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पीरियड्स में बेहतर विकल्प क्या - सैनिटरी पैड, टैम्पोन या मेंस्ट्रुअल कप? जानें विशेषज्ञ की राय और सही जानकारी

पीरियड्स में बेहतर विकल्प क्या - सैनिटरी पैड, टैम्पोन या मेंस्ट्रुअल कप? जानें विशेषज्ञ की राय और सही जानकारी

हर महीने महिलाओं को होने वाला मासिक धर्म यानी पीरियड्स एक सामान्य जैविक प्रक्रिया है, लेकिन इससे जुड़ी स्वच्छता और आराम के विकल्पों को लेकर अक्सर भ्रम बना रहता है। आज बाजार में सैनिटरी पैड, टैम्पोन और मेंस्ट्रुअल कप जैसे विकल्प उपलब्ध हैं, लेकिन महिलाओं के मन में अक्सर सवाल होता है कि इनमें से सबसे सुरक्षित, आरामदायक और हाइजेनिक विकल्प कौन सा है?

वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. राहुल मनचंदा के अनुसार, इन तीनों ही विकल्पों के फायदे और नुकसान हैं और यह पूरी तरह व्यक्तिगत पसंद, सुविधा और स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करता है कि कौन सा विकल्प बेहतर होगा।

1. सैनिटरी पैड: पारंपरिक और सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला विकल्प

फायदे

  • भारत में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला पीरियड प्रोडक्ट सैनिटरी पैड ही है।
  • यह बाहरी रूप से इस्तेमाल किया जाता है, जिससे वजाइना के अंदर कुछ डालने की जरूरत नहीं होती, जो कई महिलाओं को ज्यादा सहज लगता है।
  • शुरुआत करने वाली लड़कियों और महिलाओं के लिए पैड इस्तेमाल करना आसान होता है।
  • संक्रमण का खतरा अपेक्षाकृत कम रहता है, क्योंकि यह वजाइना के अंदर नहीं जाता।

नुकसान

  • लंबे समय तक पहनने पर रैशेज़, खुजली और बदबू जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
  • अत्यधिक रक्त प्रवाह के दौरान कपड़ों पर दाग लगने का डर बना रहता है।
  • गर्म और उमस वाले मौसम में पैड पहनना असहज हो सकता है।
  • पर्यावरण के लिए नुकसानदेह क्योंकि अधिकतर पैड प्लास्टिक बेस्ड होते हैं और डीकंपोज नहीं होते।

2. टैम्पोन: एक्टिव महिलाओं के लिए सुविधाजनक

फायदे

  • टैम्पोन को वजाइना के अंदर डाला जाता है, जिससे यह बाहर से दिखता नहीं है।
  • तैराकी, दौड़, जिम जैसी एक्टिविटीज करने वाली महिलाओं के लिए टैम्पोन बेहद सुविधाजनक होते हैं।
  • गंध और लीक का खतरा पैड के मुकाबले कम होता है।
  • छोटे आकार में आसानी से बैग में रखा जा सकता है।

नुकसान

  • पहली बार इस्तेमाल करने वालों को इसे लगाने और निकालने में परेशानी हो सकती है।
  • लंबे समय तक टैम्पोन लगाने से "टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम" (TSS) नामक गंभीर संक्रमण का खतरा हो सकता है।
  • टैम्पोन वजाइना की नमी को भी सोख सकते हैं, जिससे सूखापन, जलन और असहजता हो सकती है।

3. मेंस्ट्रुअल कप: पर्यावरण और जेब दोनों के लिए अच्छा

फायदे

  • सिलिकॉन या रबर से बने मेंस्ट्रुअल कप बार-बार इस्तेमाल किए जा सकते हैं और 5-10 साल तक चलते हैं।
  • एक बार लगाने के बाद 8-12 घंटे तक बिना बदले इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • इनमें रक्त संग्रहण की क्षमता अन्य विकल्पों से कहीं अधिक होती है, जिससे लीक की संभावना कम हो जाती है।
  • बार-बार खरीदने की जरूरत नहीं, जिससे यह आर्थिक रूप से भी लाभकारी है।
  • पर्यावरण के लिए सुरक्षित क्योंकि यह रीयूजेबल है और कचरा नहीं फैलाता।

नुकसान

  • शुरू में लगाने और निकालने की प्रक्रिया सीखना मुश्किल हो सकता है।
  • हर उपयोग के बाद इसे अच्छी तरह से साफ और स्टरलाइज़ करना जरूरी होता है, नहीं तो संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
  • जिन महिलाओं को वजाइना में संक्रमण की समस्या है, उनके लिए शुरुआत में असहज हो सकता है।

हाइजीन सबसे जरूरी

डॉ. राहुल मनचंदा का कहना है कि आप कोई भी पीरियड प्रोडक्ट चुनें, लेकिन उसकी साफ-सफाई का ख्याल रखना सबसे ज़रूरी है। अगर वजाइना में कोई इन्फेक्शन है या आप बार-बार संक्रमण से ग्रसित होती हैं, तो टैम्पोन और कप की बजाय पैड का इस्तेमाल करना ज्यादा सुरक्षित माना जाता है। किसी भी प्रोडक्ट का इस्तेमाल करने से पहले उसके उपयोग के निर्देश ध्यान से पढ़ें और सही तरीका अपनाएं।

महिलाओं के लिए सलाह

  • हर 4-6 घंटे में पैड या टैम्पोन बदलना ज़रूरी है।
  • मेंस्ट्रुअल कप का इस्तेमाल करने से पहले और बाद में अच्छे से स्टरलाइज़ करें।
  • ज्यादा रक्तस्राव होने पर अपने डॉक्टर से परामर्श ज़रूर लें।
  • पहली बार टैम्पोन या कप इस्तेमाल करने से पहले गाइडलाइन पढ़ना जरूरी है।
  • अगर आपको किसी भी प्रोडक्ट से एलर्जी या जलन हो रही है तो उसका इस्तेमाल तुरंत बंद करें।

हर महिला की बॉडी अलग होती है और उसी के अनुसार उनकी पसंद भी अलग हो सकती है। कोई पैड में ज्यादा सहज महसूस करती है, तो कोई टैम्पोन या मेंस्ट्रुअल कप को बेहतर मानती है। इसीलिए सबसे जरूरी है कि आप अपने शरीर को समझें, साफ-सफाई का ध्यान रखें और जो विकल्प आपके लिए सबसे ज्यादा सुविधाजनक हो, उसका चुनाव करें।

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