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SEBI का नया कदम! शॉर्ट सेलिंग और SLB फ्रेमवर्क पर बदलाव के लिए किया टीम का गठन

SEBI का नया कदम! शॉर्ट सेलिंग और SLB फ्रेमवर्क पर बदलाव के लिए किया टीम का गठन

SEBI ने शॉर्ट सेलिंग और SLB प्रणाली की व्यापक समीक्षा के लिए कार्य समूह बनाया। चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने कहा कि कदम निवेशकों की सुरक्षा, बाजार पारदर्शिता और विदेशी निवेशकों के विश्वास के लिए महत्वपूर्ण है।

SEBI: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने शुक्रवार को घोषणा की कि वह ‘शॉर्ट सेलिंग’ और प्रतिभूति उधारी (Securities Lending and Borrowing - SLB) ढांचे की व्यापक समीक्षा के लिए एक कार्य समूह बनाएगा। सेबी के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने बताया कि इस कदम का उद्देश्य बाजार की पारदर्शिता बढ़ाना और निवेशकों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

शॉर्ट सेलिंग क्या है?

‘शॉर्ट सेलिंग’ शेयर बाजार में एक ट्रेडिंग रणनीति है, जिसमें निवेशक किसी शेयर के दाम गिरने की संभावना पर मुनाफा कमाने की कोशिश करता है। इसका मतलब यह है कि अगर किसी को लगता है कि किसी कंपनी का शेयर नीचे जाएगा, तो वह शेयर उधार लेकर बेच देता है और बाद में कम दाम पर खरीदकर वापस करता है। इस प्रक्रिया के जरिए निवेशक लाभ कमाने की कोशिश करते हैं। सेबी ने 2007 में शॉर्ट सेलिंग का फ्रेमवर्क शुरू किया था, जो आज तक लगभग अपरिवर्तित बना हुआ है।

SLB प्रणाली क्या है?

एसएलबी प्रणाली के तहत निवेशक या संस्थान अपने डीमैट खातों में रखे शेयरों को शुल्क लेकर अन्य निवेशकों को उधार दे सकते हैं। यह लेनदेन स्टॉक एक्सचेंज प्लेटफॉर्म के जरिए होता है और क्लियरिंग कॉर्पोरेशन इस प्रक्रिया में सेटलमेंट की सुरक्षा और गारंटी प्रदान करता है। उधार लिए गए शेयरों का इस्तेमाल प्रायः शॉर्ट सेलिंग या सेटलमेंट विफलताओं से बचाव के लिए होता है। विशेषज्ञों के अनुसार, SLB से निवेशकों को अपने निष्क्रिय शेयरों से अतिरिक्त आय अर्जित करने का अवसर मिलता है और बाजार की लिक्विडिटी और दक्षता बढ़ती है।

समीक्षा की आवश्यकता क्यों है?

‘शॉर्ट सेलिंग’ का फ्रेमवर्क 2007 से अपडेट नहीं हुआ है। वहीं, SLB प्रणाली, जो 2008 में शुरू हुई थी, कई बार संशोधित होने के बावजूद वैश्विक मानकों के अनुरूप पूरी तरह तैयार नहीं मानी जाती। सेबी का मानना है कि इन दोनों प्रणालियों का गहन पुनर्मूल्यांकन करना समय की आवश्यकता है। इससे निवेशकों के लिए पारदर्शिता और सुरक्षा बढ़ेगी और विदेशी निवेशकों का भरोसा भी मजबूत होगा।

तुहिन कांत पांडेय का बयान

सेबी के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने कहा कि स्टॉकब्रोकर और म्यूचुअल फंड नियमों की व्यापक समीक्षा पहले से जारी है। उन्होंने बताया कि सेबी निवेशकों के हितों की सुरक्षा और बाजार पारदर्शिता बढ़ाने पर विशेष ध्यान दे रहा है। इसके साथ ही उन्होंने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के बहिर्वाह को लेकर आश्वस्त किया कि विदेशी निवेशकों का भारत के विकास और दीर्घकालिक अर्थव्यवस्था में मजबूत विश्वास है।

बाजार में निवेशकों के लिए फायदे

विशेषज्ञों का मानना है कि शॉर्ट सेलिंग और SLB फ्रेमवर्क की समीक्षा से बाजार में कई सकारात्मक बदलाव होंगे। इससे शेयरों की कीमतों में अस्थिरता को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी और निवेशकों को अधिक सुरक्षित और पारदर्शी ट्रेडिंग का अवसर मिलेगा। SLB प्रणाली में सुधार से निवेशकों को अपने शेयरों से अतिरिक्त आय अर्जित करने के अवसर बढ़ेंगे और लिक्विडिटी में सुधार होगा।

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