अब्रिल पेपर टेक के IPO के शेयर 5 सितंबर को BSE SME पर भारी डिस्काउंट के साथ लिस्ट हुए और ₹61 के IPO भाव के मुकाबले पहले ही दिन 24% तक गिरकर ₹46.37 पर आ गए। आईपीओ के तहत जुटाए गए ₹13.42 करोड़ में से मशीनरी, वर्किंग कैपिटल और कॉरपोरेट उद्देश्यों पर खर्च होंगे।
Abril Paper IPO Listing: जो सब्लिमेशन हीट ट्रांसफर पेपर बनाती है, का आईपीओ 5 सितंबर को BSE SME प्लेटफॉर्म पर लिस्ट हुआ। ₹61 के IPO भाव के मुकाबले शेयर ₹48.80 पर खुला और गिरकर ₹46.37 पर पहुंच गया, जिससे निवेशकों को पहले ही दिन 24% का नुकसान हुआ। IPO के जरिए जुटाए गए ₹13.42 करोड़ में से ₹5.40 करोड़ मशीनरी, ₹5 करोड़ वर्किंग कैपिटल और बाकी आम कॉरपोरेट उद्देश्यों पर खर्च होंगे।
IPO का रिस्पांस
अब्रिल पेपर के IPO को खुदरा निवेशकों से जबरदस्त रिस्पांस मिला। IPO 29 अगस्त से 2 सितंबर के बीच खुला था और यह ओवरऑल 11.20 गुना सब्सक्राइब हुआ। इसमें नॉन-इंस्टीट्यूशनल निवेशकों का हिस्सा 5.51 गुना और खुदरा निवेशकों के लिए आरक्षित आधा हिस्सा 16.79 गुना भरा गया। IPO के तहत ₹10 फेस वैल्यू वाले 22 लाख नए शेयर जारी किए गए।
IPO से जुटाए गए पैसे का इस्तेमाल
IPO के जरिए जुटाए गए ₹13.42 करोड़ में से ₹5.40 करोड़ मशीनरी की खरीदारी पर खर्च होंगे। ₹5 करोड़ वर्किंग कैपिटल की जरूरतों के लिए इस्तेमाल होंगे और बाकी रकम आम कॉर्पोरेट उद्देश्यों पर खर्च की जाएगी। कंपनी का उद्देश्य अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाना और वित्तीय ढांचा मजबूत करना है।
कंपनी का वित्तीय प्रदर्शन
वित्त वर्ष 2025 में अब्रिल पेपर टेक का शुद्ध मुनाफा सालाना आधार पर 51.61% बढ़कर ₹93 लाख से ₹1.41 करोड़ हो गया। इसी दौरान कंपनी की कुल आय भी 142.38% बढ़कर ₹25.13 करोड़ से ₹60.91 करोड़ पर पहुंच गई। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि कंपनी का व्यवसाय तेजी से बढ़ रहा है, हालांकि IPO निवेशकों को लिस्टिंग पर नुकसान हुआ।
शेयर की लिस्टिंग और गिरावट
IPO में निवेशकों को जबरदस्त उम्मीदें थीं, लेकिन शेयर की लिस्टिंग ने उनके लिए निराशा पैदा की। ₹61 के शेयर केवल ₹48.80 पर खुले और कुछ ही समय में ₹46.37 पर आ गए। निवेशकों को पहला झटका इस गिरावट से लगा। बाजार विश्लेषकों का कहना है कि इस गिरावट का मुख्य कारण SVF II और बड़े निवेशकों की हिस्सेदारी में बदलाव नहीं बल्कि IPO के दौरान निवेशकों की उम्मीदों का अधिक होना है।
IPO से बढ़ेगी मैन्युफैक्चरिंग क्षमता
कंपनी ने IPO के जरिए जुटाए गए पैसों से अपनी मैन्युफैक्चरिंग क्षमता बढ़ाने की योजना बनाई है। इससे उत्पादन में बढ़ोतरी और बाजार में हिस्सेदारी मजबूत होने की संभावना है। विशेषज्ञ मानते हैं कि लंबी अवधि में निवेशकों को लाभ मिल सकता है यदि कंपनी अपने उत्पादन और बिक्री लक्ष्य को पूरा कर पाती है।