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Shani Pradosh Vrat 2025: अक्टूबर में दो बार आएगा दुर्लभ योग, जाने तिथि और पूजा विधि

Shani Pradosh Vrat 2025: अक्टूबर में दो बार आएगा दुर्लभ योग, जाने तिथि और पूजा विधि

अक्टूबर 2025 में दुर्लभ संयोग के तहत दो बार शनि प्रदोष व्रत पड़ रहा है। यह व्रत शनिवार को होने वाले प्रदोष व्रत को कहा जाता है और जीवन के कष्टों को दूर कर भगवान शिव व शनिदेव की कृपा प्रदान करता है। ज्योतिषियों के अनुसार इस अवसर पर व्रत करने से विशेष पुण्यफल और अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है।

Shani Pradosh Vrat 2025: अक्टूबर में इस साल दो बार शनि प्रदोष व्रत पड़ रहा है, जो हिन्दू धर्म में अत्यंत शुभ माना जाता है। यह व्रत कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर शनिवार को रखा जाता है। अक्टूबर 2025 में पहला व्रत 4 अक्टूबर और दूसरा 18 अक्टूबर को पड़ रहा है, जिसमें दूसरा व्रत धनतेरस के दिन आता है। इस व्रत को भगवान शिव और शनिदेव की कृपा पाने के लिए विशेष रूप से पूजा जाता है। भक्तों को अशुभ प्रभावों से मुक्ति और जीवन में समृद्धि प्राप्त होती है।

अक्टूबर 2025 का विशेष संयोग

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का अत्यधिक धार्मिक महत्व है। यह व्रत हर महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। जब यह व्रत शनिवार के दिन पड़ता है, तब इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है। मान्यता है कि शनि प्रदोष व्रत करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और भगवान शिव व शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

साल 2025 में अक्टूबर का महीना भक्तों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस बार दो बार शनि प्रदोष व्रत का संयोग बन रहा है। ऐसे दुर्लभ अवसर पर व्रत करना बेहद शुभ माना जाता है।

शनि प्रदोष व्रत: तिथि और महत्व

प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव को समर्पित होता है। जब यह तिथि शनिवार के दिन पड़ती है, तो इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है। शनिवार होने के कारण इस व्रत में भगवान शिव के साथ-साथ शनिदेव की पूजा का विधान भी है।

ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से शनि के अशुभ प्रभाव, साढ़े साती और ढैय्या के प्रभाव से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा जीवन में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और मानसिक शांति आती है।

अक्टूबर 2025 में शुभ तिथियां

  • पहला शनि प्रदोष व्रत: 4 अक्टूबर 2025 (शनिवार, आश्विन शुक्ल पक्ष)
  • दूसरा शनि प्रदोष व्रत: 18 अक्टूबर 2025 (शनिवार, कार्तिक कृष्ण पक्ष)
  • विशेष बात यह है कि दूसरा शनि प्रदोष व्रत धनतेरस के शुभ दिन पर पड़ रहा है, जो इसके महत्व को और बढ़ा देता है।

शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि

शनि प्रदोष व्रत का पालन करने के लिए कुछ विशेष नियम और पूजा विधियां हैं। व्रत वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें, स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें। हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर व्रत का संकल्प करें। पूरे दिन फलाहार या जल ग्रहण करें और सात्विक नियमों का पालन करें।

पूजा की मुख्य विधियां

  • प्रदोष काल से पहले स्नान करें और चौकी पर शिव-परिवार (शिव, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय) की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें।
  • शिवलिंग का अभिषेक करें, जिसके लिए जल, गाय का दूध, दही, शहद, घी, शक्कर या गन्ने का रस का प्रयोग करें।
  • शिवलिंग पर बेलपत्र, आक के फूल, धतूरा, भांग, शमी के पत्ते, काले तिल, चंदन और अक्षत अर्पित करें।
  • माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें।
  • धूप, दीप और अगरबत्ती जलाएं।
  • भगवान शिव को सात्विक भोग जैसे खीर, हलवा या अन्य फल अर्पित करें।
  • शनि की कृपा के लिए इस दिन शनि चालीसा या शनि स्तोत्र का पाठ करें।
  • अंत में भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें और व्रत की कथा सुनें।

विशेष संयोग का फल

अक्टूबर 2025 में शनि प्रदोष व्रत का दो बार आना भक्तों के लिए बेहद शुभ माना जा रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस दुर्लभ अवसर पर किया गया व्रत अखंड पुण्यफल देने वाला होता है। खासकर जो लोग शनि की पीड़ा से प्रभावित हैं, उनके लिए यह अवसर वरदान साबित हो सकता है।

व्रत के दौरान किए गए पूजा-अर्चना और नियमों का पालन करने से जीवन में सुख-समृद्धि, मानसिक शांति और अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत को करने वाले को शनि और शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

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