राजस्थान विधानसभा ने मत्स्य क्षेत्र संशोधन बिल पारित किया, जिसके तहत मछली का शिकार करने पर 50 हजार रुपये तक जुर्माना लगेगा। कांग्रेस विधायकों ने सदन में हंगामा किया और निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने जुर्माने की राशि का विरोध किया। विपक्ष ने कानून व्यवस्था और जुर्माने को लेकर सवाल उठाए।
Rajasthan News: राजस्थान विधानसभा में सोमवार (08 सितंबर) को मत्स्य क्षेत्र संशोधन बिल पारित किया गया, जिसके अनुसार मछली का शिकार करने पर अधिकतम 50 हजार रुपये तक जुर्माना लगाया जाएगा। इस दौरान कांग्रेस विधायकों ने हंगामा किया और निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने जुर्माने की राशि का विरोध किया। विपक्षी नेता टीकाराम जूली के नेतृत्व में तख्तियां लेकर विधायक सदन पहुंचे। बिल पारित होने के पीछे उद्देश्य मत्स्य क्षेत्र का संरक्षण और मछली शिकार पर नियंत्रण रखना है, जबकि विपक्ष ने कानून व्यवस्था और जुर्माने की सख्ती पर सवाल उठाए।
मछली शिकार पर जुर्माना अब 50 हजार तक
राजस्थान विधानसभा ने मत्स्य क्षेत्र संशोधन बिल पारित किया है। इसके तहत अवैध रूप से मछली का शिकार करने पर पहले 500 रुपये से 25 हजार रुपये तक जुर्माना लगाया जाएगा। दूसरी बार अपराध करने पर जुर्माना 1000 रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दिया गया है। बिल का उद्देश्य राज्य में मछली पालन और मत्स्य क्षेत्र का संरक्षण सुनिश्चित करना है।
बिल के पारित होने से मत्स्य पालन क्षेत्र में नियंत्रण बढ़ेगा और अवैध शिकार रोकने में मदद मिलेगी। सरकार का कहना है कि यह कदम मछुआरों के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण को भी ध्यान में रखकर उठाया गया है।
कांग्रेस विधायकों ने सदन में हंगामा किया
मत्स्य क्षेत्र संशोधन बिल पर बहस के दौरान कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा में हंगामा किया और बीजेपी सरकार को कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर विफल बताया। भजनलाल शर्मा सरकार के खिलाफ नारेबाजी की गई और विपक्षी नेता टीकाराम जूली तख्तियों के साथ सदन में पहुंचे।
विधायकों का कहना था कि बिल की सख्ती गरीब मछुआरों को प्रभावित कर सकती है। हंगामे के बावजूद, बिल सदन में पारित कर दिया गया। विपक्षी विधायकों ने जुर्माने की राशि और लागू नियमों को लेकर कई सवाल उठाए।
रविंद्र भाटी ने जुर्माने की राशि पर विरोध जताया
निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने कहा कि जुर्माने की राशि बहुत ज्यादा है और गरीब मछुआरों को इससे नुकसान हो सकता है। उनका कहना था कि कई बार छोटे मछुआरे नियमों का पालन नहीं कर पाते हैं और अब उन्हें भारी जुर्माना भुगतना पड़ेगा।
भाटी ने सुझाव दिया कि जुर्माने की राशि को कम करना चाहिए ताकि गरीब और छोटे मछुआरों पर अनुचित प्रभाव न पड़े। उन्होंने बिल की समीक्षा और संशोधन की संभावना भी उठाई।
बहस में केवल दो विधायक शामिल
बिल पर बहस में केवल बसपा विधायक मनोज न्यायालय और निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने भाग लिया। अन्य किसी विधायक ने इस विषय पर बहस नहीं की। विधानसभा का मानसून सत्र जारी है और पक्ष-विपक्ष के बीच कानून-व्यवस्था और जुर्माने की सख्ती को लेकर लगातार नोकझोंक हो रही है।
इस दौरान सदन में हंगामे के बावजूद बिल पारित कर दिया गया। यह दिखाता है कि विधायकों की भागीदारी और बहस में असंतुलन के बावजूद सरकार ने अपना प्रस्तावित कानून लागू कर लिया।