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अमरनाथ यात्रा 2025 शुरू: रहस्य और आस्था से भरी इस यात्रा में क्या नया है? जानिए रहस्य

अमरनाथ यात्रा 2025 शुरू: रहस्य और आस्था से भरी इस यात्रा में क्या नया है? जानिए रहस्य

साल 2025 की बहुप्रतीक्षित अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से शुरू हो गई है। यह पवित्र यात्रा पूरे 38 दिन चलेगी और इसका समापन 9 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन होगा। इस अवसर पर देश के अलग-अलग हिस्सों से हजारों श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन करने के लिए जम्मू-कश्मीर की ओर रवाना हो चुके हैं। बुधवार को यात्रा का पहला जत्था जम्मू से रवाना किया गया, जिसे विधिवत पूजा के बाद हरी झंडी दिखाई गई।

समुद्र तल से 3,978 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गुफा

अमरनाथ यात्रा इतनी प्रसिद्ध और कठिन इसलिए मानी जाती है क्योंकि यह समुद्र तल से लगभग 3,978 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां तक पहुंचने के लिए यात्रियों को घने जंगलों, ऊंचे पहाड़ों और कभी-कभी बर्फीले रास्तों से गुजरना पड़ता है। यही वजह है कि इस यात्रा को एक तरह की आत्मिक परीक्षा भी माना जाता है।

बाबा बर्फानी की महिमा

अमरनाथ गुफा के भीतर हर साल प्राकृतिक रूप से बनने वाला बर्फ का शिवलिंग ही इस यात्रा का मुख्य आकर्षण होता है। इसे ही भक्त बाबा बर्फानी के नाम से पुकारते हैं। खास बात यह है कि यह शिवलिंग किसी इंसानी प्रयास से नहीं, बल्कि प्राकृतिक रूप से हिम से निर्मित होता है। यह शिवलिंग श्रावण मास में पूर्ण आकार लेता है और चंद्रमा की कलाओं की तरह घटता-बढ़ता रहता है।

आज भी यह रहस्य बना हुआ है कि हर साल यह शिवलिंग कैसे बनता है और चंद्रमा की कलाओं के अनुसार आकार कैसे लेता है।

अमरनाथ गुफा की खोज का इतिहास

अमरनाथ गुफा की खोज को लेकर अलग-अलग मान्यताएं प्रचलित हैं। एक मान्यता के अनुसार इस गुफा की खोज साल 1850 में एक गड़रिया बूटा मलिक ने की थी। कहा जाता है कि बूटा मलिक को एक साधु ने कोयले की पोटली दी थी जो घर पहुंचकर सोने में बदल गई। जब वह साधु को ढूंढने लौटा तो अमरनाथ गुफा तक पहुंच गया और वहीं पर शिवलिंग के दर्शन हुए। तब से इस गुफा को लेकर लोगों में आस्था और बढ़ती चली गई।

एक अन्य मान्यता के अनुसार कश्मीर की घाटी जब झील के रूप में थी, तब कश्यप ऋषि ने यहां के जल को बाहर निकालकर इस भूमि को रहने लायक बनाया। उसी दौरान भृग ऋषि जब हिमालय की यात्रा पर थे, तब उन्हें यह गुफा दिखाई दी जिसमें भगवान शिव का स्वरूप बना हुआ था। इसके बाद से अमरनाथ को पूजा स्थल के रूप में जाना जाने लगा।

गुफा का नाम अमरनाथ क्यों पड़ा

धार्मिक ग्रंथों में वर्णित एक कथा के अनुसार भगवान शिव ने इस गुफा में माता पार्वती को अमरता का रहस्य बताया था। यह रहस्य इतना पवित्र और गुप्त था कि शिवजी ने उसे सुनाने के लिए एक निर्जन स्थान चुना। यहां तक कि उन्होंने अपने पांच सिरों वाले सर्पों, नंदी, गणेश और अन्य गणों को भी बाहर छोड़ दिया था। इस गुफा को ही "अमर कथा" की साक्षी मानते हुए "अमरनाथ" नाम मिला, जिसका अर्थ है "अमरता का स्वामी"।

कितना पुण्य मिलता है इस यात्रा से

हिंदू धर्म में अमरनाथ यात्रा को अत्यधिक पुण्यकारी माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस यात्रा के दौरान मिलने वाले पुण्य की तुलना अन्य तीर्थों से कई गुना अधिक की जाती है। स्कंद पुराण और अन्य ग्रंथों में उल्लेख है कि अमरनाथ की यात्रा करने से काशी के दर्शन से दस गुना, प्रयागराज से सौ गुना और नैमिषारण्य से हजार गुना ज्यादा पुण्य मिलता है।

कठिन होने के बावजूद हर साल लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं

अमरनाथ यात्रा की कठिनाई के बावजूद हर साल लाखों श्रद्धालु इसमें भाग लेते हैं। इसका कारण है बाबा बर्फानी की अटूट श्रद्धा और लोगों की आस्था। कई श्रद्धालु ऐसे भी होते हैं जो लगातार कई वर्षों से इस यात्रा में शामिल होते हैं और इसे अपनी आध्यात्मिक साधना का हिस्सा मानते हैं।

रास्ता और सुविधाएं

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस यात्रा के लिए दो प्रमुख रास्ते हैं। पहला रास्ता पहलगाम से होकर जाता है जो लगभग 46 किलोमीटर लंबा है। दूसरा रास्ता बालटाल से होकर जाता है जो छोटा तो है, लेकिन ज्यादा कठिन है। यात्रा के दौरान कई जगहों पर बेस कैंप, मेडिकल सुविधा, खाना और सुरक्षा इंतजाम किए जाते हैं। इस साल भी सरकार और सेना की ओर से यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए विशेष तैयारियां की गई हैं।

श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षा व्यवस्था

केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से इस साल अमरनाथ यात्रा के दौरान विशेष सुरक्षा प्रबंध किए गए हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस, ITBP, BSF और सेना के जवान पूरे रूट पर तैनात हैं। ड्रोन और CCTV कैमरों की मदद से यात्रा मार्गों पर निगरानी रखी जा रही है। साथ ही मौसम की जानकारी के लिए भी विशेष निगरानी की जा रही है ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत राहत पहुंचाई जा सके।

आध्यात्मिक अनुभव से भरपूर है ये यात्रा

अमरनाथ यात्रा सिर्फ एक तीर्थ यात्रा नहीं है, यह एक आध्यात्मिक अनुभव है। जो श्रद्धालु इस कठिन यात्रा को पूरी श्रद्धा और संकल्प के साथ करते हैं, उन्हें आंतरिक संतोष और दिव्यता की अनुभूति होती है। यह यात्रा मन और आत्मा को एक अनोखी शक्ति से भर देती है, जिसे शब्दों में व्यक्त करना मुश्किल है।

हर साल बढ़ रहा है श्रद्धालुओं का उत्साह

पिछले कुछ वर्षों में अमरनाथ यात्रा में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ी है। सरकार की ओर से हेलीकॉप्टर सेवा, मेडिकल चेकअप और ऑनलाइल रजिस्ट्रेशन जैसी सुविधाओं ने यात्रा को ज्यादा सुगम बना दिया है।

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