टाटा ट्रस्ट ने TVS ग्रुप के मानद चेयरमैन वेनु श्रीनिवासन को सर्वसम्मति से आजीवन ट्रस्टी के रूप में फिर से नियुक्त किया। श्रीनिवासन ऑटो सेक्टर, खासकर टू-व्हीलर बाजार में मजबूत पहचान रखते हैं। अब ट्रस्ट में मेहुल मिस्त्री की पुनर्नियुक्ति पर भी ध्यान केंद्रित है।
Tata Trust: टाटा ट्रस्ट ने वेनु श्रीनिवासन को आजीवन ट्रस्टी के रूप में फिर से नियुक्त किया है। उनका कार्यकाल 23 अक्टूबर को खत्म होने वाला था, लेकिन संगठन के भीतर आंतरिक मतभेदों के बीच यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया। श्रीनिवासन टीवीएस ग्रुप के मानद चेयरमैन हैं, जो टू-व्हीलर सेगमेंट में बाजार में प्रमुख खिलाड़ी है। उनकी नियुक्ति के साथ अब ट्रस्ट में मेहुल मिस्त्री की पुनर्नियुक्ति पर भी निगाहें लगी हैं।
वेनु श्रीनिवासन कौन हैं?
वेनु श्रीनिवासन ऑटोमोबाइल सेक्टर के अनुभवी कारोबारी हैं और TVS ग्रुप के मानद चेयरमैन हैं। उनकी अध्यक्षता में TVS टू-व्हीलर सेगमेंट में एक बड़ी ताकत बन गया है। वर्तमान में टीवीएस ग्रुप की बाजार हिस्सेदारी लगभग 17 प्रतिशत है। श्रीनिवासन की अगुवाई में कंपनी ने हाल के वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। तीसरी तिमाही में जीएसटी सुधारों के बाद और भी बेहतर रेवेन्यू की उम्मीद जताई जा रही है। टीवीएस ग्रुप की मौजूदा वैल्यूएशन लगभग 1.75 लाख करोड़ रुपए आंकी गई है।
वेनु श्रीनिवासन को उनकी व्यापारिक सूझबूझ और ऑटो सेक्टर में मजबूत पकड़ के लिए जाना जाता है। टू-व्हीलर सेगमेंट में उनकी दूरदर्शिता ने कंपनी को लगातार विकास और नवाचार की ओर अग्रसर किया है।
टाटा ट्रस्ट में नियुक्ति की पृष्ठभूमि
टाटा ट्रस्ट के भीतर कुछ समय से आंतरिक मतभेदों की खबरें आ रही थीं। एक गुट नोएल टाटा के साथ जुड़ा हुआ बताया जा रहा है, जबकि दूसरा गुट पूर्व प्रमुख रतन टाटा के समर्थकों का माना जा रहा है। इस बीच वेनु श्रीनिवासन की आजीवन ट्रस्टी के रूप में पुनर्नियुक्ति ने ट्रस्ट में स्थिरता बनाए रखने का प्रयास किया है।
नोएल टाटा ने रतन टाटा के निधन के बाद टाटा समूह के चेयरमैन का पद संभाला था। ट्रस्ट के फैसले से यह संकेत मिलता है कि संगठन ने अनुभव और योग्यता को प्राथमिकता दी है। श्रीनिवासन की नियुक्ति से ट्रस्ट के आगे बढ़ने के कार्यक्रम में निरंतरता बनी रहेगी।
मेहुल मिस्त्री की नियुक्ति पर निगाहें
अब ट्रस्ट के सभी ट्रस्टी और उद्योग जगत की नजरें मेहुल मिस्त्री की पुनर्नियुक्ति पर टिकी हैं। उनका कार्यकाल 28 अक्टूबर को खत्म हो रहा है। चर्चा है कि क्या उनका कार्यकाल स्वतः आगे बढ़ेगा या ट्रस्टियों की सर्वसम्मति से उन्हें आजीवन ट्रस्टी बनाया जाएगा।
टाटा ट्रस्ट टाटा संस में 66 प्रतिशत हिस्सेदारी रखता है। टाटा संस 156 साल पुराने टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी है और इसमें लगभग 400 कंपनियां शामिल हैं। ट्रस्ट की नीतियों के अनुसार किसी भी ट्रस्टी की नियुक्ति दीर्घकालिक और आजीवन आधार पर की जा सकती है, लेकिन 75 वर्ष की आयु होने पर पुनर्विचार किया जाता है।
ट्रस्ट के नियम और नीतियां
17 अक्टूबर, 2024 को हुई संयुक्त बैठक में यह संकल्प लिया गया था कि किसी भी ट्रस्टी का कार्यकाल खत्म होने पर उसे बिना किसी कार्यकाल सीमा के पुनर्नियुक्त किया जाएगा। इसके अलावा सभी न्यासियों की नियुक्ति दीर्घकालिक और आजीवन आधार पर की जाएगी। इस नीति का उद्देश्य ट्रस्ट में स्थिरता बनाए रखना और संगठन के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करना है।
टाटा ट्रस्ट के निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि संगठन में अनुभव और योग्यता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। ट्रस्ट का यह कदम समूह की दीर्घकालिक योजनाओं और सामाजिक उद्देश्यों की निरंतरता के लिए अहम माना जा रहा है।