सावन का महीना भगवान शिव की आराधना का पवित्र समय होता है। यह वही समय है जब पूरे देश में शिवालयों में गूंजते हैं "ॐ नमः शिवाय" के मंत्र और श्रद्धालु जल चढ़ाने के लिए लंबी कतारों में खड़े नजर आते हैं। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि सावन का महीना केवल शिव को नहीं, बल्कि शनि को भी प्रसन्न करने का उत्तम समय होता है।
शास्त्रों के अनुसार शनि देव, शिव जी के अनन्य भक्त माने जाते हैं और सावन में यदि श्रद्धापूर्वक शिव की पूजा की जाए, तो शनि ग्रह की दशा भी सहजता से सुधारी जा सकती है। जिन लोगों की कुंडली में शनि की महादशा, साढ़े साती या ढैय्या का असर चल रहा है, उनके लिए सावन किसी वरदान से कम नहीं।
पहला उपाय: रुद्राभिषेक से मिलती है शांति
सावन में शिवलिंग पर जल चढ़ाना और रुद्राभिषेक करना अत्यंत फलदायी माना गया है। रुद्राभिषेक करते समय शिवलिंग पर शुद्ध जल, दूध, गंगाजल, बेलपत्र, काले तिल और शहद अर्पित करें।
रविवार या सोमवार को यह अभिषेक विशेष फलदायी होता है। इस दौरान "ॐ नमः शिवाय" का जाप करते रहें। यह क्रिया न केवल मानसिक शांति देती है, बल्कि शनि दोषों को भी शांति देती है। इस प्रक्रिया से नकारात्मक ऊर्जा धीरे-धीरे समाप्त होती है और जीवन में स्थिरता आती है।
दूसरा उपाय: शनिदेव के मंत्रों का जाप
शनिवार के दिन खासतौर पर सावन के शनिवार को शनिदेव के बीज मंत्रों का जाप करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है।
माना जाता है कि "ॐ शं शनैश्चराय नमः" और "ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः" जैसे मंत्रों का 108 बार जाप करने से जीवन में कई बाधाएं स्वत: दूर हो जाती हैं। यह मंत्र जाप शनि के कठोर प्रभावों को नरम करता है और व्यक्ति के आत्मबल को भी मजबूत बनाता है।
शास्त्रों के अनुसार सावन का माह तप, ध्यान और मंत्र साधना के लिए विशेष माना गया है। इस दौरान किया गया मंत्र जाप कई गुना अधिक प्रभावशाली होता है।
तीसरा उपाय: दान से दूर होती हैं बाधाएं
दान को हमेशा से शनि को प्रसन्न करने का सरल और प्रभावी तरीका माना गया है। सावन के हर शनिवार को काले तिल, सरसों का तेल, काले कपड़े, कंबल, चप्पल या लोहे की वस्तुएं दान करने से शनि के अशुभ प्रभाव शांत हो सकते हैं।
विशेष ध्यान रहे कि यह दान किसी जरूरतमंद, वृद्ध, असहाय या मजदूर वर्ग के व्यक्ति को ही किया जाए। ऐसा करना शनि के न्यायभाव को संतुलन देता है और व्यक्ति को जीवन में स्थिरता प्राप्त होती है।
चौथा उपाय: सेवा से मिलती है शनि की कृपा
शनि देव कर्म और न्याय के देवता माने जाते हैं। उनका गुस्सा उन्हीं पर आता है जो दूसरों के प्रति अन्याय करते हैं या अहंकार में रहते हैं।
इसलिए सावन में, विशेषकर शनिवार को, गरीबों, मजदूरों, वृद्धों या अंधों की सेवा करने का प्रयास करें। कोई भूखा मिले तो उसे भोजन दें, कोई बेसहारा दिखे तो उसे वस्त्र दें। यह सेवा न केवल शनि दोषों को दूर करती है, बल्कि आत्मिक संतोष और पुण्य का भी मार्ग प्रशस्त करती है।
सावन में विशेष संयोग बनते हैं
सावन का महीना वैसे भी ग्रहों की स्थिति के अनुसार विशेष रहता है। कई बार इसमें पड़ने वाले शनिवार अमावस्या, प्रदोष या श्रवण नक्षत्र के संयोग में शनि पूजा का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।
ऐसे शुभ संयोग में किए गए उपाय, पूजा, दान और सेवा कई गुना अधिक फल देते हैं। कई लोग इन विशेष दिनों में शनि मंदिरों में तेल चढ़ाकर शनि स्तोत्र का पाठ भी करते हैं।
ऋषियों और शास्त्रों की मान्यता
प्राचीन ग्रंथों में वर्णन मिलता है कि शनि देव, शिव जी के चरणों में बैठकर ध्यान करते हैं। उन्होंने अपनी कठोर तपस्या से शिव को प्रसन्न किया था और तभी से वे शिव के परम भक्त माने जाते हैं।
इसलिए जब भक्त सावन में शिव की पूजा करते हैं, तो शनि भी अप्रत्यक्ष रूप से प्रसन्न होते हैं। यही कारण है कि सावन में किए गए शनि उपाय अधिक प्रभावी और तेज असरदार माने जाते हैं।