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China Gold Reserves: सोने की रिकॉर्ड तेजी में चीन का कदम, भारत की मुद्रा पर पड़ेगा असर?

China Gold Reserves: सोने की रिकॉर्ड तेजी में चीन का कदम, भारत की मुद्रा पर पड़ेगा असर?

चीन लगातार सोना खरीद रहा है, जिससे उसका भंडार 7.4 करोड़ औंस तक पहुंच गया है। यह अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करने और वित्तीय जोखिम से बचाव की रणनीति का हिस्सा है। इस बढ़ती मांग से भारत के सोने के आयात बिल और रुपये पर दबाव बढ़ सकता है, जबकि घरेलू कीमतें और तेजी से बढ़ सकती हैं।

China Gold Reserves: साल 2025 में सोने की कीमतों में रिकॉर्ड तेजी के बीच, चीन लगातार सोना खरीद रहा है। पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने सितंबर तक 40,000 औंस सोना खरीदकर कुल भंडार 7.4 करोड़ औंस तक पहुंचा दिया। इसका उद्देश्य अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता घटाना, वित्तीय जोखिम से बचाव और युआन आधारित वैश्विक व्यापार को मजबूत करना है। इस तेजी से भारत के सोने के आयात बिल और रुपये पर दबाव बढ़ने की संभावना है।

सोने की बढ़ती कीमतें और वैश्विक असर

इस साल पहले ही सोना 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ चुका है। लंदन में सोने की कीमत 4,000 डॉलर प्रति औंस के पार चली गई है। इसके पीछे कई कारण हैं। भू-राजनीतिक तनाव, अमेरिका में लंबा सरकारी शटडाउन और डॉलर में निवेशकों का भरोसा घटना इस तेजी को प्रभावित कर रहे हैं।

चीन का केंद्रीय बैंक, पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना, लगातार 11 महीनों से सोना खरीद रहा है। सितंबर 2025 में ही उसने 40,000 औंस सोना खरीदा। इस खरीद के बाद चीन का कुल सोने का भंडार 7.40 करोड़ औंस हो गया, जिसकी कीमत लगभग 283.3 अरब डॉलर है।

भारत के लिए संभावित चुनौतियां

भारत दुनिया में सोने के सबसे बड़े उपभोक्ताओं में से एक है। अपनी अधिकांश मांग को पूरा करने के लिए भारत आयात पर निर्भर है। सोने की बढ़ती कीमतों से भारत को अधिक डॉलर खर्च करने पड़ सकते हैं। इससे भारत का कुल आयात बिल बढ़ेगा और व्यापार घाटा बढ़ने का खतरा है। साथ ही रुपये पर भी दबाव बढ़ सकता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर चीन की खरीदारी इसी तरह जारी रहती है, तो घरेलू बाजार में सोने की कीमतें और ऊपर जा सकती हैं। यह न केवल निवेशकों को प्रभावित करेगा बल्कि त्योहारों और शादी जैसे मौकों पर सोने की मांग पर भी असर डाल सकता है।

चीन की खरीद की वजहें

विशेषज्ञों के अनुसार, चीन की सोने की खरीद सिर्फ केंद्रीय बैंक तक सीमित नहीं है। आम जनता की खरीदारी, आर्बिट्रेज ट्रेडिंग और संस्थागत निवेश भी इस तेजी में योगदान दे रहे हैं। अपोलो ग्लोबल मैनेजमेंट के चीफ इकोनॉमिस्ट टोरस्टेन स्लोक का कहना है कि चीन की यह रणनीति लंबी अवधि की है।

विशेषज्ञ अक मंधान ने बताया कि चीन अमेरिकी संपत्तियों से हटकर सोने जैसी वास्तविक संपत्ति में निवेश कर रहा है। यह कदम वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और वित्तीय अस्थिरता के समय सुरक्षित विकल्प प्रदान करता है। मंधान ने अनुमान लगाया कि अगले दो साल में सोना 1,77,000 रुपये प्रति तोला तक पहुंच सकता है।

सोने की बढ़ती मांग और निवेश आकर्षण

गोल्डमैन सैक्स ने दिसंबर 2026 के लिए सोने का अनुमान 4,900 डॉलर प्रति औंस किया है। अरबपति निवेशक रे डालियो और केन ग्रिफिन भी वित्तीय अस्थिरता के बीच सोने को सबसे भरोसेमंद निवेश मानते हैं। दुनिया के कई केंद्रीय बैंक भी अपने सोने के भंडार बढ़ा रहे हैं।

विशेषज्ञों ने 10 प्रमुख कारण बताए हैं कि क्यों चीन आक्रामक तरीके से सोना खरीद रहा है। इसमें डॉलर पर निर्भरता कम करना, मुद्रा बचाव, विश्वसनीयता बढ़ाना, प्रतिबंधों से बचाव, विविधीकरण, बैलेंस शीट मजबूत करना, पूंजी का भरोसा बनाए रखना, व्यापार रणनीति, आर्थिक बीमा और वैश्विक चलन शामिल हैं।

चीन का बड़ा प्लान

चीन युआन को कमजोर कर रहा है ताकि एक्सपोर्ट और लिक्विडिटी बढ़ सके। वहीं वित्तीय जोखिमों से बचाव के लिए सोने का भंडार बढ़ा रहा है। यह रणनीति बीजिंग को मजबूत बनाती है और पश्चिम-प्रभुत्व वाले वित्तीय सिस्टम से धीरे-धीरे दूरी बनाने का संकेत देती है।

भारत पर असर

भारतीय निवेशकों के लिए इसका असर घरेलू सोने की कीमतों में उछाल के रूप में दिख सकता है। सोना भारत के व्यापार घाटे को बढ़ा सकता है और आरबीआई के लिए विदेशी मुद्रा में सोना खरीदना महंगा हो जाएगा। इसके अलावा त्योहारों और शादी के अवसरों पर उपभोक्ताओं की खरीदारी भी प्रभावित हो सकती है।

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