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संसद के शीतकालीन सत्र की अवधि पर विवाद तेज, विपक्ष ने सरकार पर बहस से बचने का लगाया आरोप

संसद के शीतकालीन सत्र की अवधि पर विवाद तेज, विपक्ष ने सरकार पर बहस से बचने का लगाया आरोप

संसद का शीतकालीन सत्र 1 से 19 दिसंबर तक निर्धारित है। विपक्ष का कहना है कि छोटी अवधि होने से महंगाई, बेरोज़गारी और किसानों की समस्याओं जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर पर्याप्त चर्चा नहीं हो पाएगी। सरकार ने आरोपों को राजनीतिक बताया।

New Delhi: संसद का शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर से 19 दिसंबर तक आयोजित किया जाएगा। इसकी घोषणा संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने की। इस अवधि में लोकसभा और राज्यसभा में कई विधेयकों, राष्ट्रीय नीतियों और देश से जुड़े प्रमुख मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है। हालांकि सत्र के शुरू होने से पहले ही इसकी अवधि को लेकर राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है। विपक्ष का कहना है कि सत्र की अवधि बहुत कम रखी गई है, जिससे जनता से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर गहन चर्चा संभव नहीं होगी।

विपक्ष की नाराजगी

शीतकालीन सत्र के ऐलान के तुरंत बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने सरकार पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि हर साल शीतकालीन सत्र आमतौर पर नवंबर के तीसरे सप्ताह से शुरू होता है और करीब तीन से चार सप्ताह तक चलता है। लेकिन इस बार 1 दिसंबर से शुरू होने वाला यह सत्र केवल 15 बैठकों तक सीमित है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जानबूझकर सत्र को छोटा कर रही है ताकि असल मुद्दों पर बहस न हो सके।

क्या बहस के लिए विषय नहीं

जयराम रमेश ने सरकार से पूछा कि क्या आज देश में बहस के लिए कोई मुद्दा नहीं बचा है। उन्होंने कहा कि देश आर्थिक चुनौतियों, महंगाई, बेरोजगारी, किसानों की समस्याओं और पर्यावरण प्रदूषण जैसी गंभीर समस्याओं का सामना कर रहा है। इन विषयों पर चर्चा होना बेहद आवश्यक है। लेकिन सत्र छोटा होने से संसद इन मुद्दों पर गंभीर चर्चा नहीं कर पाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि यह पहली बार नहीं है जब चुनाव से पहले सत्र छोटा किया गया हो।

सरकार पर लगे आरोप

कांग्रेस का कहना है कि सरकार संसद को केवल औपचारिकता के तौर पर चला रही है, बहस और संवाद की भावना कमजोर होती जा रही है। विपक्ष ने यह आरोप भी लगाया है कि सरकार अक्सर महत्वपूर्ण विधेयकों को बिना चर्चा पारित करवा देती है। इससे लोकतंत्र कमजोर होता है, क्योंकि संसद का असली उद्देश्य नीतियों पर विचार-विमर्श करना और जनता की आवाज को संसद में प्रस्तुत करना है।

सरकार की प्रतिक्रिया

कांग्रेस के सवालों पर संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि विपक्ष केवल राजनीति कर रहा है और संसद की गतिविधियों को बाधित करने की कोशिश करता है। रिजिजू ने कहा कि सत्र की अवधि सरकार की कार्य आवश्यकताओं और संसदीय कार्यक्रमों के अनुसार तय की जाती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को संसद की बहसों में भाग लेना चाहिए, न कि बाधा उत्पन्न करनी चाहिए। उनका कहना था कि सरकार रचनात्मक और सार्थक चर्चा के लिए पूरी तरह तैयार है।

संसद में गतिरोध का इतिहास

पिछले कुछ वर्षों में संसद में गतिरोध की स्थिति बढ़ती देखी गई है। कई बार पूरा सत्र हंगामे की भेंट चढ़ जाता है। विपक्ष आरोप लगाता है कि सरकार सुनने के लिए तैयार नहीं होती, वहीं सरकार कहती है कि विपक्ष संसद को चलने नहीं देता। इस विवाद का नुकसान सीधे जनता को होता है, क्योंकि जनता के मुद्दे अनसुलझे रह जाते हैं और जरूरी विधेयक लंबित रहते हैं।

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