ऋषि पंचमी 28 अगस्त 2025 को भाद्रपद शुक्ल पंचमी तिथि को मनाई जाएगी। इस दिन सप्त ऋषियों की पूजा की जाती है और महिलाएं मुख्य रूप से व्रत करती हैं। पूजा में नारियल, फूल, फल, पंचामृत, रोली, मौली, कलश, दीपक, सूखे मेवे आदि की आवश्यकता होती है। व्रत करने से रजस्वला दोष से मुक्ति और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
Rishi Panchami Puja Samagri: ऋषि पंचमी 28 अगस्त 2025 को भाद्रपद शुक्ल पंचमी तिथि को मनाई जाएगी। इस दिन सप्त ऋषियों की पूजा की जाती है और महिलाएं मुख्य रूप से व्रत करती हैं। पूजा में नारियल, फल, फूल, पंचामृत, रोली, मौली, कलश, दीपक, सूखे मेवे और अन्य आवश्यक सामग्री का उपयोग किया जाता है। व्रत करने से जीवन में हुई अनजाने में हुई गलतियों का प्रायश्चित होता है और रजस्वला दोष से मुक्ति के साथ घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। पूजा के बाद प्रसाद वितरण किया जाता है।
ऋषि पंचमी पूजा में आवश्यक सामग्री
ऋषि पंचमी की पूजा के लिए कई विशेष सामग्रियों की आवश्यकता होती है। इन्हीं सामग्रियों के बिना पूजा पूरी नहीं मानी जाती। यहां हम पूजा में लगने वाली संपूर्ण सामग्री लिस्ट दे रहे हैं:
- श्रीफल यानी नारियल।
- आलता।
- अष्टगंध।
- सात तरह का नैवेद्य।
- मूंगफली आठ।
- किसमिस आठ।
- केले आठ।
- गुड़।
- पान।
- रोली।
- मौली।
- सात पूजा सुपारी।
- आम के पत्ते।
- मट्टी का कलश।
- चावल।
- हल्दी की गांठ।
- पवित्र जल।
- पंचामृत।
- रूई की बत्ती।
- गाय का घी।
- चौक और आटा।
- कपूर।
- सफेद चंदन।
- केले के पत्ते।
- लौंग।
- छुआरा आठ।
- काजू आठ।
- मखाने आठ।
- बादाम आठ।
- इलायची।
- मिट्टी का दीपक।
पूजा करने की विधि
ऋषि पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना आवश्यक है। इसके बाद पूजा स्थल की सफाई करें। पूजा स्थान पर एक चौकी बिछाकर उस पर लाल या पीला कपड़ा डालें। फिर वहां सप्तऋषियों की तस्वीर स्थापित करें और एक कलश में गंगाजल भरकर रख दें।
पूजा प्रारंभ करते समय सप्तऋषियों को अर्ध्य दें और उन्हें दीप और धूप दिखाएं। इसके बाद फल, फूल, घी और पंचामृत अर्पित करें। पूजा के दौरान सप्तऋषियों के मंत्रों का जाप करें और अपने जीवन में अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा याचना करें। पूजा समाप्त होने के बाद सभी भक्तों में प्रसाद वितरित करें।
पूजा का महत्व
शास्त्रों में कहा गया है कि इस व्रत को करने से जीवन में किए गए अनजाने पापों का नाश होता है। महिलाएं इसे विशेष रूप से करती हैं क्योंकि यह उनके स्वास्थ्य और परिवार के कल्याण में लाभकारी माना जाता है। सप्तऋषियों की पूजा करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।