Pune

Raksha Bandhan 2025: क्या सिर्फ भाई को ही बांधी जाती है राखी? जानिए शास्त्रों में क्या है इसका महत्व

Raksha Bandhan 2025: क्या सिर्फ भाई को ही बांधी जाती है राखी? जानिए शास्त्रों में क्या है इसका महत्व

रक्षाबंधन एक ऐसा पर्व है जो सिर्फ भाई-बहन के रिश्ते तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके मायने कहीं ज्यादा गहरे और व्यापक हैं। यह त्योहार रक्षा, प्रेम और समर्पण की भावना को दर्शाता है। हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला रक्षाबंधन अब एक सांस्कृतिक उत्सव से आगे बढ़कर सामाजिक और आध्यात्मिक जुड़ाव का प्रतीक बन चुका है।

भगवान को भी बांधी जाती है राखी

शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि राखी बांधने का सबसे पहला अधिकार ईश्वर को है। कई परिवारों में यह परंपरा है कि बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधने से पहले भगवान श्रीकृष्ण, भगवान शिव या भगवान गणेश की प्रतिमा पर राखी बांधती हैं। यह ईश्वर के प्रति आभार और सुरक्षा की कामना का प्रतीक माना जाता है।

अगर भाई न हो तो बहन ही बन जाती है रक्षक

बहुत सी बहनें ऐसी होती हैं जिनके पास अपना कोई सगा भाई नहीं होता। ऐसी स्थिति में वे अपनी बड़ी बहन, मामा, मौसा, फुफा, या ननिहाल-पक्ष के किसी व्यक्ति को राखी बांधती हैं। कुछ घरों में बहनें आपस में भी राखी बांधती हैं, जिससे यह संदेश जाता है कि प्रेम और रक्षा की भावना खून के रिश्तों से बड़ी होती है।

गुरु-शिष्य परंपरा में भी राखी का महत्व

भारतीय परंपरा में गुरु को गोविंद के बराबर माना गया है। कुछ स्थानों पर राखी के दिन शिष्य अपने गुरुओं को राखी बांधते हैं, यह दर्शाता है कि वे गुरु के आदेशों का पालन करेंगे और उन्हें सम्मान देंगे। वहीं गुरु भी आशीर्वाद देते हैं कि उनका शिष्य जीवन में हर संकट से सुरक्षित रहे।

सैनिकों को राखी बांधना बना राष्ट्रीय भावना का प्रतीक

रक्षाबंधन अब सिर्फ घर की चारदीवारी तक सीमित नहीं रहा। हर साल हजारों बहनें भारतीय सेना, अर्धसैनिक बलों और पुलिस के जवानों को राखी भेजती हैं या सीधे उनके पास जाकर उनकी कलाई पर राखी बांधती हैं। इससे यह संदेश जाता है कि जो देश की सीमा पर हमारी रक्षा कर रहे हैं, वे भी हमारे भाई हैं। यह परंपरा कारगिल युद्ध के बाद और भी मजबूत हुई है।

रक्षाबंधन 2025 की तारीख और मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, रक्षाबंधन 2025 में सावन पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 8 अगस्त की रात 2 बजकर 12 मिनट पर होगी और इसका समापन 9 अगस्त को रात 1 बजकर 24 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार रक्षाबंधन 9 अगस्त 2025, शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन बहनों और भाइयों के बीच प्रेम और सुरक्षा का बंधन एक बार फिर से मजबूत किया जाएगा।

कैदी से लेकर कलेक्टर तक को बांधी जाती है राखी

कई बार सामाजिक संगठन रक्षाबंधन के दिन जेलों में जाकर बंदियों को भी राखी बांधते हैं। इससे एक संदेश जाता है कि इंसानियत हर दीवार से ऊपर होती है। कई जगहों पर बहनें अस्पतालों में मरीजों को, अनाथालयों में बच्चों को और वृद्धाश्रमों में बुजुर्गों को भी राखी बांधती हैं। यह सब दर्शाता है कि रक्षाबंधन अब सिर्फ पारिवारिक नहीं, बल्कि सामाजिक उत्सव बन चुका है।

मूल भावना है 'रक्षा' की

रक्षाबंधन शब्द ही अपने आप में एक संदेश है रक्षा का बंधन। यह पर्व हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हम किस-किस की रक्षा के लिए खुद को समर्पित कर सकते हैं। चाहे वह परिवार हो, समाज हो, प्रकृति हो या आध्यात्मिक मार्गदर्शक, राखी की एक डोरी सबको एक सूत्र में बांधने की क्षमता रखती है।

वर्तमान समाज में राखी का बदला हुआ रूप

शहरी और आधुनिक जीवनशैली में भी रक्षाबंधन का स्वरूप बदला जरूर है लेकिन उसका सार वही है। अब डिजिटल राखी, वीडियो कॉल से राखी बांधने जैसे नए तरीके सामने आ चुके हैं। लेकिन भावनाएं वही हैं प्रेम, सुरक्षा और समर्पण।

Leave a comment