Columbus

GST 2.0 से घर खरीदना होगा आसान, मिडिल क्लास को मिलेगी बड़ी राहत

GST 2.0 से घर खरीदना होगा आसान, मिडिल क्लास को मिलेगी बड़ी राहत

सरकार GST 2.0 के तहत टैक्स स्ट्रक्चर में बदलाव करने जा रही है, जिससे रियल एस्टेट सेक्टर को बड़ा फायदा होगा। सीमेंट, स्टील, टाइल्स और पेंट पर जीएसटी घटने से घर खरीदने वालों को 1.5 से 7.5 लाख रुपये तक की बचत हो सकती है। मिडिल क्लास और अफोर्डेबल हाउसिंग खरीदारों को सबसे ज्यादा राहत मिलेगी।

नई दिल्ली: केंद्र सरकार GST स्ट्रक्चर को सरल बनाने की तैयारी में है, जिससे घर खरीदने का सपना देखने वालों को बड़ी राहत मिल सकती है। 3-4 सितंबर को होने वाली GST काउंसिल की बैठक में मौजूदा चार स्लैब को घटाकर 5% और 18% दो स्लैब में बांटने पर फैसला लिया जा सकता है। इससे सीमेंट और स्टील जैसे कंस्ट्रक्शन मटेरियल्स की कीमतें कम होंगी, जिसके चलते फ्लैट्स की लागत 150 रुपये प्रति स्क्वॉयर फीट तक घट सकती है। नतीजतन, 1,000 स्क्वॉयर फीट के फ्लैट पर खरीदारों को 1.5 से 7.5 लाख रुपये तक की सीधी बचत हो सकती है।

GST 2.0 में क्या बदलाव होंगे

वर्तमान में GST के चार स्लैब हैं- 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत। सरकार का प्रस्ताव है कि इन्हें घटाकर सिर्फ दो मुख्य स्लैब रखे जाएं- 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत। इसके अलावा लग्जरी और सिन गुड्स पर 40 प्रतिशत तक GST लगाने की भी तैयारी है। नई दिल्ली में 3 और 4 सितंबर को GST काउंसिल की बैठक में इन सुधारों पर मुहर लगने की उम्मीद है।

रियल एस्टेट सेक्टर पर असर

रियल एस्टेट एक्सपर्ट्स का कहना है कि GST 2.0 का सबसे बड़ा फायदा घर खरीदने वालों और बिल्डर्स को होगा। फिलहाल सीमेंट पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगता है जबकि स्टील, पेंट और टाइल्स पर 18 से 28 प्रतिशत तक टैक्स वसूला जाता है। अगर इन्हें 18 प्रतिशत वाले स्लैब में डाल दिया गया तो निर्माण की लागत काफी घट जाएगी। अनुमान है कि फ्लैट्स की कीमतें लगभग 150 रुपये प्रति स्क्वॉयर फीट तक कम हो सकती हैं। यानी 1,000 स्क्वॉयर फीट के फ्लैट पर खरीदार को 1.5 लाख रुपये तक की बचत हो सकती है।

मिडिल क्लास को ज्यादा फायदा

मिडिल क्लास के लिए घर खरीदना हमेशा से बड़ी चुनौती रहा है। महंगाई और ऊंची ब्याज दरों की वजह से घर की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। ऐसे में अगर निर्माण सामग्री पर टैक्स कम हो जाता है तो घर बनाना और खरीदना दोनों आसान हो जाएगा। अफोर्डेबल हाउसिंग सेक्टर में तो खरीदारों को 7.5 लाख रुपये तक का लाभ मिल सकता है।

मौजूदा GST स्ट्रक्चर

रियल एस्टेट सेक्टर में फिलहाल अलग-अलग तरह के फ्लैट्स पर अलग दर से जीएसटी वसूला जाता है।

  • 45 लाख रुपये तक के अफोर्डेबल हाउसिंग पर 1 प्रतिशत जीएसटी लगता है।
  • 45 लाख से ज्यादा कीमत वाले अंडर कंस्ट्रक्शन फ्लैट्स पर 5 प्रतिशत जीएसटी वसूला जाता है।
  • रेडी-टू-मूव फ्लैट्स पर कोई जीएसटी नहीं लगाया जाता।
  • सीमेंट पर 28 प्रतिशत, स्टील पर 18 प्रतिशत, पेंट पर 28 प्रतिशत और टाइल्स पर 18 प्रतिशत टैक्स वसूला जाता है।

2019 से बिल्डर्स को इनपुट टैक्स क्रेडिट यानी ITC का लाभ नहीं मिल रहा है। इसका सीधा असर घर की कीमत पर पड़ता है। उदाहरण के लिए अगर किसी फ्लैट की कीमत 25 लाख रुपये है तो निर्माण सामग्री पर GST जुड़ने से इसमें लगभग 5 लाख रुपये तक का बोझ बढ़ जाता है। इसका असर सीधे ग्राहक की जेब पर पड़ता है।

कितना होगा लाभ

अगर GST 2.0 लागू हो जाता है और निर्माण सामग्री को 18 प्रतिशत वाले स्लैब में डाल दिया जाता है तो घर की लागत घट जाएगी। विशेषज्ञों का अनुमान है कि मिडिल क्लास को फ्लैट खरीदने में 1.5 लाख रुपये से लेकर 7.5 लाख रुपये तक की बचत हो सकती है। खासतौर पर अफोर्डेबल हाउसिंग सेगमेंट में यह बदलाव बड़ा राहत देने वाला होगा।

दिवाली तक मिल सकती है खुशखबरी

जीएसटी काउंसिल की बैठक में अगर यह प्रस्ताव पास हो जाता है तो दिवाली तक घर खरीदने वालों को राहत मिल सकती है। बिल्डर्स भी मानते हैं कि निर्माण की लागत कम होने से वे खरीदारों को बेहतर कीमत पर घर उपलब्ध करा पाएंगे। इससे रियल एस्टेट सेक्टर में नई जान आएगी और बिक्री में तेजी देखी जा सकती है।

Leave a comment