SEBI News: सेबी के अनुसार, वर्तमान में ऑप्शन लेवरेज को कैश पोजीशन से लिंक करने को लेकर न तो कोई योजना है और न ही इस पर किसी स्तर पर विचार किया जा रहा है।
सुबह जैसे ही शेयर बाजार की हलचल शुरू हुई, उसी वक्त निवेशकों और ट्रेडर्स के बीच एक बड़ी खबर सुर्खियों में रही। यह खबर ऑप्शन ट्रेडिंग से जुड़ी थी। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि सेबी ऑप्शन सेगमेंट में लीवरेज को सीधे कैश मार्केट की पोजीशन से जोड़ने पर विचार कर रहा है। हालांकि, इन रिपोर्ट्स को लेकर बाजार में भ्रम की स्थिति बन गई थी। इसी को लेकर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने तुरंत सफाई दी है।
सेबी ने अफवाहों को बताया बेबुनियाद
SEBI ने साफ किया है कि फिलहाल उनके पास ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है, जिसमें ऑप्शन ट्रेडिंग में मिलने वाले लेवरेज को कैश सेगमेंट की पोजीशन से जोड़ने की बात हो। न ही इस संबंध में कोई आंतरिक चर्चा या योजना मौजूद है। सेबी ने इस बात पर जोर दिया है कि किसी भी नियम में बदलाव से पहले ट्रांसपेरेंसी और सार्वजनिक सलाह-मशविरा की नीति अपनाई जाती है।
मीडिया रिपोर्ट्स पर उठे सवाल
बीते कुछ दिनों में कुछ मीडिया संस्थानों ने दावा किया था कि SEBI एक ऐसे ढांचे पर विचार कर रहा है, जिससे ऑप्शन ट्रेडिंग में रिटेल निवेशकों की भूमिका सीमित की जा सके और सट्टेबाजी पर लगाम लगाई जा सके। इन रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया था कि कैश सेगमेंट की लिक्विडिटी को बढ़ाने के उद्देश्य से ऑप्शन में ट्रेडिंग करने के लिए कैश मार्केट में पोजीशन रखना अनिवार्य किया जा सकता है।
सेबी ने कहा नियम बदलने से पहले होगी व्यापक चर्चा
SEBI ने स्पष्ट किया है कि अगर भविष्य में किसी भी प्रकार के बदलाव की आवश्यकता महसूस होती है तो उसके लिए नियामकीय प्रक्रिया का पालन किया जाएगा। इसमें सभी हितधारकों की राय ली जाएगी और प्रस्ताव को सार्वजनिक राय के लिए उपलब्ध कराया जाएगा। सेबी ने यह भी दोहराया कि किसी भी सर्कुलर या गाइडलाइन में बदलाव से पहले उसका ड्राफ्ट सभी से साझा किया जाता है।
डेरिवेटिव्स में बढ़ती गतिविधियों पर पहले से नजर
बीते कुछ महीनों में F&O यानी फ्यूचर्स और ऑप्शंस मार्केट में रिटेल इनवेस्टर्स की भागीदारी तेजी से बढ़ी है। इसका फायदा उठाते हुए कुछ छोटे निवेशकों ने भारी मुनाफा कमाया, लेकिन बड़ी संख्या में लोग नुकसान में भी गए। सेबी ने पहले ही इस सेगमेंट में कड़े कदम उठाए हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
- कॉन्ट्रैक्ट साइज बढ़ाना
- प्रीमियम की अग्रिम वसूली
- पोजीशन लिमिट पर निगरानी
- ब्रोकर्स के जरिए निवेशकों को सटीक जानकारी देना
इन कदमों का उद्देश्य बाजार में अनावश्यक जोखिम को कम करना और लंबे समय में स्थिरता बनाए रखना है।
निवेशकों की सुरक्षा सेबी की प्राथमिकता
सेबी ने अपने बयान में यह भी कहा कि रिटेल निवेशकों की सुरक्षा उसके कामकाज की मूल नीति है। इसलिए सभी नियम और निर्देश इसी सोच के साथ बनाए जाते हैं कि बाजार में पारदर्शिता बनी रहे और निवेशक किसी भी तरह की अनजानी जोखिम से बच सकें।
ट्रेडिंग के नियमों में जल्दबाजी से बचाव
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के बड़े बदलाव, जैसे कि ऑप्शन लेवरेज को कैश पोजीशन से जोड़ना, बाजार में अस्थिरता ला सकते हैं और रिटेल निवेशकों को ट्रेडिंग से दूर कर सकते हैं। इसलिए सेबी का यह साफ-सुथरा और संतुलित रुख बाजार में स्थिरता बनाए रखने की दिशा में सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है।
लेकिन सेबी की ओर से आया ताजा बयान इन आशंकाओं को दूर करने वाला है। इससे यह स्पष्ट हुआ है कि फिलहाल इस तरह का कोई बदलाव न तो हो रहा है और न ही उसकी कोई योजना है।