जब हम सोशल वर्क की बात करते हैं, तो ज़्यादातर लोगों के दिमाग में पुराने ढर्रे वाले NGOs, चंदा इकट्ठा करना या समय मिलने पर मदद करना आता है। लेकिन श्लोका अंबानी और उनकी को-फाउंडर मनीति शाह ने इस सोच को पूरी तरह बदल दिया है। उनकी पहल ConnectFor ने समाजसेवा को प्रोफेशनल और स्केलेबल बना दिया है।
हाल ही में ‘The Masoom Minawala Show’ में शामिल होकर श्लोका ने इस पूरे सफर की दिलचस्प कहानी सुनाई। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने इस वेंचर की नींव रखी, किन-किन मुश्किलों से गुज़रीं और क्यों अब वॉलंटियर वर्क को एक करियर की तरह भी देखा जा सकता है।
कॉर्पोरेट से समाजसेवा की ओर, पर स्टाइल वही प्रोफेशनल
श्लोका अंबानी ने प्रिंसटन यूनिवर्सिटी और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़ाई की है। ऐसे में उनसे उम्मीद की जाती थी कि वो किसी बड़ी कॉर्पोरेट कंपनी में ऊंचे ओहदे पर काम करेंगी। लेकिन उन्होंने कॉर्पोरेट वर्ल्ड को छोड़कर समाजसेवा को चुना—वो भी एक अलग तरीके से।
ConnectFor की शुरुआत एक सिंपल आइडिया से हुई थी: क्यों ना वॉलंटियर्स को NGOs से जोड़ने के लिए एक ऐसा प्लेटफॉर्म बनाया जाए, जो भरोसेमंद हो, सही मैचिंग करे और दोनों के लिए आसान हो।
धीरे-धीरे यह आइडिया एक मजबूत सिस्टम में बदल गया। आज ConnectFor ने एक लाख से ज़्यादा वॉलंटियर-मैचिंग्स की हैं, और 1000 से भी ज़्यादा NGOs को सपोर्ट किया है। इसने करीब ₹21 करोड़ की वैल्यू जेनरेट की है—वो भी बिना किसी फंडिंग के, सिर्फ लोगों के समय और स्किल्स से।
Tech नहीं, Trust है असली डाटा
आजकल जब हर स्टार्टअप ऑटोमेशन और टेक्नोलॉजी की बात करता है, ConnectFor ने एक अलग रास्ता अपनाया। श्लोका कहती हैं, "हमने शुरुआत से ही लोगों और रिश्तों को अहमियत दी। टेक्नोलॉजी तो सिर्फ एक ज़रिया है, असली ताकत कम्युनिटी की होती है।"
ConnectFor का सिस्टम सिर्फ ऑनलाइन फॉर्म भरकर वॉलंटियर भेजने तक सीमित नहीं है। ये दोनों—वॉलंटियर और NGO—के बीच एक ऐसा तालमेल बनाता है जिससे दोनों को फायदा हो। मसलन, अगर किसी NGO को सोशल मीडिया मैनेजमेंट में मदद चाहिए और कोई वॉलंटियर उस फील्ड में एक्सपर्ट है, तो उन्हें जोड़ा जाता है।
यानी यहाँ काम सिर्फ "हेल्प करने" का नहीं है, बल्कि “सही तरीके से और सही जगह” मदद पहुँचाने का है।
'काम भी, बच्चों को इंस्पायर भी' — मॉडर्न मदरहुड का नया नजरिया
शो में एक और दिलचस्प बात सामने आई जब श्लोका ने अपनी पर्सनल लाइफ शेयर की। उन्होंने बताया कि कैसे वो अपने बच्चों को सिर्फ वक्त देना ही नहीं, बल्कि उन्हें "इंटेंशनल मॉडलिंग" भी देना चाहती हैं।
इसका मतलब है—बच्चों को यह दिखाना कि उनकी मां समाज के लिए काम करती है, अपने पैशन को फॉलो करती है और अपने मूल्यों पर खड़ी रहती है। श्लोका कहती हैं, "अगर मेरे बच्चे ये समझ सकें कि किसी के लिए कुछ करना भी एक करियर ऑप्शन है, तो वही मेरी सबसे बड़ी कामयाबी होगी।"
आज के दौर में जब पेरेंटिंग को सिर्फ टाइम मैनेजमेंट से जोड़ा जाता है, श्लोका का यह नजरिया ताज़गी भरा है।
ConnectFor क्यों है खास?
- स्केलेबिलिटी के साथ इमोशन: ConnectFor डेटा और स्केलेबिलिटी को महत्व देता है, लेकिन इसके हर पहलू में इंसानियत जुड़ी है।
- प्रोफेशनल मैचिंग: NGOs को उनकी ज़रूरत के मुताबिक वॉलंटियर मिलते हैं, और वॉलंटियर्स को भी ऐसा प्लेटफॉर्म मिलता है जहाँ उनके स्किल्स का सही इस्तेमाल हो।
- कम्युनिटी बिल्डिंग: ConnectFor एक नेटवर्क की तरह है, जहाँ लोग सिर्फ सेवा नहीं करते, एक-दूसरे से सीखते भी हैं।
- नो कॉस्ट, हाई इम्पैक्ट: यह प्लेटफॉर्म बिना किसी फंडिंग के करोड़ों की वैल्यू बना चुका है, जो अपने आप में एक मिसाल है।
समाजसेवा को बनाना है करियर का हिस्सा
ConnectFor का मकसद सिर्फ वॉलंटियरिज़्म को बढ़ावा देना नहीं है। इसका असली विज़न है—समाज में इस सोच को बढ़ाना कि किसी की मदद करना या समाज के लिए काम करना भी एक फुल-टाइम, सीरियस करियर हो सकता है।
श्लोका और मनीति मानती हैं कि अब समय आ गया है जब युवाओं को बताया जाए कि "इम्पैक्ट सेक्टर" कोई सेकेंडरी ऑप्शन नहीं है। यहाँ भी प्रोफेशनल ग्रोथ, स्किल डेवलपमेंट और लाइफ सैटिस्फैक्शन सब कुछ है।