नवंबर 2025 का दूसरा सोम प्रदोष व्रत 17 नवंबर को पड़ रहा है। इस दिन शिवलिंग पर दूध, दही, शहद, बेलपत्र, गन्ने का रस, काले तिल और अक्षत अर्पित करने से घर में धन-धान्य और समृद्धि आती है। व्रत का पालन श्रद्धा और भक्ति के साथ करने से भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
Som Pradosh Vrat 2025: नवंबर 2025 में दूसरा सोम प्रदोष व्रत 17 नवंबर को भारत में मनाया जाएगा। यह व्रत मार्गशीर्ष मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि को पड़ता है और सोमवार होने की वजह से इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस दिन श्रद्धालु शिवलिंग पर दूध, दही, शहद, बेलपत्र, गन्ने का रस, काले तिल और अक्षत अर्पित करेंगे। व्रत का उद्देश्य आध्यात्मिक लाभ के साथ-साथ घर में धन-धान्य और समृद्धि बढ़ाना है, और इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ करने पर भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है।
प्रदोष व्रत पर शिवलिंग की विशेष पूजा
प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर कुछ विशेष चीजें अर्पित करने का महत्व अत्यधिक माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन वस्तुओं को अर्पित करने से महादेव जल्दी प्रसन्न होते हैं और घर में समृद्धि आती है।
- गाय का शुद्ध कच्चा दूध: शिवलिंग पर शुद्ध गाय का दूध अर्पित करने से पैसों से जुड़ी रुकावटें दूर होती हैं। यह वित्तीय स्थिरता को मजबूत बनाने और धन संचय में सहायक माना जाता है। पूजा में दूध अर्पित करते समय मन में भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और भक्ति का भाव रखना चाहिए।
- दही: शिवलिंग पर दही अर्पित करने से आर्थिक स्थिति में मजबूती आती है। दही का अर्पण संपन्नता और समृद्धि के लिए विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। इस प्रक्रिया से घर में लक्ष्मी के आगमन का मार्ग प्रशस्त होता है।
- शहद: शिवलिंग पर शहद अर्पित करने से सौभाग्य बढ़ता है और कर्ज से मुक्ति मिलती है। शहद का मधुर गुण जीवन में खुशहाली और सकारात्मक ऊर्जा लाने का प्रतीक है। इसे अर्पित करते समय मन में शुद्ध भावना और आभार व्यक्त करना चाहिए।
- तीन पत्तियों वाला बेलपत्र: बेलपत्र को त्रिकूट पत्तियों वाली संरचना में अर्पित करना विशेष लाभकारी माना जाता है। इससे धन-समृद्धि बढ़ती है और परिवार में सौहार्द बना रहता है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार बेलपत्र भगवान शिव की प्रिय वस्तु है और इसके अर्पण से उनकी कृपा जल्दी प्राप्त होती है।
- गन्ने का रस: शिवलिंग पर गन्ने का रस चढ़ाने से घर में लक्ष्मी का वास होता है। यह अर्पण आर्थिक स्थिरता और समृद्धि के लिए किया जाता है। गन्ने का रस अर्पित करते समय यह ध्यान रखें कि यह शुद्ध और ताजा हो।
- काले तिल: काले तिल को शिवलिंग पर अर्पित करने से शनि दोष के प्रभाव में कमी आती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनि दोष के कारण आने वाली परेशानियों से मुक्ति पाने के लिए यह उपाय अत्यंत लाभकारी है।
- अक्षत (चावल): अक्षत का अर्पण शुभ फल प्राप्ति और धन-धान्य की वृद्धि के लिए किया जाता है। शिवलिंग पर चावल चढ़ाने का उद्देश्य सकारात्मक ऊर्जा का संचार करना और घर में सुख-शांति बनाए रखना है।

व्रत का नियम और विधि
प्रदोष व्रत के दौरान कुछ धार्मिक नियमों का पालन करना आवश्यक है। व्रत रखने वाले व्यक्ति को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। इस दिन हल्का उपवास रखना और रात में विशेष पूजा करना लाभकारी माना गया है। पूजा के दौरान दीपक जलाना, धूप और नैवेद्य अर्पित करना आवश्यक है।
- पूजा का समय: शुभ समय में पूजा करना श्रेष्ठ माना जाता है। इस व्रत में, संध्या काल का समय विशेष महत्व रखता है। पूजा की शुरुआत शाम के समय करें और भगवान शिव के मंत्रों का उच्चारण करते हुए शिवलिंग पर दूध, दही, शहद, बेलपत्र और अन्य सामग्री अर्पित करें।
- भक्ति और ध्यान: पूजा के दौरान भक्ति भाव बनाए रखना आवश्यक है। भगवान शिव की आराधना में मन एकाग्र होना चाहिए। इससे व्रत का प्रभाव अधिकतम होता है और घर में सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
- उपवास और आहार: व्रत के दिन हल्का उपवास रखना और ताजे, शुद्ध भोजन का सेवन करना चाहिए। कुछ लोग निर्जला उपवास रखते हैं, जबकि कुछ फलों और दूध का सेवन करते हैं। यह व्यक्तिगत क्षमता और स्वास्थ्य के अनुसार तय किया जा सकता है।
प्रदोष व्रत का आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व
प्रदोष व्रत केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि इसका आध्यात्मिक महत्व भी है। यह व्रत मानसिक शांति, संयम और आध्यात्मिक उन्नति के लिए किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति इस दिन शिवलिंग की पूजा करता है, उसे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, आत्मिक संतुलन और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है।
व्रत के दौरान शिवलिंग पर अर्पित की जाने वाली प्रत्येक सामग्री का प्रतीकात्मक महत्व है। दूध और दही धन और समृद्धि का प्रतिनिधित्व करते हैं, शहद सौभाग्य और मिठास का, बेलपत्र शिव की प्रियता और आशीर्वाद का, गन्ने का रस लक्ष्मी वास का, काले तिल शनि दोष निवारण का और अक्षत शुभ फल और समृद्धि का प्रतीक है।













