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Yes Bank में विदेशी निवेश के बाद भारी गिरावट? जानिए इसके पीछे की वजह

Yes Bank में विदेशी निवेश के बाद भारी गिरावट? जानिए इसके पीछे की वजह

यस बैंक से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है, जहां जापान की प्रमुख वित्तीय संस्था सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉरपोरेशन (SMBC) ने मई महीने में बैंक में 20% हिस्सेदारी खरीदी है। इस रणनीतिक निवेश को यस बैंक के लिए एक बड़ा विश्वास मत माना जा रहा है 

प्राइवेट सेक्टर के जाने-माने बैंक यस बैंक लिमिटेड ने गुरुवार की शाम वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून 2025 तक का शुरुआती कारोबारी अपडेट जारी किया। इस अपडेट में बैंक ने अपने एडवांसेज, डिपॉजिट, CASA रेशियो और लिक्विडिटी कवरेज रेशियो जैसे अहम आंकड़े पेश किए। रिपोर्ट से पता चला कि जहां सालाना आधार पर बैंक के डिपॉजिट और लोन में बढ़त दर्ज हुई, वहीं तिमाही के मुकाबले इनमें गिरावट देखी गई।

डिपॉजिट में सालाना बढ़त

यस बैंक ने बताया कि अप्रैल से जून तिमाही में उसका कुल डिपॉजिट 4.1 फीसदी की सालाना बढ़त के साथ दो लाख पचहत्तर हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया। पिछले साल की इसी अवधि में यह आंकड़ा दो लाख पैंसठ हजार करोड़ रुपये था। हालांकि मार्च 2025 तिमाही के मुकाबले इसमें करीब तीन फीसदी की गिरावट देखी गई, जब डिपॉजिट दो लाख चौरासी हजार करोड़ रुपये के करीब था।

बैंक का कहना है कि डिपॉजिट में सालाना बढ़त ग्राहकों के भरोसे को दर्शाती है, लेकिन हालिया तिमाही में जमा पर थोड़ी सुस्ती जरूर दिखी है।

CASA डिपॉजिट में मिला-जुला रुख 

करंट अकाउंट और सेविंग अकाउंट यानी CASA डिपॉजिट के आंकड़े भी कुछ इसी तरह के रहे। सालाना हिसाब से इसमें 10.8 फीसदी की बढ़त हुई है और यह अब करीब 90 हजार 347 करोड़ रुपये हो चुका है। जबकि मार्च तिमाही में यह 97 हजार 480 करोड़ रुपये था, यानी तीन महीने में इसमें 7.3 फीसदी की कमी आई है।

मार्च 2025 तिमाही में बैंक का CASA रेशियो 34.3 फीसदी था, जो अब घटकर 32.7 फीसदी पर आ गया है। हालांकि पिछले साल की तुलना में यह अब भी बेहतर है, क्योंकि तब यह 30.8 फीसदी था। CASA रेशियो बैंक की सस्ती फंडिंग की क्षमता का संकेत देता है और इसमें गिरावट का मतलब होता है कि बैंक को अब पहले जितने कम खर्च में पैसा नहीं मिल पा रहा है।

लोन और एडवांसेज की ग्रोथ में भी मंदी 

बैंक ने बताया कि उसके कुल लोन और एडवांसेज सालाना आधार पर 5.1 फीसदी बढ़कर दो लाख इकतालीस हजार करोड़ रुपये हो गए हैं। हालांकि मार्च तिमाही में यह आंकड़ा दो लाख छियालिस हजार करोड़ रुपये था, यानी तिमाही आधार पर करीब दो फीसदी की गिरावट आई है।

यह आंकड़े बताते हैं कि बैंक की लोन ग्रोथ में सालाना बढ़त तो बनी हुई है, लेकिन तिमाही आधार पर थोड़ी सुस्ती जरूर देखने को मिल रही है। इसका सीधा मतलब है कि मौजूदा तिमाही में क्रेडिट मांग कमजोर रही है।

लिक्विडिटी कवरेज रेशियो में सुधार

यस बैंक ने बताया कि उसका लिक्विडिटी कवरेज रेशियो यानी एलसीआर मार्च तिमाही के 125 फीसदी से बढ़कर अब 135.7 फीसदी पर पहुंच गया है। हालांकि पिछले साल की पहली तिमाही में यह 137.8 फीसदी था, यानी सालाना आधार पर इसमें थोड़ी गिरावट है।

एलसीआर यह बताता है कि बैंक के पास अल्पकालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त तरलता है या नहीं। बैंकिंग सेक्टर में इसे बैंक की वित्तीय मजबूती का संकेत माना जाता है।

SMBC की बड़ी डील से जुड़ी अहम जानकारी

यस बैंक को लेकर मई 2025 में एक और बड़ी खबर सामने आई थी। जापान की बड़ी फाइनेंशियल कंपनी सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉरपोरेशन यानी SMBC ने यस बैंक में 20 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी। यह सौदा भारतीय स्टेट बैंक और अन्य बैंकों से हुआ, जिन्होंने 2020 में यस बैंक को संकट के समय सपोर्ट किया था।

SMBC ने यह हिस्सेदारी 21 रुपये 50 पैसे प्रति शेयर की दर से खरीदी थी। इससे बैंक को मजबूत साझेदार मिला है और रणनीतिक रूप से यह डील काफी अहम मानी जा रही है।

शेयर बाजार में कैसी रही बैंक की चाल

शुक्रवार सुबह शेयर बाजार में यस बैंक का प्रदर्शन थोड़ी कमजोरी के साथ देखा गया। बैंक का शेयर सुबह 10 बजे के आसपास 20 रुपये 17 पैसे पर कारोबार करता दिखा, जो SMBC डील प्राइस से थोड़ा नीचे है।

पिछले एक महीने की बात करें तो यस बैंक के शेयर में करीब 4.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। बाजार के जानकारों का कहना है कि तिमाही आधार पर कारोबारी आंकड़ों में कमजोरी इसका प्रमुख कारण रही है।

पूरे नतीजों पर टिकी है बाजार की नजर

फिलहाल यस बैंक ने केवल शुरुआती बिजनेस अपडेट जारी किया है। असली तस्वीर तब सामने आएगी जब बैंक अपने पूरे वित्तीय नतीजे पेश करेगा। इन नतीजों में मुनाफा, खर्च, फंसे कर्ज यानी एनपीए और अन्य अहम आंकड़े सामने आएंगे।

बाजार अब यह देखना चाह रहा है कि क्या आने वाली तिमाहियों में बैंक फिर से मजबूती की ओर बढ़ेगा और क्या SMBC जैसी बड़ी विदेशी संस्था की भागीदारी से बैंक की रणनीति में कोई बड़ा बदलाव होगा।

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