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UNSC की अध्यक्षता मिलते ही पाकिस्तान ने फिर उठाया कश्मीर मुद्दा, भारत ने दी कड़ी प्रतिक्रिया

UNSC की अध्यक्षता मिलते ही पाकिस्तान ने फिर उठाया कश्मीर मुद्दा, भारत ने दी कड़ी प्रतिक्रिया

UNSC की अध्यक्षता मिलते ही पाकिस्तान ने कश्मीर मुद्दा उठाकर भारत पर निशाना साधा। भारत ने इसे द्विपक्षीय मामला बताया। वैश्विक समर्थन की कमी से पाकिस्तान की ये कोशिश सफल होती नहीं दिख रही।

India-PAK: पाकिस्तान को जुलाई 2025 के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की अध्यक्षता मिल गई है। यह अध्यक्षता रोटेशन के आधार पर परिषद के 15 सदस्यों के बीच बांटी जाती है, जिसमें पांच स्थायी और दस अस्थायी सदस्य शामिल होते हैं। इस बार अल्फाबेटिक ऑर्डर के मुताबिक पाकिस्तान को यह जिम्मेदारी मिली है। अध्यक्षता संभालते ही पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और कश्मीर का मुद्दा अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाने की कोशिश की है।

पाकिस्तानी राजदूत ने क्या कहा

संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि असीम इफ्तिखार अहमद ने मंगलवार को प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच गंभीर तनाव का मुद्दा है। उन्होंने UNSC से अपील की कि वह इस मुद्दे के समाधान के लिए कदम उठाए। असीम इफ्तिखार ने कहा कि यह सिर्फ पाकिस्तान की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि सुरक्षा परिषद और खासकर उसके स्थायी सदस्यों की भी जिम्मेदारी है कि वे इस पर ध्यान दें और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के अनुसार समाधान निकालें।

भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीयकरण की नाकाम कोशिश

पाकिस्तान लंबे समय से भारत के खिलाफ कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने की कोशिश करता रहा है। लेकिन भारत ने हमेशा स्पष्ट किया है कि कश्मीर उसका आंतरिक मामला है और इस पर कोई बाहरी हस्तक्षेप नहीं हो सकता। भारत का कहना है कि पाकिस्तान के साथ केवल एक ही मुद्दे पर चर्चा हो सकती है और वह है पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) को भारत को वापस लौटाना।

शिमला समझौते की पृष्ठभूमि और रद्द करने का फैसला

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान समर्थित आतंकियों द्वारा किए गए हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी। इसके जवाब में भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए सिंधु जल समझौते को निलंबित कर दिया और आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया। इस कार्रवाई के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिन तक सीमित संघर्ष चला। इस संघर्ष में पाकिस्तान को भारी नुकसान उठाना पड़ा। इसके बाद पाकिस्तान ने बौखलाहट में आकर शिमला समझौते को रद्द कर दिया।

शिमला समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच 1972 में हुआ था, जिसमें यह तय किया गया था कि दोनों देश आपसी मुद्दों को द्विपक्षीय तरीके से सुलझाएंगे और किसी तीसरे पक्ष को इसमें हस्तक्षेप का अधिकार नहीं होगा। पाकिस्तान अब इस समझौते के रद्द होने को आधार बनाकर कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहा है।

संयुक्त राष्ट्र की सीमित भूमिका

हालांकि, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की इस कोशिश को ज्यादा समर्थन मिलता नहीं दिख रहा है। अमेरिका और रूस जैसे शक्तिशाली देश भारत के करीबी हैं और वे पाकिस्तान की इस मांग को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की मौजूदा भूमिका और प्रभाव भी सीमित होता जा रहा है, जिससे पाकिस्तान के प्रयासों को ज्यादा बल मिलने की संभावना कम है।

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