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कौन हैं मारिया कोरीना मचाडो, जो बनीं नोबेल विजेता, ट्रंप की टूटीं उम्मीदें

कौन हैं मारिया कोरीना मचाडो, जो बनीं नोबेल विजेता, ट्रंप की टूटीं उम्मीदें

नोबेल शांति पुरस्कार 2025 वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरीना मचाडो को मिला है। उन्हें यह सम्मान लोकतंत्र और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए मिला। डोनाल्ड ट्रंप इस बार भी पुरस्कार पाने से चूक गए।

Nobel Peace Prize 2025: साल 2025 के नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize 2025) का ऐलान हो गया है। इस प्रतिष्ठित सम्मान से इस बार वेनेजुएला की विपक्षी नेता और लोकतंत्र समर्थक मारिया कोरीना मचाडो (Maria Corina Machado) को सम्मानित किया गया है। उन्हें यह पुरस्कार वेनेजुएला में लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए किए गए लंबे संघर्ष और शांतिपूर्ण परिवर्तन की दिशा में उनके योगदान के लिए दिया गया है। वहीं, कई देशों द्वारा नामांकित किए गए अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) को इस बार भी निराशा हाथ लगी है।

लोकतंत्र के लिए संघर्ष का सम्मान

मारिया कोरीना मचाडो पिछले दो दशकों से वेनेजुएला में लोकतंत्र, मानवाधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रही हैं। उन्होंने वेनेजुएला की तानाशाही शासन व्यवस्था के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध (peaceful resistance) की अगुवाई की और देश में democratic transition की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने अपने बयान में कहा कि, “जब सत्तावादी शासन सत्ता पर कब्जा कर लेते हैं, तब स्वतंत्रता के उन रक्षकों को पहचानना आवश्यक होता है जो साहस के साथ अन्याय के खिलाफ खड़े होते हैं।” समिति ने यह भी कहा कि इस वर्ष का निर्णय वेनेजुएला के उन नागरिकों के लिए समर्पित है जो वर्षों से लोकतांत्रिक आज़ादी के लिए संघर्षरत हैं।

कौन हैं मारिया कोरीना मचाडो

मारिया कोरीना मचाडो वेनेजुएला की प्रमुख विपक्षी नेता और पूर्व सांसद हैं। वह देश की राजनीतिक पार्टी Vente Venezuela की संस्थापक हैं। मचाडो ने हमेशा देश में पारदर्शी शासन, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (freedom of expression) और मानवाधिकारों की बहाली की मांग की है।

उनकी राजनीति का केंद्र बिंदु “तानाशाही से मुक्ति और लोकतांत्रिक पुनर्निर्माण” रहा है। उन्होंने वेनेजुएला की जनता के अधिकारों की आवाज़ अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुंचाई। यही कारण है कि नोबेल समिति ने उन्हें इस वर्ष के शांति पुरस्कार के लिए सबसे उपयुक्त उम्मीदवार माना।

ट्रंप की उम्मीदों पर फिरा पानी

इस साल अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम भी नोबेल शांति पुरस्कार के संभावित उम्मीदवारों में शामिल था। कई देशों ने ट्रंप को नामांकित किया था, क्योंकि उन्होंने दावा किया था कि उनके कार्यकाल में उन्होंने “कई अंतरराष्ट्रीय संघर्षों को खत्म किया और peace agreements को आगे बढ़ाया।”

ट्रंप ने हाल ही में सार्वजनिक रूप से कहा था कि वे “Nobel Peace Prize के हकदार” हैं। लेकिन नोबेल समिति ने उनके दावे को खारिज करते हुए इस बार ध्यान वेनेजुएला के लोकतांत्रिक संघर्ष पर केंद्रित किया। विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप का अंतरराष्ट्रीय रवैया और उनकी नीतियां उस “वैश्विक शांति व्यवस्था (global peace order)” के अनुरूप नहीं हैं जिसे नोबेल समिति महत्व देती है।

नोबेल समिति का संदेश: स्वतंत्रता की लड़ाई को सलाम

नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने कहा कि मचाडो की जीत केवल एक व्यक्ति की नहीं बल्कि उन लाखों लोगों की है जिन्होंने शांतिपूर्ण तरीकों से अपने देश में न्याय और लोकतंत्र की बहाली की मांग की है।

समिति ने अपने आधिकारिक बयान में लिखा, “नोबेल शांति पुरस्कार यह संदेश देता है कि लोकतंत्र और मानवाधिकारों के लिए किया गया हर प्रयास दुनिया में उम्मीद की लौ जलाता है। मचाडो का संघर्ष हमें यह याद दिलाता है कि शांति का अर्थ केवल युद्धविराम (ceasefire) नहीं, बल्कि नागरिक स्वतंत्रता और न्याय की स्थापना भी है।”

ट्रंप के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

कई अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने पहले ही यह अनुमान लगाया था कि ट्रंप को यह पुरस्कार नहीं मिलेगा। नॉर्वे के कई पूर्व राजनयिकों ने कहा था कि “ट्रंप ने अपने कार्यकाल में अंतरराष्ट्रीय संगठनों की साख कमजोर की और संयुक्त राष्ट्र (UN) से लेकर NATO तक कई गठबंधनों में अस्थिरता पैदा की।”

यही कारण रहा कि नोबेल समिति ने शांति और मानवाधिकारों की रक्षा करने वालों को प्राथमिकता दी। मचाडो का चयन लोकतंत्र के पक्ष में एक प्रतीकात्मक निर्णय माना जा रहा है, जबकि ट्रंप के लिए यह “एक बड़ा राजनीतिक झटका” साबित हुआ है।

नोबेल पुरस्कार समारोह 10 दिसंबर को होगा

मारिया कोरीना मचाडो को 1.2 मिलियन डॉलर (लगभग 10 करोड़ रुपये) की राशि और सम्मानपत्र के साथ 10 दिसंबर 2025 को नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में यह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। यह वही तारीख है जब नोबेल पुरस्कारों के संस्थापक अल्फ्रेड नोबेल (Alfred Nobel) की पुण्यतिथि मनाई जाती है।

अल्फ्रेड नोबेल ने साल 1895 में अपनी वसीयत में नोबेल पुरस्कारों की स्थापना की थी, जिनका उद्देश्य विज्ञान, साहित्य और शांति के क्षेत्र में मानवता के लिए असाधारण योगदान देने वालों को सम्मानित करना है।

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