उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। यहां बीजेपी जिलाध्यक्ष ध्रुव कुमार सिंह ने डिप्टी CMO डॉ. अरविंद चौधरी पर नियमों के खिलाफ जाकर निजी अस्पतालों का नोडल अधिकारी बनाए जाने और उनसे वसूली का आरोप लगाया है। उन्होंने इस संबंध में डीएम को एक लिखित शिकायत सौंपी है और साथ ही एक ऑडियो सबूत भी जमा किया है, जिसमें कथित वसूली से जुड़ी बातचीत रिकॉर्ड होने का दावा किया गया है।
ध्रुव सिंह ने आरोप लगाया कि जिले में लेवल-4 के डॉक्टर उपलब्ध होने के बावजूद नियमों को ताक पर रखकर लेवल-3 के डॉक्टर को नोडल अधिकारी बना दिया गया। उन्होंने कहा कि डॉ. चौधरी निजी अस्पताल, नर्सिंग होम और पैथोलॉजी को पहले सीज कराते हैं और फिर मोटी रकम लेकर उन्हें दोबारा चालू कराने की अनुमति देते हैं। बीजेपी नेता ने दावा किया कि यह सिलसिला लंबे समय से चल रहा है और इससे स्वास्थ्य सेवाओं की पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो गए हैं।
नौकरियों और मेडिकल रिपोर्ट में भी रिश्वतखोरी का आरोप
शिकायत में सिर्फ नोडल अधिकारी की नियुक्ति ही नहीं, बल्कि नौकरी देने और मेडिकल जांच में भी पैसों की मांग का आरोप लगाया गया है। ध्रुव सिंह ने दावा किया कि स्वास्थ्य विभाग में 100 से अधिक आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की नियुक्ति में प्रति व्यक्ति 2.5 से 3 लाख रुपये की अवैध वसूली हुई। इसके अलावा पुलिस भर्ती की मेडिकल जांच के नाम पर भी लाखों रुपये की रिश्वत ली गई।
शिकायत में लालगंज के न्यू आयुष नर्सिंग होम का विशेष उल्लेख करते हुए कहा गया है कि इसे CMO के आदेश पर सीज किया गया था, लेकिन डॉ. चौधरी ने संचालक अभिषेक कुमार सरोज से 70 हजार रुपये लेकर उसे फिर से खोलने की अनुमति दे दी। चौंकाने वाली बात यह है कि सरोज के पास कोई मेडिकल डिग्री नहीं है, फिर भी उन्हें डॉक्टर बताकर फर्जी रजिस्ट्रेशन कराया गया। इस पूरे मामले की बातचीत का एक ऑडियो क्लिप डीएम को साक्ष्य के तौर पर सौंपा गया है।
18 साल से एक ही जिले में तैनाती पर भी उठे सवाल
बीजेपी जिलाध्यक्ष ने सवाल उठाया कि आखिर क्यों डॉ. चौधरी जैसे अधिकारी पिछले 18 सालों से एक ही जिले में तैनात हैं। उनका आरोप है कि इतने लंबे समय तक एक ही जगह रहने के कारण अधिकारी ने भ्रष्टाचार का मजबूत नेटवर्क तैयार कर लिया है, जिससे विभाग की कार्यप्रणाली पर असर पड़ा है। उन्होंने मांग की कि डॉ. चौधरी को तत्काल जिले से हटाया जाए और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो।
डीएम ने दिए सख्त निर्देश
मामले के सामने आने के बाद जिलाधिकारी ने तत्परता दिखाते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं। मुख्य विकास अधिकारी परीक्षित खटाना की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय जांच समिति बनाई गई है, जिसमें डीडीओ संजय कुमार सिंह और मुख्य कोषाधिकारी अनुराग श्रीवास्तव को शामिल किया गया है।
समिति ने शनिवार को कार्रवाई की शुरुआत की और सबसे पहले शिकायतकर्ता ध्रुव कुमार सिंह का बयान दर्ज किया गया। बीजेपी नेता ने समिति को बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त है और इस मामले में भी दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
प्रशासनिक हलकों में मचा हड़कंप
शिकायत और ऑडियो सबूतों के सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। फिलहाल डॉ. चौधरी की ओर से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। लेकिन पूरे प्रकरण ने प्रशासन की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जांच समिति के सामने अब बड़ी चुनौती यह है कि वह आरोपों की गहराई से जांच कर सच्चाई सामने लाए और अगर आरोप सही साबित होते हैं, तो दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।