा नाम फिर से चर्चा में है, जिसे आठ साल पहले सत्ता से हटाने के लिए महाभियोग का सहारा लिया गया था। यह नाम है सुशीला कार्की। नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस रह चुकीं कार्की अब अंतरिम सरकार की कमान संभालने जा रही हैं।
उनकी कहानी संघर्ष, साहस और न्याय के लिए लगातार लड़ाई की मिसाल है। जिस देश की सत्ता ने कभी उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया था, आज वही देश उन्हें संकट की घड़ी में सबसे बड़ी जिम्मेदारी सौंप रहा है।
सुशीला कार्की का सफर: पहली महिला चीफ जस्टिस
सुशीला कार्की का जन्म 1955 में नेपाल में हुआ था। शुरुआती पढ़ाई के बाद उन्होंने Law की डिग्री हासिल की और न्यायिक सेवा में कदम रखा। धीरे-धीरे उन्होंने अपने ज्ञान और कड़ी मेहनत से न्यायपालिका में एक मजबूत पहचान बनाई।
साल 2016 में वे नेपाल की पहली महिला Chief Justice बनीं। यह नेपाल के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुआ। उनके कार्यकाल में कई ऐसे फैसले आए जिन्होंने न्यायपालिका को नई दिशा दी। खासकर gender equality और judicial reforms को लेकर उन्होंने बड़ा योगदान दिया।
विवादों के बीच महाभियोग का सामना
लेकिन उनका कार्यकाल आसान नहीं था। 2017 में उन पर आरोप लगा कि वे सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप कर रही हैं। संसद में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया गया। यह नेपाल की राजनीति और न्यायपालिका दोनों के लिए ऐतिहासिक और विवादित घटना थी।
महाभियोग के चलते उन्हें निलंबित कर दिया गया। यह उनके लिए व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन का सबसे कठिन दौर था। लेकिन कार्की पीछे हटने वालों में से नहीं थीं। उन्होंने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
जब उनकी रिटायरमेंट में बस एक दिन बचा था, तब सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने उनके खिलाफ लाया गया महाभियोग वापस ले लिया। यह फैसला न सिर्फ कार्की के लिए बल्कि नेपाल की न्यायपालिका के लिए भी ऐतिहासिक साबित हुआ। यहां से साफ हो गया कि सुशीला कार्की सिर्फ एक जज नहीं बल्कि लोकतंत्र और न्याय की आवाज़ भी हैं। उन्होंने साबित किया कि सच्चाई और क़ानून के सामने राजनीतिक ताकतें ज्यादा देर टिक नहीं सकतीं।
आठ साल बाद पलटा पासा
आज वही घटना इतिहास बन चुकी है और आठ साल बाद हालात पूरी तरह बदल गए हैं। नेपाल इस समय राजनीतिक और सामाजिक अशांति से गुजर रहा है। लगातार प्रदर्शनों और हिंसा के बीच सरकार अस्थिर हो गई और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा। ऐसे समय में हामी नेपाली नाम के एक NGO ने सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार का प्रमुख बनाने का प्रस्ताव रखा, जिसे काठमांडू के मेयर बालेन शाह का समर्थन भी मिला। आखिरकार यह तय हो गया कि अब वही सुशीला कार्की, जिन्हें कभी महाभियोग के जरिए सत्ता से हटाया गया था, देश की कमान संभालेंगी।
क्यों खास है कार्की का राजनीति में आना
कार्की का राजनीति में प्रवेश सिर्फ एक औपचारिक बदलाव नहीं है। यह उस देश के लिए बड़ा संदेश है, जिसने कभी उन्हें सत्ता से दूर कर दिया था। अब वही देश मान रहा है कि संकट की घड़ी में सबसे सही नेतृत्व वे ही दे सकती हैं।
यह स्थिति और भी दिलचस्प इसलिए है क्योंकि एक समय उन्हें "government interference" के नाम पर हटाया गया था। लेकिन आज उन्हीं पर देश की बागडोर संभालने का भरोसा जताया जा रहा है।
नेपाल में Gen-Z का आक्रोश
नेपाल में मौजूदा हालात बेहद गंभीर हैं। हाल ही में हुए Gen-Z Protest में अब तक 30 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 1000 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। यह आंदोलन युवाओं की नाराजगी का प्रतीक है, जो राजनीतिक स्थिरता और बदलाव की मांग कर रहे हैं। युवाओं का गुस्सा इतना बढ़ गया कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने कार्की के नाम का समर्थन किया। माना जा रहा है कि Gen-Z का भरोसा कार्की पर ही टिक गया है।