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QUAD Summit: विदेश मंत्री एस. जयशंकर का बड़ा बयान - 'भारत-जापान साझेदारी इंडो-पैसिफिक में स्थिरता की कुंजी'

QUAD Summit: विदेश मंत्री एस. जयशंकर का बड़ा बयान - 'भारत-जापान साझेदारी इंडो-पैसिफिक में स्थिरता की कुंजी'

क्वाड समिट को लेकर बनी अनिश्चितता के बीच, विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने भारत-जापान साझेदारी के महत्व पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि भारत और जापान दोनों ही बड़े लोकतंत्र और समुद्री राष्ट्र हैं, इसलिए इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में उनकी विशेष जिम्मेदारी बनती है।

नई दिल्ली: क्वाड समिट (QUAD Summit) को लेकर चल रही अनिश्चितता के बीच भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर (S. Jaishankar) ने जापान के साथ भारत की रणनीतिक साझेदारी को लेकर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और जापान जैसे दो बड़े लोकतंत्र और समुद्री राष्ट्र इंडो-पैसिफिक (Indo-Pacific) क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि बनाए रखने के लिए एक साझा जिम्मेदारी निभा रहे हैं।

जयशंकर ने ये बातें 8वें भारत-जापान हिंद-प्रशांत फोरम (8th India-Japan Indo-Pacific Forum) में अपने संबोधन के दौरान कहीं। उन्होंने कहा कि पिछले दशकों में भारत और जापान के बीच साझेदारी न केवल मजबूत हुई है बल्कि यह आज वैश्विक स्थिरता और सुरक्षा के लिए एक अहम स्तंभ बन चुकी है।

भारत-जापान साझेदारी: एशिया की रणनीतिक धुरी

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि भारत और जापान के बीच संबंध अब “पारंपरिक साझेदारी से आगे बढ़कर वैश्विक रणनीतिक सहयोग” का रूप ले चुके हैं। उन्होंने बताया कि दोनों देश न केवल इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की स्थिरता में योगदान दे रहे हैं, बल्कि ग्लोबल इकोनॉमिक स्टेबिलिटी यानी वैश्विक आर्थिक स्थिरता में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। जयशंकर ने कहा, भारत और जापान दोनों समुद्री लोकतंत्र हैं। हमें इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को स्वतंत्र, खुला और समावेशी बनाए रखने की साझा जिम्मेदारी है।

क्वाड समिट पर अनिश्चितता के बीच भारत-जापान का रुख

क्वाड (QUAD) देशों भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के बीच अगली शिखर बैठक को लेकर फिलहाल असमंजस की स्थिति बनी हुई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका की नई नीतियों और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की संभावित विदेश नीति रणनीति ने आगामी क्वाड समिट के आयोजन पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

हालांकि जयशंकर ने अपने संबोधन में क्वाड का सीधा उल्लेख नहीं किया, लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट संकेत दिया कि भारत और जापान अपनी साझेदारी को किसी भी बाहरी राजनीतिक परिस्थिति से प्रभावित नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि “इंडो-पैसिफिक की स्थिरता केवल रणनीतिक संवाद पर नहीं, बल्कि ठोस सहयोग पर आधारित होनी चाहिए।”

पीएम मोदी और जापानी पीएम के बीच बढ़ते संबंध

विदेश मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान की नई प्रधानमंत्री साने ताकाइची के बीच हाल ही में हुई फोन बातचीत दोनों देशों की नज़दीकी का प्रमाण है। उन्होंने बताया कि मोदी की अगस्त 2025 की जापान यात्रा इस साझेदारी को अगले दशक के लिए नई दिशा दे चुकी है। दोनों देशों ने आने वाले 10 वर्षों में 10 ट्रिलियन येन (लगभग 5.3 लाख करोड़ रुपये) के निवेश लक्ष्य को तय किया है, जो भारत की इंफ्रास्ट्रक्चर, टेक्नोलॉजी और क्लीन एनर्जी सेक्टर को मजबूत करेगा।

जयशंकर ने कहा कि आने वाले वर्षों में भारत-जापान साझेदारी को सिर्फ पारंपरिक व्यापार तक सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि इसे भविष्य की तकनीकों पर केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने कहा, हमारा सहयोग अब सप्लाई चेन रेजिलिएंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग, क्रिटिकल मिनरल्स, क्लीन एनर्जी और स्पेस टेक्नोलॉजी** जैसे क्षेत्रों तक विस्तृत होना चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि भारत और जापान मिलकर हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र को आर्थिक, तकनीकी और रणनीतिक रूप से सशक्त बना सकते हैं। जयशंकर ने अपने भाषण में स्वीकार किया कि “एक स्वतंत्र और खुला इंडो-पैसिफिक बनाए रखना अब पहले से ज्यादा चुनौतीपूर्ण है।

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