सितंबर 2025 में भारत में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 1.54% पर आ गई, जो पिछले आठ साल में सबसे कम है। सब्जियों और दालों की कीमतों में नरमी तथा अनुकूल आधार प्रभाव के कारण यह कमी आई है। विशेषज्ञों का मानना है कि हाल की जीएसटी कटौती से मुद्रास्फीति में और गिरावट आ सकती है।
Retail Inflation: राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, सितंबर 2025 में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति 1.54% पर रही, जो अगस्त के 2.07% से घटकर आठ साल में सबसे कम स्तर पर आई। खाद्य पदार्थों जैसे सब्जियों और दालों की कीमतों में गिरावट और अनुकूल आधार प्रभाव इसके मुख्य कारण रहे। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि हाल ही में की गई जीएसटी दरों में कटौती से आगामी महीनों में मुद्रास्फीति में और कमी देखने को मिल सकती है।
खाद्य मुद्रास्फीति में आई भारी गिरावट
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति सितंबर में शून्य से 2.28 प्रतिशत के बीच रही। यह दिसंबर 2018 के बाद सबसे कम स्तर है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में दोनों ही जगह खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट दर्ज की गई। सब्जियों की कीमतें लगभग 21 प्रतिशत और दालों के दाम में 15 प्रतिशत से अधिक की गिरावट हुई। हालांकि तेल और वसा की कीमतें 18.34 प्रतिशत की वृद्धि के साथ ऊंची बनी हुई हैं।
समग्र मुद्रास्फीति और शहरी व ग्रामीण आंकड़े
समग्र मुद्रास्फीति अगस्त में 1.69 प्रतिशत थी, जो सितंबर में घटकर 1.07 प्रतिशत रह गई। शहरी मुद्रास्फीति भी 2.47 प्रतिशत से घटकर 2.04 प्रतिशत हो गई। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि हाल ही में वस्तु एवं सेवा कर (GST) दरों में कटौती के चलते आगे चलकर खुदरा मुद्रास्फीति में और कमी आने की संभावना है।
विशेषज्ञों का अनुमान
केयरएज रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि जीएसटी में हालिया कटौती का समग्र मुद्रास्फीति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उनका अनुमान है कि इससे खुदरा मुद्रास्फीति में 70-90 आधार अंक तक की कमी आ सकती है। उन्होंने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति कम होने और मांग-आपूर्ति दबाव घटने से चालू वित्त वर्ष में औसत मुद्रास्फीति लगभग 2.4 प्रतिशत रह सकती है।
इसी तरह, इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने बताया कि अगस्त के अंत और सितंबर की शुरुआत में भारी बारिश और बाढ़ के कारण खरीफ फसल को नुकसान का खतरा है। उन्होंने कहा कि अक्टूबर में सामान्य से अधिक बारिश का असर उपज पर पड़ सकता है, जिससे कीमतों पर अस्थायी दबाव आ सकता है।
कोटक महिंद्रा बैंक की अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज ने कहा कि जीएसटी में कटौती का असर अक्टूबर के आंकड़ों में और ज्यादा दिखाई देगा। हालांकि त्योहारों के चलते खुदरा बिक्री में तेजी होने से स्थायी मांग का मूल्यांकन करना मुश्किल होगा।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस का कहना है कि इस वर्ष मुद्रास्फीति 3 प्रतिशत के भीतर रहेगी और जीएसटी में कटौती इसे लगभग 2.8 प्रतिशत तक सीमित रखने में मदद करेगी।
वस्त्र, तेल और वसा के दाम
खाद्य तेल की मुद्रास्फीति अभी भी 18 प्रतिशत पर बनी हुई है, जो दोहरे अंक में बनी रहने वाली उच्च दर है। इससे यह संकेत मिलता है कि कुछ प्रमुख उत्पादों की कीमतों में अभी भी तेजी बनी हुई है। हालांकि, सब्जियों और दालों में आई गिरावट ने आम परिवारों की जेब पर पड़ने वाला बोझ कम किया है।