प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते शुक्रवार को बिहार के दौरे के दौरान राज्य को कई विकास परियोजनाओं की सौगात दी। इन परियोजनाओं के उद्घाटन के साथ-साथ उन्होंने अपने संबोधन में तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद यादव परिवार पर तीखा हमला बोला।
Bihar Politics: बिहार की राजनीति एक बार फिर अपने तीखे और व्यंग्यात्मक अंदाज में सड़कों पर आ गई है। पटना की दीवारों पर लगे एक विवादित पोस्टर ने पूरे राज्य की सियासी फिजा को गर्म कर दिया है। इस बार भारतीय जनता पार्टी (BJP) समर्थकों द्वारा लगाए गए इस पोस्टर में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और उनके पुत्र, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को निशाने पर लिया गया है।
क्या है पोस्टर में?
पटना के प्रमुख चौराहों और सड़कों पर लगे इस पोस्टर में एक भैंस पर सवार तेजस्वी यादव को कार्टून के रूप में दिखाया गया है, जो हाथ में RJD की प्रतीक लालटेन पकड़े हुए हैं। उनके पीछे बैठे लालू यादव 'विक्ट्री साइन' दिखाते नजर आ रहे हैं। लेकिन सबसे विवादास्पद बात है पोस्टर पर लिखा हुआ नारा – मेरा बाप चारा चोर है, मुझे वोट दो। इस व्यंग्यात्मक पोस्टर के माध्यम से बीजेपी ने सीधे तौर पर लालू यादव के चारा घोटाले के अतीत को चुनावी मुद्दा बनाकर तेजस्वी को घेरने की कोशिश की है।
बीजेपी का निशाना, आरजेडी का पलटवार
यह पोस्टर ऐसे समय में सामने आया है, जब हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीवान की एक जनसभा में तेजस्वी यादव और पूरे लालू परिवार पर तीखा हमला बोला था। इसके जवाब में तेजस्वी ने प्रधानमंत्री को ‘पॉकेटमार’ तक कह डाला था, जिससे बिहार की राजनीति गरमा गई। आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने इस पोस्टर पर कड़ी प्रतिक्रिया दी।
उन्होंने कहा: एनडीए ने अभी से अपनी हार मान ली है। प्रधानमंत्री सीवान की सभा में असली मुद्दों से भटकते नजर आए। बिहार को क्या मिला, इसका कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी सिर्फ गाली-गलौच और निजी हमलों की राजनीति कर रही है। तिवारी ने कहा कि RJD के नेता हमेशा मर्यादित भाषा का प्रयोग करते हैं, जबकि एनडीए नेताओं का भाषण अपमानजनक और अनैतिक होता जा रहा है।
चुनावी पिच पर चारा घोटाले की बिसात
बीजेपी ने जिस तरह से चारा घोटाले को एक बार फिर चुनावी केंद्रबिंदु बनाने की कोशिश की है, वह यह दिखाता है कि आगामी विधानसभा चुनावों में भ्रष्टाचार फिर से एक प्रमुख मुद्दा होगा। हालांकि लालू यादव को कोर्ट से सजा हो चुकी है और उन्होंने जेल की सजा भी काटी है, लेकिन बीजेपी बार-बार इसे याद दिलाकर युवाओं को RJD से दूर करने की रणनीति पर काम कर रही है।
तेजस्वी यादव ने खुद को युवा नेता और विकास पुरुष के रूप में पेश करने की कोशिश की है। उनका जोर रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर है। वे लगातार यह दावा कर रहे हैं कि एनडीए सरकार ने बिहार को ठगा है और केंद्र की योजनाएं जमीन पर नहीं उतरीं। उनके अनुसार, बीजेपी और जेडीयू सिर्फ विरोध की राजनीति कर रहे हैं और जनहित के मुद्दों से ध्यान भटका रहे हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव नज़दीक आएंगे, इस तरह की पोस्टर वार, बयानबाज़ी और व्यक्तिगत हमले और तेज़ होंगे। यह स्पष्ट है कि भाजपा तेजस्वी को लालू यादव की 'विरासत' का बोझ उठाने वाले नेता के रूप में पेश करना चाहती है, जबकि तेजस्वी खुद को एक नए युग का प्रतिनिधि बताकर इससे बाहर निकलना चाहते हैं।