महाराष्ट्र सरकार ने वाधवन पोर्ट को समृद्धि महामार्ग से जोड़ने के लिए 104.89 किमी लंबे हाई-स्पीड मालवाहक कॉरिडोर को मंजूरी दी है। ₹2,528.90 करोड़ की लागत वाली यह परियोजना अगले तीन वर्षों में पूरी होगी। इससे व्यापारिक कनेक्टिविटी बढ़ेगी, लॉजिस्टिक्स लागत घटेगी और राज्य के पिछड़े क्षेत्रों को आर्थिक लाभ मिलेगा।
महाराष्ट्र सरकार ने लॉजिस्टिक्स नेटवर्क को मजबूत बनाने के उद्देश्य से वाधवन पोर्ट और समृद्धि महामार्ग को जोड़ने वाले हाई-स्पीड मालवाहक कॉरिडोर के निर्माण को मंजूरी दी है। 104.89 किलोमीटर लंबा यह कॉरिडोर पालघर जिले के वाधवन पोर्ट को नासिक के भरवीर में समृद्धि महामार्ग से जोड़ेगा। ₹2,528.90 करोड़ की लागत से बनने वाली इस परियोजना को MSRDC द्वारा निष्पादित किया जाएगा और HUDCO से ₹1,500 करोड़ की वित्तीय सहायता मिलेगी। इससे व्यापार को गति, लॉजिस्टिक्स लागत में कमी और राज्य के आंतरिक क्षेत्रों को वैश्विक व्यापार से जुड़ने का अवसर मिलेगा।
परियोजना का स्वरूप और लागत
इस महत्वाकांक्षी योजना की कुल लागत ₹2,528.90 करोड़ निर्धारित की गई है। परियोजना को महाराष्ट्र स्टेट रोड डेवेलपमेंट कॉर्पोरेशन (MSRDC) द्वारा निष्पादित किया जाएगा। निर्माण के लिए हाउसिंग एंड अर्बन डेवेलपमेंट कॉर्पोरेशन (HUDCO) से ₹1,500 करोड़ की वित्तीय सहायता प्राप्त होगी। सरकार का लक्ष्य इस कॉरिडोर को अगले तीन वर्षों में पूर्ण रूप से चालू करना है।
वाधवन पोर्ट: भारत का उभरता समुद्री केंद्र
पालघर जिले में बन रहा वाधवन पोर्ट, भारत सरकार की एक महत्त्वपूर्ण समुद्री परियोजना है, जो देश को एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय ट्रांसशिपमेंट हब के रूप में स्थापित करने की दिशा में अग्रसर है। वाधवन पोर्ट प्रोजेक्ट लिमिटेड द्वारा विकसित किया जा रहा यह बंदरगाह, अंतरराष्ट्रीय कंटेनर ट्रैफिक को संभालने में सक्षम होगा और भारत की समुद्री लॉजिस्टिक्स क्षमताओं को सशक्त बनाएगा।
कॉरिडोर बनने के बाद इस पोर्ट से मालवाहक ट्रकों और कंटेनर की आवाजाही तेज, सुगम और किफायती हो सकेगी। यह कनेक्टिविटी देशभर में व्यापार और निर्यात की संभावनाओं को और विस्तार देगी।
78 किलोमीटर की दूरी होगी कम, समय और ईंधन में होगी बचत
वर्तमान में वाधवन पोर्ट से समृद्धि महामार्ग तक की दूरी 183.48 किलोमीटर है, जो वडोदरा-मुंबई एक्सप्रेसवे होते हुए तय की जाती है। प्रस्तावित हाई-स्पीड कॉरिडोर इस दूरी को घटाकर केवल 104.89 किलोमीटर कर देगा। इस प्रकार, लगभग 78.58 किलोमीटर की बचत होगी। दूरी कम होने से सफर का समय 4-5 घंटे से घटकर महज 1-1.5 घंटे रह जाएगा, जिससे ईंधन और समय दोनों की बचत होगी।
यह पहल लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने में मदद करेगी, जिससे व्यापारिक प्रतिस्पर्धा में सुधार होगा और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
आंतरिक क्षेत्रों की व्यापारिक कनेक्टिविटी में सुधार
इस कॉरिडोर के माध्यम से विदर्भ, मराठवाड़ा और उत्तर महाराष्ट्र जैसे राज्य के आंतरिक क्षेत्र सीधे वाधवन पोर्ट से जुड़ सकेंगे। इससे इन क्षेत्रों के कृषि उत्पादों, छोटे उद्योगों और निर्माण इकाइयों को बंदरगाह तक आसान और तेज पहुंच मिलेगी।
कॉरिडोर के रास्ते में पालघर जिले के दहानू, विक्रमगढ़, जव्हार और मोखाडा, तथा नासिक जिले के त्र्यंबकेश्वर और इगतपुरी जैसे इलाके आएंगे। इन क्षेत्रों को अब तक सीमित कनेक्टिविटी ही प्राप्त थी, लेकिन अब उन्हें बड़े बाजारों और अंतरराष्ट्रीय व्यापार से जुड़ने का अवसर मिलेगा।
MSME, कृषि और शिक्षा क्षेत्र को मिलेगा लाभ
इस परियोजना का सीधा फायदा MSME सेक्टर, कृषि आधारित उद्योगों, आईटी कंपनियों, और शैक्षणिक संस्थानों को मिलेगा। बेहतर कनेक्टिविटी से इन क्षेत्रों में निवेश बढ़ेगा और स्थानीय युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।
कॉरिडोर से किसानों को अपने उत्पाद कम समय में मंडियों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी, जिससे उन्हें बेहतर मूल्य मिल सकेगा। इसके अलावा, ग्रामीण इलाकों में व्यापारिक गतिविधियों को बल मिलेगा और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था सशक्त होगी।
परिवहन क्रांति की ओर महाराष्ट्र
यह हाई-स्पीड मालवाहक कॉरिडोर महाराष्ट्र को देश के सबसे प्रभावशाली लॉजिस्टिक्स केंद्रों में स्थान दिलाने की क्षमता रखता है। केंद्र सरकार की ‘गति शक्ति’ योजना के अंतर्गत यह परियोजना मल्टी-मोडल इन्फ्रास्ट्रक्चर का एक बेहतरीन उदाहरण बन सकती है।
सरकार का यह कदम राज्य को न केवल व्यापारिक दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक-आर्थिक विकास के नजरिए से भी आगे ले जाने वाला है। इसके जरिए राज्य का हर कोना वैश्विक व्यापार के साथ जोड़ा जा सकेगा।