राजस्थान की अंता विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी प्रमोद जैन भाया के साथ प्रचार की मजबूत शुरुआत कर दी है। वहीं बीजेपी अभी तक उम्मीदवार के चयन में उलझी हुई है। कांग्रेस की नामांकन रैली ने प्रदेश की सियासत में नया जोश भर दिया है।
Rajasthan Anta Bypoll: कांग्रेस ने अंता उपचुनाव में शुरुआती बढ़त बनाते हुए अपने प्रत्याशी प्रमोद जैन भाया के नेतृत्व में आज बड़ी नामांकन रैली आयोजित की। यह रैली बारां जिले के अंता में हुई, जिसमें कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए। भाया पहले ही नामांकन दाखिल कर चुके हैं, लेकिन आज प्रतीकात्मक रूप से एक और फॉर्म भरने के साथ पार्टी ने चुनावी शंखनाद कर दिया। वहीं, बीजेपी अब तक अपना प्रत्याशी तय नहीं कर पाई है, जिससे उसके भीतर की गुटबाजी खुलकर सामने आने लगी है। ब्राह्मण समाज स्थानीय उम्मीदवार की मांग पर अड़ा है, जिससे पार्टी की स्थिति और जटिल होती दिख रही है।
कांग्रेस ने नामांकन रैली से दिखाई चुनावी ताकत
राजस्थान अंता उपचुनाव में कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी प्रमोद जैन भाया के साथ चुनावी अभियान की जोरदार शुरुआत की है। बुधवार को बारां जिले के अंता में भाया ने नामांकन के बाद एक विशाल शक्ति प्रदर्शन रैली निकाली, जिसमें हजारों की भीड़ उमड़ी। इस रैली में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, सचिन पायलट, पीसीसी प्रमुख गोविंद सिंह डोटासरा और प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा जैसे दिग्गज नेता मौजूद रहे।
कांग्रेस ने इस आयोजन को अपने चुनावी शंखनाद के रूप में पेश किया है। पार्टी स्थानीय प्रत्याशी प्रमोद जैन भाया के जरिए यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि वह संगठनात्मक रूप से एकजुट और चुनावी तैयारी में पूरी तरह आगे है। स्थानीय स्तर पर भाया की लोकप्रियता और संगठन का समर्थन कांग्रेस के लिए मजबूत स्थिति बना रहा है।
बीजेपी अब तक तय नहीं कर पाई उम्मीदवार
दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी (BJP) उम्मीदवार चयन को लेकर अब भी असमंजस में है। सूत्रों के अनुसार, बीते दिनों मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ के बीच लंबी चर्चा हुई, लेकिन अब तक किसी नाम पर सहमति नहीं बन पाई। पार्टी सूत्र बताते हैं कि पूर्व जिला अध्यक्ष नंदलाल सुमन, जो माली समाज से आते हैं और वसुंधरा राजे के करीबी माने जाते हैं, रेस में सबसे आगे हैं।
हालांकि अब तक किसी नाम पर पार्टी की मुहर नहीं लगी है, जिससे कार्यकर्ताओं में असमंजस की स्थिति है। बीजेपी की इस देरी का सीधा असर उसके प्रचार अभियान पर दिख रहा है, जबकि कांग्रेस पहले ही रफ्तार पकड़ चुकी है।
जातीय समीकरणों ने बढ़ाई बीजेपी की परेशानी
अंता विधानसभा सीट पर जातीय समीकरण बीजेपी के लिए बड़ा सिरदर्द बन गए हैं। ब्राह्मण समाज खुले तौर पर किसी स्थानीय ब्राह्मण उम्मीदवार को टिकट देने की मांग कर रहा है। नाराज मतदाताओं ने अंता में पोस्टर लगाकर लिखा है— “जनरल सीट, जनरल उम्मीदवार, स्थानीय उम्मीदवार”।
2008 से अब तक बीजेपी ने इस सीट से ज्यादातर बाहरी उम्मीदवारों को टिकट दिया है, जिससे स्थानीय समाज में असंतोष है। वहीं कांग्रेस ने स्थानीय उम्मीदवार प्रमोद जैन भाया को मैदान में उतारकर इस असंतोष को अपने पक्ष में करने की कोशिश की है। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि अगर बीजेपी ने इस बार भी बाहरी उम्मीदवार चुना, तो उसे ब्राह्मण वोट बैंक में नुकसान उठाना पड़ सकता है।
निर्दलीय उम्मीदवार से बन सकता है त्रिकोणीय मुकाबला
इस बार अंता सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय होने के संकेत मिल रहे हैं। निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा, जो बारां जिले के ही रहने वाले हैं, मीणा समुदाय में अच्छी पकड़ रखते हैं और बीजेपी-कांग्रेस दोनों के वोट बैंक में सेंध लगा सकते हैं।
मीणा समुदाय के मतदाता इस क्षेत्र में निर्णायक भूमिका निभाते हैं, ऐसे में नरेश मीणा का मैदान में उतरना चुनावी समीकरणों को पूरी तरह बदल सकता है। कांग्रेस जहां स्थानीयता और संगठन की मजबूती पर भरोसा कर रही है, वहीं बीजेपी अब उम्मीदवार चयन में देरी से पिछड़ती नजर आ रही है।