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RBI बुलेटिन 2025: वैश्विक तनाव के बीच भारत की अर्थव्यवस्था बनी मजबूत

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के जून बुलेटिन में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि व्यापार नीति में अनिश्चितता और भू-राजनीतिक तनावों में तेजी से वैश्विक अर्थव्यवस्था अस्थिरता

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के जून 2025 बुलेटिन में प्रकाशित ताज़ा लेख से पता चलता है कि वैश्विक स्तर पर जारी अनिश्चितताओं और भू-राजनीतिक तनावों के बावजूद भारत की आर्थिक स्थिति मजबूत बनी हुई है। बुलेटिन के "अर्थव्यवस्था की स्थिति" नामक लेख में कहा गया है कि मई 2025 के उच्च आवृत्ति वाले आर्थिक संकेतकों के अनुसार, देश के औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों में तेज़ी से गतिविधियां चल रही हैं।

वैश्विक स्तर पर बढ़ती अस्थिरता

बुलेटिन में बताया गया कि इस समय वैश्विक अर्थव्यवस्था दोहरे दबाव में है – एक ओर व्यापार नीति में अनिश्चितता, और दूसरी ओर दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव। इसका असर निवेश, उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखलाओं पर दिखाई दे रहा है।
इसके बावजूद, भारत की अर्थव्यवस्था इन दबावों के सामने लचीली बनी हुई है।

भारत के औद्योगिक और सेवा क्षेत्र में मजबूती

RBI ने बुलेटिन में लिखा है कि मई 2025 के आंकड़े यह दिखाते हैं कि भारत के औद्योगिक और सेवा क्षेत्र अब भी सक्रिय और मजबूत स्थिति में हैं।
औद्योगिक उत्पादन, बिजली की खपत, ट्रांसपोर्ट, एयर ट्रैफिक और बैंकिंग ट्रांजैक्शन जैसे उच्च आवृत्ति संकेतकों में सुधार देखा गया है। इससे यह संकेत मिलता है कि देश की आर्थिक मशीनरी सुचारू रूप से चल रही है।

खेती-बाड़ी में भी दिखी रफ्तार

बुलेटिन के अनुसार, 2024-25 के दौरान प्रमुख फसलों के उत्पादन में अच्छी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। खासकर खरीफ और रबी फसलों में उन्नत किस्मों, बेहतर सिंचाई व्यवस्था और सरकारी योजनाओं के चलते खेती में सकारात्मक नतीजे देखने को मिले हैं।
इससे न सिर्फ ग्रामीण मांग में इजाफा हुआ है, बल्कि खाद्य वस्तुओं की आपूर्ति में भी स्थिरता बनी रही है।

मुद्रास्फीति पर नियंत्रण बना हुआ

मई 2025 में लगातार चौथे महीने भारत की कुल मुद्रास्फीति (जिसमें खाद्य और ऊर्जा की कीमतें शामिल होती हैं) आरबीआई के निर्धारित लक्ष्य से नीचे रही।
यह देश के आर्थिक प्रबंधन की सफलता को दर्शाता है और इससे आम जनता को महंगाई से कुछ राहत मिली है। इसके अलावा, खाद्य वस्तुओं और पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में भी स्थिरता बनी रही है।

ऋण और ब्याज दरों पर अनुकूल माहौल

बुलेटिन में यह भी कहा गया है कि देश की वित्तीय परिस्थितियां इस समय काफी अनुकूल बनी हुई हैं। खासकर ब्याज दरों में हालिया कटौती का लाभ अब धीरे-धीरे ऋण बाजार और आम जनता तक पहुंचने लगा है।
बैंकिंग प्रणाली में तरलता बनी हुई है और बैंकों द्वारा कर्ज वितरण में सक्रियता देखी जा रही है।

RBI का स्पष्टीकरण

भारतीय रिजर्व बैंक ने साफ किया है कि बुलेटिन में प्रकाशित लेख लेखकों के निजी विचार हैं और यह जरूरी नहीं कि वे आरबीआई की आधिकारिक राय का प्रतिनिधित्व करें।
हालांकि, इन आंकड़ों और विश्लेषणों से यह अंदाज़ा जरूर लगाया जा सकता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था किस दिशा में आगे बढ़ रही है।

निर्यात और आयात दोनों में दिखा सुधार

2025 के शुरुआती महीनों में भारत के निर्यात और आयात दोनों क्षेत्रों में सुधार के संकेत मिले हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मा और ऑटो सेक्टर से जुड़ी कंपनियों का प्रदर्शन अच्छा रहा है। वहीं, कच्चे तेल और कोयले के आयात में कमी देखी गई है जिससे व्यापार घाटा भी थोड़ा कम हुआ है।

कृषि आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिला सहारा

ग्रामीण अर्थव्यवस्था में कृषि के बेहतर प्रदर्शन के साथ-साथ मनरेगा जैसी योजनाओं से रोजगार के अवसर बढ़े हैं। इससे गांवों में खपत बढ़ी है और FMCG कंपनियों की बिक्री में भी उछाल देखने को मिला है।

वैश्विक चुनौतियां अभी भी मौजूद

RBI बुलेटिन में यह भी स्वीकार किया गया है कि वैश्विक मोर्चे पर चुनौतियां कम नहीं हुई हैं। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति, यूरोप में मंदी की आहट, चीन की धीमी आर्थिक रिकवरी और मध्य-पूर्व व रूस-यूक्रेन संकट जैसे विषय भारत पर भी अप्रत्यक्ष रूप से असर डाल सकते हैं।

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