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UN में भारत ने स्वतंत्र फिलिस्तीन राष्ट्र को दिया समर्थन, जानें और कितने देशों ने दी मंजूरी

UN में भारत ने स्वतंत्र फिलिस्तीन राष्ट्र को दिया समर्थन, जानें और कितने देशों ने दी मंजूरी

संयुक्त राष्ट्र में शुक्रवार को एक ऐतिहासिक फैसला लिया गया, जिसमें भारत समेत 142 देशों ने फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने और इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष को समाप्त करने के लिए दो-राष्ट्र समाधान (Two-State Solution) का समर्थन किया।

न्यूयॉर्क: संयुक्त राष्ट्र में शुक्रवार को एक ऐतिहासिक फैसला लिया गया, जिसमें भारत समेत 142 देशों ने फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने वाले ‘न्यूयॉर्क डिक्लेरेशन’ का समर्थन किया। यह प्रस्ताव इजरायल और अमेरिका के विरोध के बावजूद पारित हुआ। न्यूयॉर्क डिक्लेरेशन के तहत फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा देने के साथ ही इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष को समाप्त करने के लिए दो-राष्ट्र समाधान (Two-State Solution) लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाया गया।

न्यूयॉर्क डिक्लेरेशन क्या है?

यह प्रस्ताव फ्रांस और सऊदी अरब की अगुवाई में तैयार किया गया था। जुलाई में आयोजित उच्च-स्तरीय सम्मेलन में इसे दो-राष्ट्र समाधान को लागू करने के लिए पेश किया गया। डिक्लेरेशन में गाजा में युद्धविराम के बाद फिलिस्तीनी अथॉरिटी को पूरे फिलिस्तीनी क्षेत्र का प्रशासन सौंपने, हमास के शासन को समाप्त करने और उनके हथियार फिलिस्तीनी अथॉरिटी को सौंपने की बात कही गई है।

इसके अलावा, प्रस्ताव में फिलिस्तीनी नागरिकों की सुरक्षा और शांति समझौते की निगरानी के लिए संयुक्त राष्ट्र के तहत एक अस्थायी अंतरराष्ट्रीय मिशन तैनात करने की व्यवस्था भी शामिल है। न्यूयॉर्क डिक्लेरेशन में 7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा इजरायल पर किए गए हमलों की निंदा की गई, जिसमें लगभग 1,200 लोग मारे गए और 250 को बंधक बनाया गया। वहीं गाजा में इजरायली हमलों, घेराबंदी और भुखमरी के कारण 64,000 से अधिक फिलिस्तीनियों की मौत होने की भी आलोचना की गई।

भारत ने इस प्रस्ताव का खुलकर समर्थन किया

भारत ने इस प्रस्ताव का खुलकर समर्थन किया। यह कदम भारत की पुरानी नीति के अनुरूप है, जिसमें वह फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने का पक्ष रखता है। फिलिस्तीनी राजदूत रियाद मंसूर ने इस समर्थन को ‘शांति की उम्मीद’ करार दिया। उन्होंने कहा, यह प्रस्ताव पूरी दुनिया की उस ख्वाहिश को दर्शाता है, जो शांति के रास्ते को खोलना चाहती है। 

हम उन लोगों से अपील करते हैं, जो जंग और तबाही का रास्ता चुन रहे हैं, कि वे शांति और तर्क की आवाज सुनें। भारत के समर्थन से यह संदेश गया कि वह दो-राष्ट्र समाधान और क्षेत्रीय शांति के लिए प्रतिबद्ध है।

अमेरिका और इजरायल का विरोध

इधर, इजरायल और अमेरिका ने प्रस्ताव का विरोध किया। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इसे सिरे से खारिज कर दिया और वेस्ट बैंक में नई बस्तियों के निर्माण पर हस्ताक्षर किए। उन्होंने कहा, यहां कोई फिलिस्तीनी राष्ट्र नहीं होगा। यह जमीन हमारी है। इजरायल के UN राजदूत डैनी डैनन ने डिक्लेरेशन को ‘नाटक’ करार देते हुए कहा कि यह केवल हमास को फायदा पहुंचाएगा। अमेरिका ने भी इसे ‘गलत समय पर किया गया प्रचार स्टंट’ बताया और कहा कि यह प्रस्ताव हमास को राजनीतिक और सैन्य लाभ दे सकता है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रस्ताव के पक्ष में 142 देशों ने मतदान किया, जबकि 10 देशों ने इसका विरोध किया और 12 ने वोटिंग से दूरी बनाई। फिलिस्तीनी राजदूत रियाद मंसूर ने उम्मीद जताई कि 22 सितंबर से शुरू होने वाली महासभा की बैठक में और कम से कम 10 देश फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देंगे। वर्तमान में 145 से अधिक देशों ने पहले ही ऐसा किया है।

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