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उपराष्ट्रपति के इस्तीफे के बाद कब होंगे चुनाव? जानिए संविधान के अनुच्छेद 68 का प्रावधान

उपराष्ट्रपति के इस्तीफे के बाद कब होंगे चुनाव? जानिए संविधान के अनुच्छेद 68 का प्रावधान

जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के बाद अब उनके उत्तराधिकारी की नियुक्ति के लिए चुनाव जल्द कराना अनिवार्य हो गया है। संविधान के अनुच्छेद 68 के खंड 2 के तहत यह स्पष्ट प्रावधान है। 

Jagdeep Dhankhar Resign: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद अब देश को जल्द ही नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया से गुजरना होगा। देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद माने जाने वाले उपराष्ट्रपति पद को लेकर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 68 में स्पष्ट रूप से व्यवस्था की गई है कि ऐसी स्थिति में चुनाव जल्द से जल्द कराना अनिवार्य होगा।

धनखड़ के इस्तीफे के साथ ही यह सवाल भी उठ रहा है कि जब उपराष्ट्रपति पद रिक्त हो जाता है तो उसकी जिम्मेदारियां कौन निभाता है और संवैधानिक प्रक्रिया क्या है? आइए जानते हैं कि संविधान इस संबंध में क्या कहता है।

क्या कहता है संविधान का अनुच्छेद 68?

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 68 (Article 68) इस प्रकार की स्थिति के लिए पहले से ही स्पष्ट प्रावधान करता है। अनुच्छेद 68 के उपखंड (2) के तहत यदि उपराष्ट्रपति का पद किसी भी कारण से रिक्त होता है – चाहे वह मृत्यु, त्यागपत्र, पद से हटाए जाने या अन्य किसी कारण से हो, तो उस रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचन जितनी शीघ्र संभव हो कराया जाना चाहिए।

इस अनुच्छेद में यह भी प्रावधान है कि उपराष्ट्रपति के स्थान पर निर्वाचित व्यक्ति अपने पदभार ग्रहण करने की तिथि से पूर्ण पांच वर्ष की अवधि के लिए पद धारण करेगा। यानी यदि कार्यकाल के बीच में इस्तीफा होता है तो नया उपराष्ट्रपति नियुक्त होने के बाद वही अगले पांच वर्ष तक पद पर रहेगा।

उपराष्ट्रपति के इस्तीफे की प्रक्रिया क्या होती है?

संविधान के अनुच्छेद 67 (ए) के अनुसार, उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा सौंपकर अपने पद से त्यागपत्र दे सकते हैं। राष्ट्रपति द्वारा यह त्यागपत्र स्वीकार किए जाने के साथ ही वह तत्काल प्रभाव से लागू हो जाता है। धनखड़ के इस्तीफे को राष्ट्रपति ने औपचारिक रूप से स्वीकार कर लिया है और इसके साथ ही संवैधानिक प्रक्रिया सक्रिय हो गई है।

उपराष्ट्रपति पदेन राज्यसभा के सभापति होते हैं। उनके इस्तीफे के बाद राज्यसभा के संचालन को लेकर सवाल उठना स्वाभाविक है। लेकिन राज्यसभा के उपसभापति को संविधानिक रूप से यह जिम्मेदारी दी गई है कि जब तक नया उपराष्ट्रपति नहीं चुन लिया जाता, वह सभापति के रूप में कार्य करेंगे।

इस संदर्भ में संविधान में यह भी स्पष्ट किया गया है कि उपराष्ट्रपति जब राष्ट्रपति के कार्यभार में या अन्य किसी कारण से अनुपस्थित होते हैं, तब राज्यसभा का कोई अन्य सदस्य, जिसे राष्ट्रपति या उपसभापति द्वारा अधिकृत किया गया हो, सभापति के कार्यों का निर्वहन करता है।

उपराष्ट्रपति पद की अहम विशेषताएं

  • उपराष्ट्रपति भारत के संविधान में दूसरा सर्वोच्च पद है।
  • कार्यकाल 5 वर्षों का होता है, लेकिन अगर उत्तराधिकारी नहीं चुना गया है, तो वे कार्यकाल समाप्ति के बाद भी कार्य करते रहते हैं।
  • उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति होते हैं।
  • राष्ट्रपति के असमर्थ होने या रिक्ति में, कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते हैं।
  • जब उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते हैं, तब वे राज्यसभा के सभापति के कार्यों का निर्वहन नहीं करते।

उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 66 के तहत उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के निर्वाचक मंडल द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अंतर्गत एकल संक्रमणीय मत प्रणाली (Single Transferable Vote) से किया जाता है।
यह पूरी प्रक्रिया गोपनीय मतदान के जरिये होती है।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद राज्यसभा के कार्यों का संचालन फिलहाल उपसभापति करेंगे। विधायी प्रक्रिया में कोई बाधा नहीं आएगी क्योंकि यह व्यवस्था संविधान में पहले से ही निर्धारित है। संसदीय जानकारों और संवैधानिक विशेषज्ञों का मानना है कि इससे किसी प्रकार का संवैधानिक संकट उत्पन्न नहीं होगा।

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील विराग गुप्ता के मुताबिक, इस्तीफा स्वीकार होते ही संवैधानिक प्रावधान स्वतः लागू हो जाते हैं और उपसभापति विधायी कार्य को सुचारु रूप से आगे बढ़ाएंगे।

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